आपस में लड़ने वाले चुनाव आते ही हो जाते साथ-साथ
अजय दीक्षित कानपुर देहात जो कभी आपस में लड़ते नहीं थकते थे। पानी पी-पीकर एक दूसरे को
अजय दीक्षित, कानपुर देहात:
जो कभी आपस में लड़ते नहीं थकते थे। पानी पी-पीकर एक दूसरे को गाली देना, जिनकी आदत में शुमार था। चुनाव रंगमंच सजते ही आखिर ऐसा क्या हुआ कि एक दूजे पर तलवार तानने वाले हाथ आपस में हाथ मिला कर साथ-साथ खड़े हैं। क्या मतदाताओं को नासमझ समझ रखा है। मतदान की तारीख नजदीक आ रही है तो चुनावी चर्चाओं की चहल पहल भी तेजी पकड़ रही है। आइए शहर में ऐसी ही एक आम मतदाताओं की नुक्कड़ चौपाल पर नजर डालते हैं..।
शाम के चार बजने को हैं, लेकिन तेज धूप सड़कों को झुलसा रही है। अकबरपुर नगर के गांधीनगर मोहल्ले में बीओबी बैंक के पास ऊंचे भवनों की छाया में मंद-मंद हवा के बीच चौपाल लगाए लोगों में चुनाव की गरमागरम बहस चालू है। छोटेलाल कहते हैं एक मोदी ही हैं जो पूरे देश को संभाले हैं वरना छोटे-छोटे दलों ने स्वार्थ की राजनीतिक करने में कोई कसर नहीं रखी। शमीम उनके बात से सहमत तो हैं लेकिन कहते हैं, कांग्रेस ने भी कई बेहतर कदम उठाए थे। यह बात जरूर है कि उन्हें मजबूत नेतृत्व नहीं मिला। आज आवारा मवेशी सबसे बड़ी समस्या हैं। इससे किसान परेशान हैं। इस मुद्दे पर यूपी सरकार सही कदम नहीं उठा सकी। इसी बीच चंद्रशेखर से नहीं रहा गया, बोले, मोदी की ईमानदारी पर किसी को शक नहीं। यह जो गठबंधन नजर आ रहा है, यह एक साल पहले तक कहां था सभी जानते हैं। हृदय नारायण कहते हैं, चुनाव तो गठबंधन और मोदी के बीच का है। किशन राजपूत के अनुसार महंगाई पर तो कंट्रोल है। दाल से लेकर सब्जी तक के भाव पर आया फर्क दिखता है। कालाबाजारी थमी है। धनीराम राजपूत गठबंधन के नेतृत्व पर सवाल खड़ा करते हैं। कहते हैं, 'यदि यह जीत गये तो इनका प्रधानमंत्री कौन बनेगा, यही बात साफ नहीं है। इन पर जनता विश्वास करे तो कैसे, जब सीट बटवारे में लड़ गये तो पीएम की सीट के लिए तो पता नहीं क्या कर जाएं।'