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3.74 करोड़ रुपये की पेयजल योजना से बुझाई जाएगी प्यास

जल निगम ने तकनीकी स्वीकृति के बाद निदेशालय भेजा प्रस्ताव शासन की मंजूरी मिलते ही शुरू होगा काम ग्रामीणों को मिलेगा शुद्ध पानी

By JagranEdited By: Published: Wed, 20 Nov 2019 12:51 AM (IST)Updated: Wed, 20 Nov 2019 06:03 AM (IST)
3.74 करोड़ रुपये की पेयजल योजना से बुझाई जाएगी प्यास
3.74 करोड़ रुपये की पेयजल योजना से बुझाई जाएगी प्यास

जागरण संवाददाता, कानपुर देहात : खानचंद्रपुर में दूषित भूजल को लेकर एनजीटी की सख्ती के बाद जल निगम ने 3.74 करोड़ रुपये की पेयजल योजना का प्रस्ताव शासन को भेजा है। शासन की मंजूरी मिलने के बाद यहां के लोगों को शुद्ध पानी मिल सकेगा।

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खानचंद्रपुर की आबादी पांच हजार तो उसके मजरे चौहानपुरवा, नोनियनपुरवा व प्रसिद्धपुर की करीब 2700 है। प्रसिद्धपुर हाईवे की दूसरी ओर बसा है। पूर्व में यहां टंकी से जलापूर्ति शुरू की गई थी लेकिन नलकूप क्रोमियम प्रभावित क्षेत्र में होने से बंद कर दिया गया। यहां के ग्रामीण दूषित पानी के वजह से त्वचा व हड्डियों की समस्या से जूझ रहे हैं। पिछले दिनों एनजीटी ने शिकंजा कसा तो प्रशासनिक अफसरों व जल निगम की तंद्रा टूटी।

यह है योजना

नई पेयजल योजना दो जोन में बांटकर शुरू की जाएगी। इसके तहत दो नलकूप 200-200 मीटर बोरिग कर स्थापित किए जाएंगे। नलकूपों के निर्माण में लगभग 88 लाख रुपये खर्च का अनुमान है। एक नलकूप चौहानपुरवा में बनेगा, जबकि दूसरा प्रसिद्धपुर में स्थापित किए जाने का प्रस्ताव है। पुरानी सौ किलोलीटर क्षमता की टंकी को चौहानपुरवा के नलकूप से जोड़कर प्रयोग में लाया जाएगा। प्रसिद्धपुर में 50 किलोलीटर क्षमता की नई टंकी बनेगी। अभी लगभग पांच किमी. भूमिगत पाइप लाइन बिछी है। प्रस्तवित योजना में 15 किमी. हाईडेंसिटी पाइप लाइन बिछाई जानी है।

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खानचंद्रपुर में क्रोमियमयुक्त भूजल से ग्रामीण प्रभावित हैं। शुद्ध पेयजल मुहैया कराने के लिए योजना प्रस्तावित की गई है। शासन की मंजूरी मिलते ही काम शुरू कराया जाएगा।

-एमके सिंह, अधिशासी अभियंता जल निगम कानपुर देहात

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त न वर्ष से बंद है पुरानी टंकी से जलापूर्ति

नलकूप से क्रोमियमयुक्त पानी निकलने की वजह से तीन वर्ष पूर्व टंकी से आपूर्ति बंद कर दी गई थी। इसके बाद गहरी बोरिग कर लगभग 30 लाख रुपये से नया नलकूप लगाया गया लेकिन उसका पानी भी क्रोमियम प्रभावित मिला। इस पर टंकी से जलापूर्ति नहीं हो सकी। लोग सरकारी व निजी हैंडपंप से निकलने वाले पीले पानी से प्यास बुझाने को मजबूर हैं।


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