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स्टार्टअप से युवा करें चुनौतियों का सामना : चौधरी

राष्ट्रीय शर्करा संस्थान के दीक्षा समारोह का केंद्रीय राज्यमंत्री सीआर चौधरी ने किया शुभारंभ। 411 छात्र-छात्राओं को डिप्लोमा व प्रमाण पत्र वितरित किए गए।

By Edited By: Published: Sat, 06 Oct 2018 02:35 AM (IST)Updated: Sat, 06 Oct 2018 10:44 AM (IST)
स्टार्टअप से युवा करें चुनौतियों का सामना : चौधरी
स्टार्टअप से युवा करें चुनौतियों का सामना : चौधरी
कानपुर(जागरण संवाददाता)।  घर-घर में इस्तेमाल की जाने वाली चीनी को गुणवत्तापूर्ण बनाए जाने की जरूरत है। अभी भी उसका उत्पादन बाबा आदम के जमाने की मशीनों से किया जा रहा है। समय के साथ चीनी की गुणवत्ता बदली है। लोग इसका स्वाद अब कम कैलोरी के साथ लेना चाहते हैं। शुगर इंजीनिय¨रग के छात्र-छात्राओं के सामने ऐसी गुणवत्तापूर्ण चीनी का उत्पादन करने के साथ ही आने वाली पीढ़ी को रोजगार देने की चुनौती है। इस चुनौती का सामना वे स्टार्टअप के जरिए कर सकते हैं। यह बातें राष्ट्रीय शर्करा संस्थान (एनएसआइ) के दीक्षा समारोह में उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण केंद्रीय राज्यमंत्री सीआर चौधरी ने कहीं। 
उन्होंने कहा कि स्टार्टअप के लिए केंद्र सरकार ने दस हजार करोड़ रुपए का बजट रखा है। आइडिया में दम है तो 25 करोड़ का अनुदान वे बिना किसी शर्त के प्राप्त कर सकते हैं। चीनी उद्योग को स्टार्टअप से जोड़ने की जरूरत है। चीनी उत्पादन में वैल्यू एड करके कम कीमत, कम कैलोरी व ऊर्जा की बचत करने वाली तकनीक इजाद करने की चुनौती एनएसआइ के छात्रों के सामने है।
देश में 65 फीसद आबादी 35 साल से कम उम्र के युवाओं की है, इसलिए उनका भविष्य स्टार्टअप के साथ है। समारोह में 411 छात्र-छात्राओं को डिप्लोमा व प्रमाण पत्र वितरित किए गए। वहीं, शुगर टेक्नोलॉजी के छात्र अनुराग वर्मा (लखीमपुर निवासी) व अवनीश कुमार (सीतापुर निवासी) को महात्मा गांधी स्मृति स्वर्ण पदक से नवाजा गया। समारोह में एनएसआइ निदेशक प्रो. नरेंद्र मोहन बताया कि यह संस्थान 176 फैक्ट्रियों को कंसल्टेंसी दे रहा है।
उत्पादन लागत अधिक होने के कारण निर्यातक नहीं बन पा रहा भारत
शर्करा एवं प्रशासन केंद्र सरकार के संयुक्त सचिव सुरेश कुमार वरिष्ठ ने कहा कि चीनी की उत्पादन लागत अधिक होने व गुणवत्ता बेहतर न होने के कारण देश निर्यातक नहीं बन पा रहा है। सरकारी नीति भी इसका एक कारण है, लेकिन तकनीकी के जरिए इसकी लागत कम की जा सकती है। अब केवल चीनी बनाने से काम नहीं चलेगा बल्कि उससे निकलने वाले अवशेषों का इस्तेमाल एल्कोहल व इथेनॉल बनाने के साथ प्रक्रिया में निकलने वाले दूषित पानी को पीने योग्य बनाए जाने की जरूरत है। इससे निकली राख से बायो फर्टिलाइजर बनाया जा रहा है। एनएसआइ इस दिशा में काम भी कर रहा है।

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