मरीज की मौत पर पीएमओ को किया गुमराह
जागरण संवाददाता, कानपुर : केंद्रीय सरकार स्वास्थ्य योजना (सीजीएचएस) में अफसरों की मनमानी पेंशन
जागरण संवाददाता, कानपुर : केंद्रीय सरकार स्वास्थ्य योजना (सीजीएचएस) में अफसरों की मनमानी पेंशनर्स के लिए जानलेवा साबित हो रही है। पत्नी के इलाज के लिए शिवनगर (मसवानपुर) रावतपुर निवासी ताराचंद गुप्ता अफसरों के चक्कर काटते रहे पर सुनवाई नहीं हुई। जब प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से शिकायत की तो आपरेशन हुआ, लेकिन अत्याधिक संक्रमण फैलने से पत्नी की मौत हो गई। उन्होंने दोषी अफसरों के विरुद्ध कार्रवाई के लिए पीएमओ को पत्र लिखा। अपर निदेशक से जबाव तलब होने पर पीएमओ को झूठा जबाव भेज दिया।
सीजीएचएस लाभार्थी ताराचंद गुप्ता के मुताबिक पत्नी गीता गुप्ता गुर्दे की बीमारी से पीड़ित थीं। रीजेंसी रीनल सेंटर में इलाज चल रहा था। पैर में संक्रमण होने पर 11 सितंबर 2017 को ओपीडी में डॉ. निर्भय कुमार को दिखाया। उन्होंने सेलूलाइटिस बताते हुए अविलंब आपरेशन के लिए भर्ती करने को कहा। 12 सितंबर को वेलनेस सेंटर पांडुनगर के डॉ. वीके गुप्ता के अनुमति पत्र पर रीजेंसी रीनल सेंटर में भर्ती कराया। अनुमति पत्र में तीन दिन बाद नोडल अफसर को सूचित करने को लिखा था। 15 सितंबर को आपरेशन की तैयारी थी। जब उन्हें स्ट्रेचर पर ले जाने लगे तो अस्पताल के कर्मचारी ने मना कर दिया। उन्हें स्ट्रेचर से उतारकर बेड पर लिटा दिया गया।
नोडल अफसर की अनुमति के बिना आपरेशन नहीं
सीजीएएचएस के पत्र का हवाला देते हुए रीजेंसी प्रबंधन ने उनसे कहा कि पत्र के अनुसार तीन दिन बाद क्या करना है, इसके लिए नोडल अफसर से अनुमति लेनी होगी। ऐसा न होने पर मरीज को डिस्चार्ज कर दिया जाएगा। ताराचंद ने इसकी सूचना वेलनेस सेंटर के डॉ. वीके गुप्ता को फोन पर दी। इसके बाद मरीज को भर्ती रहने की अनुमति दे दी गई।
पांच दिन अफसरों से करते रहे मिन्नत
ताराचंद ने बताया कि 15 से 19 सितंबर तक तत्कालीन अपर निदेशक डॉ. पीके पचौरी अवकाश पर थे तो कार्यवाहक अपर निदेशक डॉ. बच्चन सिंह रावत को फोन पर पूरा घटनाक्रम बताया। गंभीर स्थिति में वह पत्नी के पास रुके रहे। अपने मित्र एवं प्रगतिशील पेंशनर्स कल्याण समिति के महामंत्री नवीन कुमार मिश्र को एडी आफिस रतनलाल नगर भेजा। उन्होंने डॉ. रावत को पूरी जानकारी देते हुए अपने फोन से मेरी बात कराई। उसके बाद भी उन्होंने कोई मदद नहीं की, न ही नोडल अफसर को अस्पताल भेजा।
पीएमओ से शिकायत पर आपरेशन
19 सितंबर को जब पीएमओ से फोन पर शिकायत की। तब जाकर 20 सितंबर को आपरेशन हुआ लेकिन तब तक छह दिन बीत चुके थे और अत्यधिक संक्रमण फैलने से पत्नी की मौत हो गई।
पीएमओ से चार बार शिकायत
ताराचंद मरीजों की जान से खिलवाड़ करने वाले दोषी अफसरों के खिलाफ कार्रवाई के लिए पीएमओ को 2 नवंबर, 14 दिसंबर 2017 एवं 12 जनवरी व 5 फरवरी 2018 को चार बार पत्र लिख चुके हैं। उनके पत्र को संज्ञान लेते हुए पीएमओ से जवाब मांगा तो गलत सूचना भेज दी।
सीसीटीवी व काल डिटेल से सामने आएगी हकीकत
ताराचंद का दावा है कि अस्पताल के सीसीटीवी फुटेज में मरीज को आपरेशन के लिए ले जाने से लेकर वापस लौटाने की डिटेल है। सीजीएचएस के अफसरों की काल डिटेल चेक करने से हकीकत सामने आएगी।
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पीएमओ को सही सूचना भेजी
सीजीएचएस की अपर निदेशक डॉ. मंजुल कुमारी का कहना है कि पीएमओ को जो सूचना भेजी है, वह सही है। मरीज के अनुमति पत्र में तीन दिन बाद नोडल अफसर को सूचना देने के सवाल पर वह टालमटोल करनी लगीं। उन्होंने फोन डॉ. बच्चन सिंह रावत को पकड़ा दिया।
अस्पताल प्रशासन की गलती
डॉ. बच्चन सिंह रावत का कहना था कि नोडल अफसर को सूचना देनी होती है। ताराचंद ने किसी को सूचना नहीं दी है। उनके मामले में अस्पताल प्रशासन की गलती है। जब पूछा गया कि अगर अस्पताल की गलती है तो छह महीने में क्या किया, इस पर डा. रावत चुप्पी साध गए। कहने लगे सभी मरीजों के साथ न्याय किया जाता है।