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World Water Day: अभी नहीं चेते तो भयावह होंगे हालात, जानिए- कानपुर में कहां कितना भूजल स्तर

कानपुर शहरी क्षेत्र के कई इलाकों में भूगर्भ जलस्तर तेजी से गिरता जा रहा है। वहीं जल संरक्षण के प्रयास भी नाकाफी साबित हो रहे हैं। शहर में रेन वाटर हार्वेस्टिंग पर भी प्रयास किया जा रहा है। बारिश के पानी के सहेजकर हालात संभाले जा सकते हैं।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Mon, 22 Mar 2021 12:07 PM (IST)Updated: Mon, 22 Mar 2021 12:07 PM (IST)
World Water Day: अभी नहीं चेते तो भयावह होंगे हालात, जानिए- कानपुर में कहां कितना भूजल स्तर
बारिश की बूंदे सहेजकर जल संरक्षण पर जोर।

कानपुर, जेएनएन। रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून.., जल बिन जीवन नहीं, जल अनमोल है..। रहिमन दास जी का दोहा या फिर स्लोगन, सभी जल की जरूरत को बताते हैं। ऐसे में जीवन के लिए अमूल्य जल का संरक्षण हमारे लिए कितना प्राथमिक है, इसे समझाना होगा। अंधाधुंध दोहन से भूजल स्तर तेजी से गिर रहा है, प्रदूषण के कारण नदियाें का अस्तित्व समाप्त हो रहा है। अगर अभी नहीं चेते तो आने वाले समय में मुश्किल हो जाएगी। इसके लिए कुदरत से मिलने वाले बारिश के पानी को सहेज कर शुरुआत की जा सकती है।

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तेजी से गिर रहा भूगर्भ जल स्तर

स्थान  दो साल पहले (मीटर) अब (मीटर) 
कल्याणपुर 13.65  15.95
श्यामनगर 26.89  28.72
हरजिंदर नगर 44.75 45.75
फजलगंज 15.18 16.25
अहिरवां 18.75 19.25

भूगर्भ जल का हो रहा दोहन

सरकारी नलकूप : 165

दोहन होता : 10 करोड़ लीटर

सबमर्सिबल पंप : 2.50 लाख

रोज दोहन होता : 50 करोड़ लीटर (एक सबमर्सिबल पंप से दो हजार के हिसाब से)

हैंडपंप लगे : 15 हजार

जल दोहन : पांच करोड़ लीटर

वाहन धोने वाले सेंटर : दो हजार

रोज पानी बर्बाद करते : 10 लाख लीटर

कागजों मे ही लग रहे रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम

बारिश के पानी को बचाने के लिए सरकारी और निजी भवनों में सिर्फ कागज में ही रेन वाटर हार्वेङ्क्षस्टग सिस्टम लग रहे हैं। शहर में केडीए, नगर निगम, मंडलायुक्त व उपाध्यक्ष आवास, पालीटेक्निक, संजय भवन किदवईनगर समेत एक दर्जन इलाकों में ही सिस्टम लगा है। निजी इमारतों में साढ़े तीन सौ में ही वर्षा जल संचयन की व्यवस्था है। बाकी में कागजी इंतजाम हैं। सैकड़ों इमारते अवैध ढंग से बन रहीं हैं। सभी जगह सिस्टम लगे तो 50 फीसद पानी बचा सकते हैं। हालांकि नगर निगम ने बारिश के पानी को बचाने के लिए मोतीझील, बृजेंद्र स्वरूप पार्क समेत 10 पार्कों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाया है। इससे लगभग 50 लाख लीटर बारिश का पानी बचेगा। उधर, डूब की जगह खाली करने की कवायद शुरू हुई है।

पहला प्रदेश का रेन वाटर हार्वेस्टिंग थीम पार्क

बेंगलुरु की तर्ज पर केडीए ने इंदिरा नगर में डेढ़ एकड़ में साढ़े सात करोड़ रुपये से रेन वाटर हार्वेङ्क्षस्टग थीम पार्क का निर्माण कराया है। पार्क बनकर तैयार हो गया है। सिर्फ लोकार्पण का इंतजार है। पार्क में रोबोट स्वागत करेगा। बारिश की बूंदों को सहेजने व भूगर्भ जल बढ़ाने का तरीका बताएगा। इसके साथ ही कृत्रिम पेड़ बच्चों के लिए आकर्षण का केंद्र रहेगा। बच्चे के सवालों का जवाब देगा। साथ ही उनका मनोरंजन भी करेगा। यहां वर्षा जल संचयन सिस्टम के मॉडल जनता को जागरूक करेंगे। क्षेत्रफल के हिसाब से सिस्टम लगाने का तरीका बताया जाएगा।

एनजीटी के आदेश के बाद जागे, तालाबों को बचाने की मुहिम

नगर निगम ने तालाबों को बचाने की मुहिम शुरू की है। पहले चरण में 10 तालाबों को साफ करने के साथ ही पिकनिक स्पॉट बनाया जा रहा है। मई तक तालाबों का सुंदरीकरण 70 लाख रुपये से होगा। मामा तालाब और अन्य चिह्नित किए जा रहे हैं।

पांडु नदी को प्रदूषण से बचाने को दो करोड़

पांडु नदी को दूषित होने से बचाने को चार नालों के पानी को नगर निगम बायो रेडिएशन के माध्यम से शुद्ध करने का काम कर रहा है। इसके लिए दो करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं।

हर घर तक पानी पहुंचाने का सिस्टम फेल, पानी में बहे 869 करोड़

हर घर में भरपूर पानी पहुंचने के लिए जवाहर लाल नेहरू नेशनल अरबन रिन्यूवल मिशन के तहत 869 करोड़ रुपये से पेयजल व्यवस्था कराई गई है। बीस-बीस करोड़ के बैराज में नए वाटर ट्रीटमेंट प्लांट बनाए गए। नलकूप लगाए गए। गुजैनी में नया वाटर ट्रीटमेंट और पूरे शहर में 76 पंपिंग स्टेशन बनाए गए। पांच साल से घटिया पाइपों के चलते घरों तक पानी पहुंचना दूर, अभी तक पंपिंग स्टेशन तक पानी नहीं पहुंचा है। पूरे शहर में पानी पहुंच जाए तो भूगर्भ जल दोहन कम हो जाएगा।


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