World Ozone Day: कोरोनावायरस ने दी ओजोन परत को संजीवनी, जल्द शोध करेगा आइआइटी कानपुर
काेरोनावायरस के कारण लॉकडाउन होने पर शहर की औद्योगिक इकाइयों और वाहनों के बंद रहने से धुएं की कमी से हवा में सुधार होने से ओजोन के सुरक्षा कवच को मजबूती मिली है।
कानपुर, जेएनएन। देश-दुनिया के लिए खलनायक बना काेरोनावायरस वायुमंडल में ओजोन परत के लिए संजीवनी साबित हुआ है। कोरोनावायरस के कारण लॉकडाउन होने से वाहनों के न चलने और औद्योगिक इकाइयों की बंदी से धुएं की कमी के कारण हवा की सेहत सुधरी तो ओजोन के सुरक्षा कवच को भी मजबूती मिली है। इस फायदे को देखते हुए कई देशों ने इस पर काम भी शुरू कर दिया है, वहीं आइआइटी विशेषज्ञ भी शोध की तैयारी कर रहे हैं।
कोरोनावायरस से बचाव के लिए एहतियातन लॉकडाउन किया गया, इस दरमियान देखा गया कि हवा की गुणवत्ता काफी हद तक सुधर गई। इतना ही इससे ओजोन के सुरक्षा कवच को भी मजबूती मिली। इसका मुख्य कारण रहा कि औद्योगिक इकाइयों और वाहनों से निकलने वाले धुएं में कमी से वायुमंडल में हानिकारक गैसों का घनत्व कम हुआ। ओजोन लेयर पृथ्वी के चारों ओर ओजोन गैस का सुरक्षा कवच है, जो सूर्य से आने वाली खतरनाक पैराबैंगनी किरणों को रोकती है। इस परत के न होने से मनुष्य और जीव जंतुओं की जिंदगी पर खतरा बन सकता है।
1984 में परत में छिद्र होने की सूचना पर अमेरिका में कई देशों के विशेषज्ञों की बैठक हुई थी। सभी ने क्लोरोफ्लोरोकार्बन समेत अन्य गैसों का उपयोग न करने का निर्णय लिया। यह गैसें फ्रिज और एसी को ठंडा करने के काम आती हैं। आइआइटी के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. सच्चिदानंद त्रिपाठी के मुताबिक हाल ही में इसपर कोई शोध नहीं हुआ, लेकिन लॉकडाउन के दौरान गैसों का उत्सर्जन कम होने से सकारात्मक प्रभाव जरूर पड़ा है। वायु प्रदूषण में कमी से इस छिद्र को भरने में सहयोग मिला होगा। प्रो. मुकेश शर्मा ने बताया कि जल्द ही आइआइटी कानपुर इस पर शोध करेगा।