World Dumb Deaf Day: दिव्यांगता को अभिशाप मानने वालों के लिए नजीर हैं अमान, हौसले के पंखों से भरी उड़ान
कानपुर के रावतपुर में रोशन नगर में रहने वाले मूकबधिर 18 वर्षीय अमान ने अपनी दिव्यांगता को हथियार बनाकर आत्मनिर्भरता से सफलता की सीढिय़ां चढ़ना शुरू किया और अबतक कई राष्ट्रीय पदक जीतने के साथ आगे बढ़ रहे हैं।
कानपुर, [अंकुश शुक्ल]। दिव्यांगता को अभिशाप समझने वालों के लिए मूक-बधिर जूडो खिलाड़ी अमान खान आत्मनिर्भरता और सशक्तीकरण का बेहतर उदाहरण हैैं। उन्होंने जज्बे से साबित कर दिखाया कि दिव्यांग हैैं पर किसी सहानुभूति की मोहताज नहीं। जूडो में राष्ट्रीय स्तर पर कई बार जलवा दिखा चुके अमान अक्टूबर में फ्रांस में होने वाली वल्र्ड डेफ जूडो चैंपियनशिप प्रतियोगिता में भारतीय टीम से हिस्सा लेंगे और उनकी सफलता का शोर पूरी दुनिया में सुनेगी ।
हाल में अमान ने इंदौर में हुए वल्र्ड जूडो के ट्रायल में शानदार प्रदर्शन कर फ्रांस का टिकट हासिल किया। रोशन नगर रावतपुर गांव निवासी इकबाल अहमद व तबस्सुम खान के मूकबधिर बेटे 18 वर्षीय अमान शुरुआती दिनों में क्रिकेट खेलना चाहते थे। करीब छह माह तक क्रिकेट खेलने के बाद अमान ने चार साल पहले जूडो से नाता जोड़ा। अमान ने बिहार में क्रिकेट मैच के दौरान स्टेडियम में जूडो खेलते खिलाडिय़ों को देखकर जूडो में पहचान बनाने की ठानी और कड़े अभ्यास से सफलता की सीढिय़ां चढ़ते रहे।
इशारों की भाषा और डेमो प्रशिक्षण बना सहायक : कोच राजेश के मुताबिक शुरुआती दिनों में अमान को प्रशिक्षित करना कठिन था लेकिन धीरे-धीरे इशारों की भाषा से अमान को खेल की बारीकियों से परिचित कराया। अर्मापुर एसएएफ मैदान डेमो देकर जूडो सिखाया। अमान की सीखने की क्षमता ने जल्द ही बेहतर खिलाडिय़ों में शुमार करा दिया। कई बार नेशनल पदक जीत चुके अमान पदक हासिल करने के लिए विश्वस्तरीय जूडो की कला सीख रहे हैं।
ये हैं उपलब्धियां
-लखनऊ में वर्ष-2018 में हुए छठे नेशनल डेफ जूडो में रजत पदक जीता।
-गोरखपुर में वर्ष-2019 में हुए सातवें नेशनल डेफ जूडो में स्वर्ण पदक पाया।
-वर्ष-2019 में चेन्नई में खेले गए सीनियर नेशनल डेफ जूडो में रजत पदक जीता।
-पंजाब में वर्ष-2020 में हुए नेशनल डेफ जूडो में स्वर्ण पदक जीता।
-वर्ष-2021 में लखनऊ में नेशनल डेफ जूडो में स्वर्ण पदक जीता।