World Breastfeeding Week: शिशुओं में कोरोना से लड़ने की ताकत जगाएं स्तनपान से
कानपुर की वरिष्ठ स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डा. मंजुलिका बाजपेयी ने बताया कि कोरोना संक्रमण के दौर में नन्हें व नवजात शिशुओं का खयाल रखना भी है एक चुनौती। इसके लिए उन्हें स्तनपान कराना जरूरी है ताकि बेहतर विकास के लिए न सिर्फ उन्हें जरूरी पोषण मिल सके।
कानपुर, कीर्ति सिंह। कोविड-19 वायरस शिशुओं को अपना निशाना बनाने में नाकाम रहा है, यह बेहद सुकून की बात है, पर उन्हें स्वास्थ्य सुरक्षा कवच देना जरूरी है और यह संभव है सुरक्षित स्तनपान से। मां का दूध शिशु के लिए संपूर्ण पोषण होता है। यह वायरस या बैक्टीरिया से बचाव के लिए उनमें एंटीबाडीज बनाता है साथ ही यह अस्थमा व एलर्जी का खतरा भी कम करता है। शिशु के जन्म के छह माह तक उसे सिर्फ मां का दूध प्राप्त होना चाहिए। इसके बाद स्तनपान के साथ ही फार्मूला दूध या अन्य तरल पदार्थ दिए जाने चाहिए।
कोरोना पाजिटिव हों तो भी कराएं स्तनपान: चूंकि कोरोना संक्रमण का खतरा बना हुआ है। ऐसे में यदि मां में कोरोना संक्रमण के लक्षण नजर आएं या कोरोना पाजिटिव रिपोर्ट आए तो कई बार भ्रांतियों की वजह से वे शिशु को स्तनपान कराना बंद कर देती हैं, पर वास्तव में स्तनपान जारी रखने पर ही बीमारी से बचाव सुनिश्चित होता है। स्तनपान से शिशु में वायरस का संक्रमण होने का खतरा नहींहै। मां के दूध में कोरोना का वायरस नहींपाया गया है। मां में कोरोना के लक्षण दिखें तो सुरक्षा उपायों को अपनाते हुए शिशु को स्तनपान अवश्य कराएं। शिशु को गोद में लेने व स्तनपान से पूर्व हाथों को साबुन व पानी से 20 सेकंड तक धोएं। मास्क लगाने के बाद ही शिशु को हाथों में लें। जब भी शिशु के नजदीक जाएं तो हाथों को सैनिटाइज करें व मास्क अवश्य लगाएं।
मां का टीकाकरण: कोविड से बचाव के लिए नवजात शिशुओं की मां के टीकाकरण में कोई खतरा नहीं है। इसी प्रकार गर्भवती स्त्रियों को भी टीका अवश्य लगवाना चाहिए। टीकाकरण के जरिए मां कोविड से सुरक्षित रहेगी तो शिशु भी संक्रमण से मुक्त रह सकेगा। शिशु का कोविड टीकाकरण संभव नहींहै, लेकिन मां के दूध से प्राप्त होने वाली एंटीबाडीज से उसे रोगों से लड़ने की ताकत अवश्य मिलती है। यदि मां को कोरोना संक्रमण हुआ हो तो इलाज के दौरान उसके शरीर में वायरस से लड़ने वाली एंटीबाडीज निर्मित होती हैं। यही एंटीबाडीज मां के दूध के जरिए शिशु तक पहुंचती हैं। टीकाकरण के कुछ समय बाद मांएं शिशु को स्तनपान करा सकती हैं।
मां के लिए भी आवश्यक है स्तनपान कराना: स्तनपान कराना न सिर्फ शिशु, बल्कि मां के लिए भी फायदेमंद है। विशेषकर कोरोनाकाल में इसकी अहमियत बढ़ जाती है। मां कोरोना पाजिटिव है और अगर वह स्तनपान नहीं कराती है तो ब्रेस्ट में इंफेक्शन और इनफ्लेमेशन हो सकता है जो सेप्टिसीमिया उत्पन्न करके कोरोना संक्रमण को और खतरनाक बना सकता है। इसलिए कोरोना पाजिटिव हों तो खासतौर पर स्तनपान अवश्य कराएं। सामान्य परिस्थिति में भी स्तनपान कराना मां और शिशु दोनों के स्वास्थ्य के लिए जरूरी है। स्तनपान न कराने से यूट्रस में इंफेक्शन होने का खतरा भी उत्पन्न होता है। स्तनपान कराने से न सिर्फ इससे बचाव सुनिश्चित होता है, बल्कि मां और शिशु में एक खास भावनात्मक जुड़ाव भी पैदा होता है। शिशु में एक ओर जहां सुरक्षा का बोध उत्पन्न होता है, वहींदूसरी ओर मां के शरीर में कई हारमोंस रिलीज होते हैं जो यूट्रस को प्रसव पूर्व का आकार प्राप्त करने में मदद करते हैं। स्तनपान की प्रक्रिया गर्भाधारण के फलस्वरूप मां के बढ़े वजन को घटाने में सहायक होने के साथ ही स्तन कैंसर, ओवेरियन कैंसर व ओस्टियोपोरोसिस का खतरा भी कम करता है। स्तनपान के दौरान मां के शरीर में रिलीज होने वाले हारमोंस उसे सेहतमंद रखने के साथ ही तनाव र्व ंचताओं से मुक्त रखते हैं।
एंटीआक्सीडेंट व प्रोटीन युक्त आहार: नवजात शिशु की मां के आहार में अक्सर आम घरों में घी व गर्म तासीर वाले खाद्य पदार्र्थों को तरजीह दी जाती है, लेकिन कोरोनाकाल में संक्रमण से बचाव में आहार की अहमियत को ध्यान में रखते हुए प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्र्थों के साथ ही एंटीआक्सीडेंट युक्त फलों व मेवों को विशेषरूप से शामिल करना चाहिए। इससे मां को स्वास्थ्यलाभ होने के साथ ही उसके दूध की गुणवत्ता बेहतर होगी, जिससे शिशु स्वस्थ रहेगा और उसे रोगों से लड़ने की ताकत मिलेगी।