घर में अपनों का सितम, बाहर भी सुरक्षित नहीं हैं महिलाएं
अंतरराष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस आज। आंकड़ों के मुताबिक घरों में महिलाओं का सबसे ज्यादा उत्पीडऩ हो रहा।
कानपुर, जेएनएन। आज के दौर में महिलाएं हर क्षेत्र में नाम रोशन कर रही हैं। कोई डॉक्टर बन रही हैं तो तो कोई इंजीनियर। सरकारों ने उनकी सुरक्षा के लिए तमाम बंदोबस्त किए हैं। हेल्पलाइन चलाई जा रही हैं लेकिन अभी भी सार्थक परिणाम सामने नहीं आ रहे। सुरक्षा को लेकर महिलाएं फिक्रमंद हैं और तमाम ऐसी भी हैं जिन पर अपने ही घर में सितम ढाया जा रहा है।
उप्र में महिला अपराध अधिक
नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़े गवाही दे रहे हैं कि विभिन्न राज्यों में उत्तर प्रदेश में महिलाओं के प्रति अपराध सबसे ज्यादा हुए। वर्ष 2016 में 49262 मामले सामने आए थे, जबकि इससे पहले वर्ष 2015 में 35908 मामले हुए थे। इसमें घरेलू ङ्क्षहसा के मामले सर्वाधिक 11166 रहे। इन आंकड़ों की मानें तो साफ है कि महिलाओं के प्रति ङ्क्षहसा की शुरुआत उनके अपने घर से ही हुई है। कभी उन्हें पतियों का विरोध करना भारी पड़ता है तो कभी ससुरालवालों का। इस साल भी कानपुर में घरेलू ङ्क्षहसा के करीब 330 मामले सामने आए। शासन-प्रशासन घरेलू हिंसा रोकने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है लेकिन नाकाफी साबित हो रहे हैं।
कम नहीं हो रहे अपराध
यूपी-100 और वूमेन पॉवर हेल्पलाइन 1090 नंबर काफी मददगार साबित हुए हैं, लेकिन फिर भी अपराध पर लगाम नहीं है। इसकी वजह सजा के प्रतिशत में कमी होना है। महिला थानाध्यक्ष मंजू कनौजिया का कहना है कि घरेलू ङ्क्षहसा के मामलों में सबसे पहले परिवार को बचाने की कोशिश की जाती है। इसलिए काउंसलिंग कराई जाती है। बातचीत से मसला हल न होने पर ही मुकदमा दर्ज किया जाता है। एसपी पूर्वी राजकुमार अग्रवाल कहते हैं कि महिलाओं के प्रति अपराधों की रोकथाम के लिए थानेवार टीमें बनी हैं। प्रदेश सरकार की हेल्पलाइनों पर आने वाली शिकायतों का निस्तारण किया जा रहा है। एंटी रोमियो स्क्वैड से भी बेहतर परिणाम सामने आ रहे हैं।
शहर में इस साल महिला अपराध
जनपद में एक साल के आंकड़ों में दुष्कर्म की 38, छेड़छाड़ की 197, घरेलू ङ्क्षहसा की 330, दहेज उत्पीडऩ की 381, हत्या की 12, दहेज हत्या की 36, अपहरण की 278, छिनैती की 38 घटनाएं दर्ज की गई हें।