UP News: पोस्टमार्टम के इंतजार में सात दिन से महिला का सड़ रहा शव, अस्पताल व पुलिस ने नहीं ली सुध
कानपुर के एलएलआर अस्पताल में एक महिला का शव सात दिनों से पोस्टमार्टम के इंतजार में सड़ रहा है। महिला के पति ने उसे बीमारी के चलते अस्पताल में भर्ती कराया था और फिर गायब हो गया। अस्पताल में दर्ज पता और मोबाइल नंबर फर्जी निकला। पुलिस ने पंचायतनामा तो भरा लेकिन पोस्टमार्टम नहीं कराया। अस्पताल प्रशासन भी लापरवाह बना हुआ है।
आकाश शाक्य, कानपुर। सात दिनों से एक शव पोस्टमार्टम के इंतजार में सड़ रहा है। यह शव एक महिला का है, जिसे उसके पति ने बीमारी के चलते एलएलआर अस्पताल में भर्ती कराया था। महिला की मौत के बाद पति गायब हो गया और अस्पताल में जो पता और मोबाइल नंबर दर्ज था, वह फर्जी निकला। प्रथम दृष्टया मामला संदिग्ध है, बावजूद इसके पुलिस ने आंख बंद कर ली तो अस्पताल प्रशासन ने भी कोई फिक्र नहीं की।
नतीजा इंसानियत को शर्मसार करने वाली खबर सामने आई है। सात दिनों से महिला का शव मर्च्युरी में पड़ा सड़ रहा है। नियमों के मुताबिक किसी अज्ञात शव का पोस्टमार्टम भी 72 घंटे में हो जाना चाहिए था, पुलिस ने पंचायतनामा तो भरा लेकिन शव का पोस्टमार्टम कराना भूल गई। ऐसे में बड़ा सवाल है कि इसके लिए जिम्मेदार कौन है, क्योंकि सभी एक दूसरे पर जिम्मेदारी डाल अपना दामन बचाने की फिक्र कर रहे हैं।
एलएलआर अस्पताल में 24 सितंबर को शाम 5 बजकर 56 मिनट पर एक महिला को भर्ती कराया गया। भर्ती कराने वाले ने खुद का महिला का पति बताते हुए पैर में सूजन होने की बात कही। अस्पताल के दस्तावेजों के अनुसार महिला का नाम 35 वर्षीय नीतू और पति का नाम इस्लाम गुप्ता है। उसने अपना पता सुसती थाना कोतवाली फर्रुखाबाद दर्ज किया है। उसी दिन रात में 10 बजकर 23 मिनट पर महिला की मौत हो गई।
प्रशासन ने पूरी कर दी थी कागजी कार्रवाई
महिला की मृत्यु के बाद अस्पताल प्रशासन ने कागजी कार्रवाई कर महिला के शव को मर्च्युरी में रखवा दिया। इधर महिला का पति भी फरार हो गया। इसके बाद पुलिस ने 26 सितंबर को शव का पंचायतनामा भरा और शव को पोस्टमार्टम हाउस पहुंचाया गया, मगर पोस्टमार्टम नहीं हुआ। सात दिन बाद भी पोस्टमार्टम नहीं होने कारण शव पूरी तरह से सड़ चुका है।
स्वरूप नगर थाना प्रभारी सूर्यबली पांडेय ने बताया कि शव का पोस्टमार्टम कराने की जिम्मेदारी अस्पताल प्रशासन की है। पुलिस का काम पंचायतनामा भरना था, जिसकी कार्रवाई पुलिस ने समय से पूरी कर दी थी।
वहीं जब सीएमओ आलोक रंजन से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि शव की पहचान नहीं होने पर 72 घंटे तक इंतजार किया जाता है। उसके बाद ही शव का पोस्टमार्टम कराया जाता है। पंचायतनामा भरने के बाद पोस्टमार्टम प्रक्रिया कराने की जिम्मेदारी पुलिस की होती है। अगर मौत के सात दिन बाद पोस्टमार्टम नहीं हुआ है तो वह बुधवार को पता कर पूरी जानकारी देंगे।
ये हैं जिम्मेदार, नहीं उठाया फोन
संबंधित प्रकरण की जानकारी के लिए पोस्टमार्टम प्रभारी नवनीत चौधरी को फोन मिलाया गया लेकिन उन्होंने काल रिसीव नहीं की। उसके बाद उनके नंबर पर मैसेज भी किया गया। बावजूद इसके उनका कोई जवाब नहीं आया।
फोन नंबर गलत निकला
दैनिक जागरण संवाददाता ने अस्पताल दस्तावेजों में दर्ज मोबाइल नंबर पर फोन किया तो काल उठाने वाले ने अपना नाम फर्रुखाबाद निवासी केशव भल्ला बताया। उनके अनुसार आठ दिन पहले वह अपने रिश्तेदार को देखने फर्रुखाबाद स्थित लोहिया अस्पताल गए थे, जहां उनसे एक व्यक्ति ने एंबुलेंस को काल करने के लिए मोबाइल मांगा था। वह महिला और उसके पति को नहीं जानते हैं।
न अंगूठा छाप लिया, न खींची फोटो
नियमानुसार शव की पहचान के लिए अंगूठा छाप लिया जाता है, और मृतक की फोटो खींची जाती है ताकि भविष्य में शव में की पहचान हो सके। इस मामले में जिम्मेदारों ने लापरवाही की हद पार कर दी। अब तक अब तक न ही शव का अंगूठा निशान लिया गया है और न ही फोटो खींची गई है।
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