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World Environment Day : रामकथा सुनकर जागा प्रकृति प्रेम, अब बंजर भूमि में दिखाई देते हैं रंग-बिरंगे फूल व औषधीय पौधे

नौबस्ता आनंद विहार में 22 लोगों के प्रयास से बंजर जमीन का हरियाली से शृंगार सभी सुबह पहुंचकर करते हैं पौधों की सेवा।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Fri, 05 Jun 2020 01:16 PM (IST)Updated: Fri, 05 Jun 2020 01:16 PM (IST)
World Environment Day : रामकथा सुनकर जागा प्रकृति प्रेम, अब बंजर भूमि में दिखाई देते हैं रंग-बिरंगे फूल व औषधीय पौधे
World Environment Day : रामकथा सुनकर जागा प्रकृति प्रेम, अब बंजर भूमि में दिखाई देते हैं रंग-बिरंगे फूल व औषधीय पौधे

कानपुर, [सर्वेश पांडेय]। रामकथा के दौरान पुष्पवाटिका की कथा ने नौबस्ता आनंद विहार के लोगों के मन में प्रकृति के प्रति ऐसी प्रेम ज्योति जगाई कि उन्होंने बंजर जमीन पर हरी-भरी रामवाटिका तैयार कर दी। अब 22 सदस्यीय समिति पेड़-पौधों की सेवा करती है। वाटिका में एक दर्जन से ज्यादा औषधीय पेड़ स्वस्थ रखने के साथ रंग बिरंगे फूलों से आकर्षण का केंद्र बने हैं।

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पहले यहां पर कचरा फेंक जाते थे लोग

नौबस्ता आनंद विहार निवासी सेवानिवृत्त फॉरेस्ट रेंजर जयगोपाल चतुर्वेदी बताते हैं कि 25 वर्ष पहले यहां रहने आए थे। उस वक्त घर के सामने करीब पांच हजार वर्गगज जमीन तालाब के रूप में पड़ी थी। आसपास के लोग यहीं कूड़ा कचरा फेंक जाते थे। वन विभाग से जुड़ा होने से उन्होंने वर्ष 1998 में तालाब के चारों ओर विभाग से 198 पौधे लगवाए। इसके बाद पड़ोसी अनिल कुमार मिश्र, एलिम्को के अधिकारी अरुण मिश्र व मनोज श्रीवास्तव, डॉ. आदित्य मिश्र, पार्थ मिश्र, कुशाग्र समेत अन्य लोगों ने जमीन समतल कराकर हर वर्ष रामकथा कराने की योजना बनाई। मिट्टी मंगवाकर तालाब की पुराई कराकर जमीन समतल कराई गई। इसके बाद यहां प्रतिवर्ष रामकथा होने लगी।

पार्क का नाम रख दिया रामवाटिका

उसमें पुष्पवाटिका के प्रसंग से प्रेरित होकर प्रकृति प्रेम की भावना तेजी से बढ़ी तो 22 लोगों की समिति बनाकर जमीन को पार्क का रूप दिया। जिसके तहत मौलश्री, गिलोय, आंवला, बेलपत्र, शहतूत, जामुन, नीम समेत एक दर्जन से ज्यादा औषधीय पौधे लगाए। साथ ही विभिन्न प्रकार के फूलों के पौधे लगाकर पुष्पवाटिका तैयार की। पार्क का नाम रामवाटिका रख दिया। समिति के सदस्यों ने हर माह 200 रुपये कोष में जमा करके पार्क का सुंदरीकरण कराया। समिति ने केडीए अफसरों से बात करके बाउंड्रीवाल के लिए सहयोग लिया। समिति ने अपने प्रयासों से पार्क में इंटरलॉकिंग, सबमॢसबल पंप, लाइट और घास लगवाई।

जयगोपाल बताते हैं कि वर्ष 2016 में सेवानिवृत्त होने के बाद वह ज्यादा समय पेड़-पौधों की सेवा में लगाते हैं। समिति के सभी सदस्य सुबह पार्क पहुंचकर पौधों की सेवा करते हैं। करीब दो घंटे बाद अन्य काम के लिए निकलते हैं। समिति के लोगों की मेहनत और प्रकृति प्रेम से पार्क हराभरा हो गया है, जहां सुबह-शाम क्षेत्र के लोग टहलने और योग-व्यायाम करने के साथ पुष्प लेने आते रहते हैं। बच्चे भी पार्क को हराभरा रखने के लिए हर रोज यहां मेहनत करते हैं। 


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