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आइआइटी में अशांति : प्रोफेसरों पर संकट आया तो बचाव में उतरीं पत्नियां

चार प्रोफेसरों के खिलाफ एससी एसटी का मुकदमा दर्ज होने के बाद आइआइटी परिसर के माहौल से महिलाएं बेहद परेशान व डरी हुई हैं।

By AbhishekEdited By: Published: Thu, 22 Nov 2018 03:50 PM (IST)Updated: Thu, 22 Nov 2018 03:50 PM (IST)
आइआइटी में अशांति : प्रोफेसरों पर संकट आया तो बचाव में उतरीं पत्नियां
आइआइटी में अशांति : प्रोफेसरों पर संकट आया तो बचाव में उतरीं पत्नियां

कानपुर, जेएनएन। आइआइटी के चार प्रोफेसरों पर एससीएसटी एक्ट में मुकदमे के बाद परिसर का माहौल तनावपूर्ण बना है। प्रोफेसर पतियों पर संकट आया तो पत्नियां बचाव में सामने आ गई हैं। पति की सुरक्षा व कैंपस में शांति व्यवस्था की मांग को लेकर उन्होंने फैकल्टी बिल्डिंग के सामने धरना दिया। धरने में 70 महिलाएं शामिल रहीं।

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आइआइटी परिसर के माहौल से महिलाएं बेहद परेशान व डरी हुई हैं। करीब छह महीने से उनका पारिवारिक जीवन अव्यवस्थित है। नौकरी पर जाने की बजाय घर की इस समस्या में वह उलझी हैं। परिसर का माहौल इस तरह का हो गया है कि यहां रहने वाले अन्य परिवार भी प्रभावित हो रहे हैं। ब'चों को समय देना तो दूर की बात उन्हें पढ़ाना भी मुश्किल हो रहा है। परिसर के माहौल को लेकर वह प्रश्न पूछते हैं जिनका जवाब उनके पास नहीं है। धरने पर बैठी महिलाओं का दावा है कि इंस्टीट्यूट ने चारों प्रोफेसरों पर वह चार्ज नहीं लगाया है, जो आरोप उन पर लगा है। उनको गलत ढंग से फंसाया गया है। करीब दो घंटे तक धरना देने के बाद उन्होंने अपनी मांगों को लेकर आइआइटी प्रशासन को ज्ञापन सौंपा।

एडीजी से मिले प्रोफेसर व महिलाएं

आइआइटी के तीन प्रोफेसर व दो महिलाओं का प्रतिनिधिमंडल एडीजी अविनाशचंद्र से मिला। उन्होंने शांति व्यवस्था बनाए रखने की बात कहते हुए आश्वासन दिया कि हर संभव मदद करेंगे।

कार्य बहिष्कार कर सकते प्रोफेसर

फैकल्टी फोरम में लिए गए निर्णय व मांगों पर आइआइटी प्रशासन की प्रतिक्रिया न मिलने से नाराज प्रोफेसर कार्य बहिष्कार कर सकते हैं। वह परीक्षा तो कराएंगे लेकिन प्रशासनिक कार्यों से दूरी बनाएंगे। चार प्रोफेसरों पर एससीएसटी एक्ट में मुकदमा दर्ज होने के बाद उनकी मदद व परिसर में शांति व्यवस्था बनाए रखने समेत कई बिंदुओं पर फैकल्टी फोरम ने विशेष बैठक में चर्चा की थी। इसके बाद अपनी मांगें निदेशक के समक्ष रखीं थीं। इन मांगों पर जवाब देने के लिए दो दिन का समय रखा गया।

बुधवार को दो दिन पूरे हो गए लेकिन शाम तक कोई जवाब नहीं मिला। फैकल्टी फोरम की बैठक में बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग की थी लेकिन इस पर भी कोई निर्णय लिया गया। इससे फोरम के सदस्य खफा हैं और बैठक में कार्य बहिष्कार का निर्णय लिया जा सकता है। हालांकि इसका असर इन दिनों चल रहीं परीक्षाओं पर नहीं पड़ेगा लेकिन वह दूसरे प्रशासनिक कार्य नहीं करेंगे। 

छात्र हित में करेंगे काम

फैकल्टी फोरम ने निदेशक को पत्र लिखकर तीन प्रोफेसरों को प्रशासनिक दायित्वों से अलग रखने के लिए कहा था। इनमें एक आइआइटी के वरिष्ठ पदाधिकारी हैं। उन्होंने बताया कि छात्र हित में जिन बैठकों में उनकी जरूरत होगी वह वहां जरूर पहुंचेंगे ताकि संस्थान के महत्वपूर्ण कार्य न रुकें। इसके अलावा दो अन्य प्रोफेसर भी आइआइटी की बैठकों में पहले की तरह भाग लेकर सहयोग करेंगे।

छात्र भी बैठक करेंगे

वहीं दूसरी ओर छात्रों ने भी जनरल बॉडी मीटिंग करके अपनी मांगें निदेशक के सामने रखी थीं। उनकी मांगों पर जवाब देने के लिए उन्हें दो दिन का समय दिया गया था लेकिन बुधवार को छुट्टी होने की वजह से वह गुरुवार का इंतजार कर रहे हैं। अगर गुरुवार तक कोई विचार नहीं हुआ तो वह भी दोबारा आकस्मिक जनरल बॉडी मीटिंग करके कोई ठोस निर्णय ले सकते हैं।

जांच पूरी, अब कोर्ट से होगा निर्णय

आइआइटी की सबसे बड़ी संस्था बोर्ड ऑफ गवर्नर ने अपनी जांच पूरी कर ली है लेकिन मुकदमा दर्ज होने की वजह से अब मामला अदालत में ही चलेगा। ऐसे में चारों प्रोफेसर ने कोर्ट का रुख किया है। उन्हें इस मसले से जुड़े अलग-अलग मामलों में उन्हें दो बार स्टे मिल चुका है।


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