आतंकी ठिकानों तक फर्जी टेलीफोन एक्सचेंज के तार
खाड़ी देशों, पाकिस्तान, बांग्लादेश व नेपाल से आती थीं कॉल, सुरक्षा एजेंसियों ने शुरू की कॉल से जुड़े लोगों की पड़ताल
जागरण संवाददाता, कानपुर : इंटरनेट के जरिए आनी वाली देश-विदेश की कॉल को डीकोड कर लोकल कॉल में बदलने वाले टीपी स्मार्ट अप्लीकेशन और कॉल टर्मिनेटर मशीन बेचने व प्रयोग करने वालों पर एटीएस व आइबी की नजर है। कानपुर में स्लीपिंग माड्यूल से लेकर आतंकी गतिविधियों को देखते हुए सुरक्षा एजेंसी इस पूरे नेटवर्क के आतंकी गतिविधियों में भी प्रयोग होने की आशंका पर जांच पड़ताल कर रही है।
बाबूपुरवा में पकड़े गए टेलीफोन एक्सचेंज में आतंकी गतिविधियों के संचालन के केंद्र खाड़ी देशों के साथ ही पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल जैसे देशों से भी फोन आने की बात पता चली है। पुलिस के मुताबिक जांच एजेंसियां इन कॉल का डाटा खंगाल रही है। खुफिया सूत्रों के अनुसार पकड़े गए लोगों से पूछताछ में सामने आया कि इंटरनेट पर चल रहे फर्जी टेलीफोन एक्सचेंज के लिए मशीनें दिल्ली से उपलब्ध कराई गई थीं। यह गिरोह पूरे देश में सक्रिय है, जिसके सदस्य टीपी स्मार्ट एप के जरिए जुड़े हैं। इस एक्सचेंज की कॉल को ट्रेस करना भी काफी मुश्किल है, क्योंकि कॉल इंटरनेट डाटा से एक्सचेंज में लोकल सिमों में बाउंस होकर आती थीं। एटीएस ने वर्ष 2016 और 2017 में लखनऊ, हरदोई, सीतापुर, शाहजहांपुर समेत कई जिलों से इसी तरह के एक्सचेंज को पकड़ा था। इनमें वीआइओपी टै्रफिक को कॉल टर्मिनेटर मशीन के जरिए लोकल कॉल में कनवर्ट किया जा रहा था। एटीएस को इसमें पाकिस्तान, यूएई, बांग्लादेश, नेपाल से आने वाली कॉल कश्मीर घाटी में रिसीवर को ट्रांसफर होने की बात भी पता चली थी। एसटीएफ ने इंजीनिय¨रग इंट्रेस की कोचिंग पढ़ाने वाले एक टीचर समेत 17 लोगों को गिरफ्तार किया था।
-------------------
''बाबूपुरवा थाने में तीनों आरोपितों के खिलाफ आइटी एक्ट, धोखाधड़ी और टेलीग्राफ एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है। फर्जी सिम बीए छात्र सरफराज मुहैया और नायब मुहैया कराते थे। सरफराज सोमदत्त प्लाजा में मोबाइल शॉप में भी काम कर चुका है। इनका आपराधिक इतिहास पता किया जा रहा है।
-अखिलेश कुमार, एसएसपी