आइआइटी प्रोफेसरों की खोज, अब अपने घर की छत पर बिजली बनाइये और बिल बचाइये
एक से पांच किलोवाट बिजली उत्पादन में सक्षम, इसे घर-घर पहुंचाने के लिए ऊर्जा मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा है।
By Edited By: Published: Tue, 15 Jan 2019 01:28 AM (IST)Updated: Tue, 15 Jan 2019 11:37 AM (IST)
विक्सन सिक्रोड़िया, कानपुर। अब बहुत जल्द आप आपने घर की छत पर बिजली बना सकेंगे और भारी भरकम बिल से छुटकारा पा सकेंगे। क्योंकि बिजली की किल्लत दूर करने के लिए आइआइटी ने इतनी छोटी पवनचक्की तैयार की है कि उसे घर की छत पर लगाया जा सकेगा। एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के प्रोफेसरों द्वारा विकसित ये पवनचक्की एक से पांच किलोवाट बिजली उत्पादन में सक्षम है और पांच से सात किमी.की रफ्तार में बहने वाली हवा में भी चल सकेगी। आइआइटी प्रयोगशाला में परीक्षण सफल रहने के बाद अब इसे घरों तक पहुंचाने के लिए नवीन और नवीकरण ऊर्जा मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा है।
एयरोस्पेस साइंस इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. अभिजीत कुशारी, एसोसिएट प्रोफेसर अभिषेक व उनकी टीम ने इसे तैयार किया है। यह पवनचक्की उन क्षेत्रों के लिए मील का पत्थर साबित होंगी जहां अभी बिजली के तार नहीं दौड़े हैं। यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलता है डीसी जनरेटर पवनचक्की के बीच में एक साफ्ट (रॉड) लगाई गई है। पवन चक्की के चलने पर यह शाफ्ट घूमकर गतिज ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तित करता है। इसे डीसी जेनरेटर से जोड़ा गया है जो यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करता है। आइआइटी खड़गपुर के साथ मिलकर इसके लिए बैटरी स्टोरेज विकसित की जा रही है।
तेज आधी में भी टिकी रहेगी
एसोसिएट प्रोफेसर अभिषेक ने बताया कि अभी तक जो पवन चक्की बनाई गई हैं वह औसतन हवा की 15 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से चलती हैं। यह कम हवा में बिजली का उत्पादन करने के साथ ही तेज हवा में गति नियंत्रित रखेगी। इसके लिए एक विंग लगाया गया है। इससे तेज आंधी में भी पवन चक्की की रफ्तार सीमित ही रहेगी। इसमें लगाए गए विंग का काम तेज हवाओं के दौरान पवन चक्की में लगे ब्लेड की दिशा बदल देना है जिससे हवा पवन चक्की को नुकसान न पहुंचाए। यह पवन चक्की को दिशा भी देता रहेगा। छह फुट की इस पवन चक्की में छह ब्लेड हैं।
एयरोस्पेस साइंस इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. अभिजीत कुशारी, एसोसिएट प्रोफेसर अभिषेक व उनकी टीम ने इसे तैयार किया है। यह पवनचक्की उन क्षेत्रों के लिए मील का पत्थर साबित होंगी जहां अभी बिजली के तार नहीं दौड़े हैं। यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलता है डीसी जनरेटर पवनचक्की के बीच में एक साफ्ट (रॉड) लगाई गई है। पवन चक्की के चलने पर यह शाफ्ट घूमकर गतिज ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तित करता है। इसे डीसी जेनरेटर से जोड़ा गया है जो यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करता है। आइआइटी खड़गपुर के साथ मिलकर इसके लिए बैटरी स्टोरेज विकसित की जा रही है।
तेज आधी में भी टिकी रहेगी
एसोसिएट प्रोफेसर अभिषेक ने बताया कि अभी तक जो पवन चक्की बनाई गई हैं वह औसतन हवा की 15 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से चलती हैं। यह कम हवा में बिजली का उत्पादन करने के साथ ही तेज हवा में गति नियंत्रित रखेगी। इसके लिए एक विंग लगाया गया है। इससे तेज आंधी में भी पवन चक्की की रफ्तार सीमित ही रहेगी। इसमें लगाए गए विंग का काम तेज हवाओं के दौरान पवन चक्की में लगे ब्लेड की दिशा बदल देना है जिससे हवा पवन चक्की को नुकसान न पहुंचाए। यह पवन चक्की को दिशा भी देता रहेगा। छह फुट की इस पवन चक्की में छह ब्लेड हैं।
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