पत्नी का जुर्म गढ़ते-गढ़ते खुद बन गया मुलजिम
वकील पति ने न्यायालय में कूटरचना कर पत्नी की ओर से दो प्रार्थना पत्र दिए
जागरण संवाददाता, कानपुर : जिसके साथ अग्नि के सात फेरे लेकर सात जन्मों का रिश्ता निभाने का वादा किया। उसे मुलजिम बनाने के लिए एक वकील पति ने क्या-क्या नहीं किया पर वक्त के हालात देखिए पत्नी के जुर्म गढ़ते-गढ़ते वह खुद मुलजिम बन गया। न्यायिक जांच में उसे कोर्ट से दस्तावेज गायब करने का संदिग्ध पाया गया। पीड़िता ने उसके खिलाफ कार्यवाही के लिए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है।
नवाबगंज निवासी अधिवक्ता विष्णु शंकर की शादी श्याम नगर की नमिता के साथ हुई थी। आरोप है कि दोनों के बीच शादी के बाद से ही अनबन शुरू हो गई। रुपयों की मांग को लेकर नमिता के साथ मारपीट होती थी। यहां से दोनों के बीच अलगाव और मुकदमेबाजी का सिलसिला शुरू हुआ। विष्णु ने वकील होने का फायदा उठाया और शिकायत प्रार्थना पत्र देकर नमिता पर कई मुकदमे कराए। अधिवक्ता मंजू पांडे, रतन अग्रवाल और राजीव माथुर के मुताबिक एसीएमएम अष्टम की कोर्ट में पहला परिवाद दाखिल किया। आरोप लगाया कि नमिता ने परिजनों के साथ घर में घुसकर मारपीट की। इसके बाद एसीएमएम नवम की कोर्ट में रास्ते में मारपीट करने का परिवाद दर्ज कराया। ये दोनों मामले फिलहाल हाईकोर्ट से स्टे हैं। अधिवक्ताओं के मुताबिक मामला स्टे होने के बाद एसीएमएम द्वितीय के न्यायालय में कूटरचना कर नमिता की ओर से दो प्रार्थना पत्र दिए गए। एक प्रार्थना पत्र में नमिता ने पति रामशंकर गुप्ता से गुजारा भत्ता मांगा जबकि दूसरे प्रार्थना पत्र में पति रामशंकर गुप्ता समेत ससुराल पक्ष के पांच सदस्यों के खिलाफ दहेज उत्पीड़न, मारपीट और दहेज प्रतिषेध अधिनियम के तहत आरोप लगाया। इस प्रार्थना पत्र में पता 133, ईडब्ल्यूएस ब्लाक फेस-2 महर्षि दयानंद बिहार कल्याणपुर दिया गया। अधिवक्ताओं ने बताया कि वर्तमान में ये दोनों फाइलें गायब हैं पर दोनों के सत्यापित दस्तावेजों के आधार पर विष्णु ने नमिता पर अलग अलग न्यायालयों से फिर तीन परिवाद दाखिल किए। इस बार आरोप लगाया कि नमिता ने पहले पति से तलाक लिए बिना ही शादी की जो गैर कानूनी है। इसमे एक मामला खारिज, दूसरा स्टे और तीसरे में सच का पता लगाने के आदेश हुए हैं।
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एडीजे की जांच से खुल गया खेल
अधिवक्ता राजीव माथुर के मुताबिक नमिता की शादी विष्णु से हुई थी। उसने दूसरे पति रामशंकर गुप्ता की कहानी रचकर पत्नी को फंसाने की कोशिश की पर वह अपनी ही रची कहानी में फंसता चला गया। एडीजे की जांच में रामशंकर गुप्ता के पते और उसकी पहचान का सत्यापन कराया गया, जिसमें वह पूरी तरह फर्जी निकला। जिस लिपिक के खिलाफ जांच की गई उसने भी अपने बयान में यही कहा कि फाइल देखने के बहाने वह उठा ले गए और मांगने पर देने से मना कर दिया। जांच में लिपिक को भी लापरवाही का दोषी पाया गया है।