अक्टूबर में सितम ढा रही गर्मी और उमस से मूंगफली, पट्टी व गजक का मजा हुआ किरकिरा
गुलाबी सर्दी में मूंगफली की लगती थी बहार चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मौसम विज्ञानी डॉ. एसएन पांडेय ने बताया कि अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में निम्न वायुदाब का क्षेत्र बनने से नमी लिए हवा मैदानी क्षेत्रों की ओर सक्रिय हैं।
कानपुर, जेएनएन। लगभग आधा अक्टूबर गुजर चुका है और नवरात्र भी शुरू हो चुके हैं। हर साल इस समय गुलाबी ठंड दस्तक देती थी, लेकिन धूप, गर्मी और उमस से मौसम का मिजाज बदल कर रखा है। अधिकतम और न्यूनतम तापमान में खींचतान मची हुई है, जिसकी वजह से मूंगफली, पट्टी और गजक का मजा किरकिरा हो गया है। बाजार में कुछ ही जगहों पर ठेलों पर मूंगफली नजर आ रही है। रामलीला के दौरान तो यह टाइम पास का बेहतर समय होता था। कोरोना काल में सामूहिक आयोजनों पर अभी अंकुश है, लेकिन सर्दी में पट्टी और गजक की रौनक नहीं है। शायद इसके पीछे संक्रमण को लेकर एहतियात भी हो सकता है।
कल्याणपुर पनकी रोड पर मूंगफली लगाने वाले दारा सिंह बताते हैं कि पिछले साल की तरह बिक्री कम है, लेकिन रात में ग्राहक आते हैं। पट्टी, गजक, अनरसा की मांग कम है। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मौसम विज्ञानी डॉ. एसएन पांडेय ने बताया कि अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में निम्न वायुदाब का क्षेत्र बनने से नमी लिए हवा मैदानी क्षेत्रों की ओर सक्रिय हैं। इनकी वजह से उमस बढ़ती है। अधिकतम और न्यूनतम तापमान में उतार चढ़ाव होता है।
मानसून के समय मानसूनी टर्फ और क्षेत्रीय चक्रवात मिलकर बारिश कराते हैं। पश्चिम बंगाल, बिहार, असोम और पूर्वी उत्तर प्रदेश में बारिश हो रही है। दूसरी ओर पश्चिमी विक्षोभ पाकिस्तान और भारतीय सीमा से सैकड़ों फुट की ऊंचाई पर आकर निष्क्रिय हो गया है। कैस्पियन सागर की ओर से ठंडी हवा भी नहीं आ रही है, जिससे मौसम ठंडा हो सके। डॉ. पांडेय के मुताबिक लॉ नीना सक्रिय हो रहा है, जिसकी वजह से इस बार ठंड अच्छी खासी पड़ेगी।