चीन से नहीं मंगाएंगे, यहीं बनाएंगे एल्युमिनियम फॉयल
विक्सन सिक्रोड़िया कानपुर खाना पैक करने से लेकर पाउच पैकिंग तक में इस्तेमाल की जाने वाली एल्यु
विक्सन सिक्रोड़िया, कानपुर
खाना पैक करने से लेकर पाउच पैकिंग तक में इस्तेमाल की जाने वाली एल्युमिनियम फॉयल का बाजार अब चीन पर निर्भर नहीं रहेगा। पैकेजिंग इंडस्ट्री के लिए 75 फीसद एल्युमिनियम फॉयल की आपूर्ति अभी तक चीन, इंडोनेशिया व कोरिया से होती है, जबकि सबसे बड़ा उत्पादन हब चीन है। लॉकडाउन में आमद भले ही बंद है लेकिन शहर के उद्यमी अब वहा से फॉयल मंगाना भी नहीं चाहते हैं। इसलिए कानपुर में ही फैक्ट्री खोलने का मूड बना रहे हैं। पोलिस्टर व पैकेजिंग फिल्म बनाने वाली स्पर्श इंडस्ट्री लॉकडाउन के बाद उत्पादन भी शुरू कर देगी।
एल्युमिनियम फॉयल की इकाई स्थापित करने का प्रोजेक्ट करीब 400 करोड़ रुपये का है। लखनऊ में पिछले वर्ष इन्वेस्टर्स समिट में प्रोजेक्ट को हरी झडी मिल चुकी है। कानपुर देहात जिले के अकबरपुर में जमीन अधिग्रहण भी हो चुका है। यह प्रोजेक्ट शुरू हो जाता लेकिन लॉकडाउन के कारण विलंब हुआ। शहर में उत्पादन शुरू होने के बाद चीन पर निर्भरता काफी हद तक कम हो जाएगी। प्लास्टिक पर रोक के बाद पान मसाला पाउच की सीलिंग के लिए एल्युमिनियम फॉयल का ही इस्तेमाल किया जाता है। देश भर में इस उद्योग को प्रतिमाह 500 टन फॉयल की जरूरत होती है। अगर कानपुर की बात करें तो 150 से 200 टन की आवश्यकता खानपान व पैकेजिंग उद्योगों को होती है। स्पर्श इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड के चेयरमैन व प्रबंध निदेशक विजय कुमार अग्रवाल ने बताया कि उत्पादन शुरू होने के बाद देश के उद्यमियों की जरूरत पूरी की जाएगी। उसके बाद निर्यात पर विचार करेंगे।
200 से अधिक पैकेजिंग इंडस्ट्री को जरूरत
पैकेजिंग कारोबारी प्रकाश भरतिया का कहना है कि शहर में दो सौ से अधिक पैकेजिंग इंडस्ट्री हैं। चीन से माल आने में डेढ़ से दो महीने का समय लग जाता है। शहर में उत्पादन होने से समय पर जरूरत पूरी हो जाएगी। पान मसाला पैकिंग के बाद दूसरे नंबर पर दवा उद्योग है। टेबलेट व कैप्सूल एल्युमिनियम फॉयल में ही पैक किए जाते हैं। इसके अलावा ग्लूकोज, इलेक्ट्रॉल व पेय पदार्थ की पैकिंग में भी इसका इस्तेमाल होता है। तीसरे नंबर पर खानपान उद्योग है। भोजन को छोटे पैकिंग से लेकर बड़े कंटेनर में पैक करने के लिए इसका उपयोग किया जाता है।