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बीमारियों को मिलकर हराएंगे, समाज को खुशहाल बनाएंगे

पर्यावरण प्रदूषण गंदगी एवं संसाधनों की कमी शहर में ग्रहण बन कर बैठी है। जो डेंगू-मलेरिया जैसी संक्रामक बीमारियों के फैलने की वजह बन रही है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 09 Nov 2019 02:09 AM (IST)Updated: Sun, 10 Nov 2019 06:19 AM (IST)
बीमारियों को मिलकर हराएंगे, समाज को खुशहाल बनाएंगे
बीमारियों को मिलकर हराएंगे, समाज को खुशहाल बनाएंगे

जागरण संवाददाता, कानपुर : पर्यावरण प्रदूषण, गंदगी एवं संसाधनों की कमी शहर में ग्रहण बन कर बैठी है। जो डेंगू-मलेरिया जैसी संक्रामक बीमारियों के फैलने की वजह बन रही है। इन समस्याओं से निपटने के लिए जन सहभागिता से रणनीति बनाकर सामूहिक प्रयास करने की जरूरत है। रावतपुर स्थित रेवमोती के जलसा में शुक्रवार को आयोजित दैनिक जागरण के 'आयुष्मान इंडिया-2019 सिटी कॉन्क्लेव' में स्वास्थ्य महकमे के अफसरों एवं निजी क्षेत्र के जिम्मेदारों ने विमर्श किया। मंथन के दौरान सभी ने स्वर में बीमारियों को हराने का संकल्प लिया, ताकि समाज को खुशहाल बनाया जा सके।

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विमर्श की शुरूआत स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियां और उससे निपटने के लिए मुहैया इंतजामात से हुई। साथ ही शहर में मच्छरों के कहर, हर घर में डेंगू-मलेरिया के पीड़ितों तथा उनके इलाज पर मंथन हुआ। भयावह स्थिति के लिए मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. अशोक शुक्ला ने विभागीय समन्वय में चूक की बात कही। साथ ही सीमित संसाधनों एवं अपनी सीमाएं भी बताई। इसका हवाला देते हुए बेहिचक अपनी कमी भी स्वीकारी। इससे निपटने के लिए सभी से अपेक्षित सहयोग भी मांगा। कहा, स्वास्थ्य विभाग का 30 फीसद मरीजों का इलाज कर पा रहा है, जबकि 70 फीसद मरीजों का इलाज प्राइवेट सिस्टम पर निर्भर है। वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. राज तिलक ने कहा कि पांच वर्षो में 30 गुना डेंगू के मामले बढ़े हैं। इसकी वजह प्रदूषण है, जिसका प्रमुख करण शहर की ध्वस्त यातायात व्यवस्था है। शहर की 26 फीसद सड़कें चौपट हैं। जाम में फंसे वाहनों की वजह से वायुमंडल में कार्बनडाईआक्साइड का उत्सर्जन 84 फीसद बढ़ा है, जिससे तापमान बढ़ रहा है। ग्लोबल वार्मिग बढ़ेगी तो वेक्टर बार्न डिजीज बढ़ेंगे। वहीं जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज की प्राचार्य प्रो. आरती लालचंदानी ने कहाकि सबसे अहम शहर की सफाई है। सफाई में बीमारियां नहीं फैलेंगी। जब बीमारियां फैलती हैं, तब डॉक्टरों का रोल आता है। अगर समय से जनता को जागरूक कर दिया जाए तो ऐसी स्थिति ही नहीं उत्पन्न होगी। इसके लिए प्रभावी कार्ययोजना जरूरी है। वरिष्ठ फिजीशियन डॉ. नंदिनी रस्तोगी ने कहाकि डेंगू का खौफ नहीं हकीकत है। जो काम जून-जुलाई में होना चाहिए था, वह नवंबर में हो रहा है। अगर समय से काम होता तो यह स्थिति नहीं आती। अब दोषारोपण नहीं मिलकर काम करने को आगे आने की जरूरत है। इससे पहले कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि प्रो. आरती लालचंदानी, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) अध्यक्ष डॉ. रीता मित्तल ने दैनिक जागरण के संस्थापक स्व. पूर्णचंद्र गुप्त एवं पूर्व प्रधान संपादक स्व. नरेंद्र मोहन जी के चित्र पर दीप प्रज्वलित कर किया। इसके उपरांत दैनिक जागरण के संपादकीय प्रभारी नवीन सिंह पटेल ने कार्यक्रम के बारे में विस्तार से अवगत कराते हुए कार्यक्रम का संचालन किया। इस दौरान डॉ. आरके लूंबा, डॉ. युवराज महेंद्रा, डॉ. वीसी रस्तोगी, डॉ. राजेश अग्रवाल, डॉ. अवध दुबे, डॉ. यशवंत राव, डॉ. मनीष सिंह, डॉ. मनीष विश्नोई, डॉ. वेंकटेश्वर दीक्षित, डॉ. शोभा विज, डॉ. दीपक श्रीवास्तव, डॉ. महेंद्र सरावगी, डॉ. जुगनू सिंह, डॉ. अरुणेश, डॉ. रोहित टंडन, एवं डॉ. पोशन गुप्ता मौजूद रहे।

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बातचीत

डॉ. मधु लूंबा के सुझाव पर आइएमए लगाएगा कैंप

वरिष्ठ स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. मधुलूंबा ने कहाकि बीमारी फैल गई है। इसे अब नियंत्रित करना है। आइएमए के 2500 डॉक्टर्स हैं। मरीजों से नर्सिग होम एवं अस्पताल पटे पड़े हैं। बुखार के मरीजों के इलाज के लिए शहर के चारो क्षेत्र में धर्मशाला एवं बारातघरों में ओपीडी चलाकर इलाज किया जाए। उनके सुझाव पर आइएमए अध्यक्ष ने सहमति जताई। जमीनी स्तर पर कार्य करने की जरूरत

बेहतर चिकित्सकीय सुविधाएं मुहैया कराने को जमीनी स्तर पर कार्य करने की जरूरत है। इन समस्याओं की मूल जड़ अशिक्षा एवं जागरूकता का अभाव है। आमजन झोलाछाप के फेर में पड़कर अपनी फजीहत करा रहे हैं। यह वक्त कुछ करने का है। एक दूसरे पर जिम्मेदारी फेंकने से समस्या का समाधान नहीं निकलने वाला। हम सब मिलकर एक साथ आएं और समस्या दूर करने के लिए काम करें।

- डॉ. विकास शुक्ला। कुछ करने की जरूरत

मैं भी सरकारी सिस्टम का हिस्सा रहा हूं। इसलिए अधिकारियों के पास सीमित संसाधन उपलब्ध हैं। उनकी अपनी सीमाएं हैं। उपर से तमाम बंधन है। शहर में बीमारी फैली है। हर घर में बीमार और परेशान हैं। आमजन की बेहतरी के लिए कुछ करने की जरूरत है। इसके लिए सिर्फ अधिकारी दोषी नहीं हैं। जनता भी इसके लिए बराबर की जिम्मदार है।

- डॉ. वीएन त्रिपाठी, पूर्व डीजीएमई।

बच्चों को बताएं स्वास्थ्य एवं सफाई की महत्ता

इस समय सभी को आत्मचिंतन करने की जरूरत है। हम सभी अपनी जिम्मेदारी समझें। घरों से लेकर स्कूलों में बच्चों को स्वास्थ्य एवं सफाई की महत्ता बताई जाए। बेहतर होगा कि इसे नर्सरी से लेकर ग्रेजुएट स्तर तक पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए।

- डॉ. रेनू सिंह गहलौत।

दो हिस्से में शहर को बांट कर हो प्रबंधन

शहर बड़ा है। इसलिए प्रबंधन में दिक्कत है। शहर को उत्तर एवं दक्षिण क्षेत्र में बांट कर कार्य करने की जरूरत है। डीएम, नगर आयुक्त एवं सीएमओ दोनों जगह बैठने का समय निर्धारित करें और जनता की समस्याओं की सुनवाई करें। उनका निस्तारण भी करें। शहर की सफाई और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को प्राथमिकता से लिया जाए। इससे शहर की बेहतरी और विकास दोनों होगा।

- डॉ. अरुण प्रकाश द्विवेदी। जमीनी स्तर पर होना चाहिए कार्य

सरकारी एवं निजी क्षेत्र की चिकित्सीय सेवाओं में गुणवत्ता बढ़ाने की जरूरत है। इसकी शुरुआत वरिष्ठ अधिकारियों एवं वरिष्ठ जनों को करनी होगी। इसका असर नीचे तक देखने को मिलेगा। अगर ऊपर के स्तर पर लापरवाही होगी तो जमीनी स्तर पर कार्य ही नहीं होंगे। शहर में उत्पन्न हालात की मुख्य वजह भी यही है। अभी भी समय है, हम चेत जाएं। सभी अपनी जिम्मेदारी को समझें और कर्तव्यों का सही ढंग से निर्वहन करें।

डॉ. आदित्य राज भाटिया।

कई क्षेत्रों में और काम की जरूरत

शहर की चिकित्सकीय सुविधाओं में लगातार सुधार हो रहा है। अभी और सुधार की जरूरत है। इसके साथ ही जनता को भी जागरूक करने की जरूरत है। कई ऐसे क्षेत्र है, जहां काम करने की जरूरत है। अब जब बीमारी फैल चुकी है, सामूहिक प्रयास से निपटने की रणनीति बनाई जाए।

डॉ. विनीत वर्मा।

सभी बराबर के जिम्मेदार

बीमारियों से निपटने के लिए प्रशासनिक अमला और चिकित्सक ही जिम्मेदार नहीं है। आम नागरिकों का भी उतना ही रोल है। अब बीमारियों फैल गई तो डॉक्टर्स पर दबाव बढ़ गया है। बुखार या डेंगू है तो मरीज इलाज के लिए आएंगे। उन्हें घबराने की जरूरत नहीं है, जब डॉक्टरों को भर्ती करने की जरूरत महसूस होगी तभी भर्ती करेंगे।

- डॉ. मनीष महेंद्रा।

जनता को भी करें जागरूक

डेंगू और मलेरिया फैला है। अधिकतर मरीज गंभीर आ रहे हैं। उन्हें भर्ती करने की जरूरत पड़ रही है। अगर प्रशासन को किसी तरह की कोई आपत्ति है, तो दिशा-निर्देश जारी करे। बेहतर होगा कि जनता को जागरूक करें। उन्हें बीमारियों के रोकथाम के उपाए बताए जाएं।

- डॉ. जुगनू सिंह। शहर में जल्द उपलब्ध होंगी एम्स स्तरीय चिकित्सीय सुविधाएं

जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज की प्राचार्य प्रो. आरती ने कहा कि शहर में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) स्तरीय सुविधाएं मुहैया कराने पर तेजी से कार्य चल रहा है। फरवरी तक देश का सबसे बड़ा चिकित्सीय संस्थान बन कर तैयार हो जाएगा। इस पर तेजी से काम चल रहा है। प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के तहत मल्टी सुपर स्पेशियलिटी विंग का काम भी मार्च 2020 तक तैयार हो जाएगा। 16 सुपर स्पेशियलिटी विभाग खुल जाएंगे। इसके बाद इलाज के लिए लखनऊ, दिल्ली एवं मुंबई नहीं जाना पड़ेगा। स्किल सेंटर, इंफेक्शन डिजीज इंस्टीट्यूट, रेस्पेरेटरी डिजीज इंस्टीट्यूट, कैंसर संस्थान का उच्चीकरण, मल्टी स्टोरी ओपीडी ब्लॉक भी बनेगा। थ्री स्टॉर सुविधाओं वाला प्राइवेट 50 वार्ड भी बनाने जा रहे हैं। सड़क हादसे में घायल मरीजों के इलाज को 274 करोड़ रुपये से एपेक्स ट्रामा सेंटर की स्थापना की कार्रवाई अंतिम चरण में है।

यह चुनौतियां

- स्वास्थ्य विभाग के पास संसाधनों एवं सुविधाओं का अभाव

- ग्रामीण अंचल के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों की चिकित्सीय सेवाएं बदहाल

- डॉक्टरों, पैरामेडिकल स्टॉफ एवं कर्मचारियों की भारी कमी

- बजट के अभाव में मरीजों को दवाएं, भोजन एवं जरूरी जांचें तक नहीं होना।

- सरकारी क्षेत्र में सुपर स्पेशियलिटी इलाज का बेहतर सेटअप की जरूरत

आइएमए हर सहयोग के लिए तैयार

आइएमए अध्यक्ष डॉ. रीता मित्तल ने कहा कि आइएमए हर सहयोग के लिए तैयार है। आइएमए भवन में सुपर स्पेशियलिटी ओपीडी चल रही है। बुखार के मामले बढ़ने पर शहर के अच्छे फिजीशियन शाम को सेवाएं दे रहे हैं। इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग शहर भर में शिविर लगाने की तैयारी करे। इसमें आइएमए के सदस्य पूर्ण सहयोग एवं सेवाएं देंगे। जागरूकता कार्यक्रम भी चला रहे हैं। 15000 हजार पंपलेट छपवाए हैं, जिनका आइएमए सदस्य अपने क्लीनिक के माध्यम से वितरण कर रहे हैं।


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