बचेगा जल, संवरेगा कल
जागरण संवाददाता, कानपुर : बेतरतीब और अधाधुंध पानी की बर्बादी से दिनोंदिन भूगर्भ जल कम ह
जागरण संवाददाता, कानपुर :
बेतरतीब और अधाधुंध पानी की बर्बादी से दिनोंदिन भूगर्भ जल कम होता जा रहा है। अनियोजित व्यवस्था और जागरूकता के अभाव में कई क्षेत्र संकट की स्थिति में पहुंच गए हैं। घटता जल संकट की तरफ बढ़ते कल का कारण बन सकता है। वजह यह कि अच्छी बारिश के बावजूद जमीन के अंदर का पानी रिचार्ज नहीं हो पा रहा है। प्रदेश के 271 ब्लॉक अतिदोहित और डार्क जोन में चले गए हैं। समस्या को दूर करने के लिए राज्य भूगर्भ जल मिशन के अंतर्गत जमीन के पानी को रिचार्ज करने का प्लान तैयार किया गया है। इसमें नगर निगम, जल निगम, सिंचाई विभाग, लघु सिंचाई विभाग, वन विभाग, आवास विकास भी शामिल रहेंगे। सभी विभाग मिलकर कार्य करेंगे।
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जिले में कई क्षेत्र अतिदोहित
अतिदोहित क्षेत्रों में से सर्वाधिक 54 बुंदेलखंड के हैं। कानपुर में कल्याणपुर, शिवराजपुर, भीतरगांव ब्लॉक अतिदोहित श्रेणी में हैं। इनमें कल्याणपुर, नौबस्ता, किदवई नगर क्षेत्र की स्थिति सबसे खराब है। कन्नौज के तालग्राम और जलालाबाद भी अतिदोहित ब्लाक में शामिल हैं।
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क्या करेंगे विभाग
-सिंचाई के लिए 70 फीसद पीने योग्य पानी इस्तेमाल होता है। किसान सिंचाई के लिए बो¨रग करवाते हैं, इससे भूजल का स्तर कम होता है। पानी की बर्बादी रोकने के लिए सिंचाई में स्प्रिंकलर के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जाएगा।
- छोटी नदियों और बरसाती नालों पर छोटे- छोटे डैम (बांध) बनाए जाएंगे। यहां पर पानी जमा रहने से धीरे धीरे कर भूगर्भ जल की मात्रा बढ़ जाएगी।
-तालाबों का निर्माण, वर्षा जल संचयन प्रणाली, रूफ टॉप रेन हार्वेस्टिंग सिस्टम, पौधा रोपण कराया जाएगा।
-बो¨रग से पहले क्षेत्र में पानी की स्थिति का आकलन, पानी की जांच और भविष्य की संभावनाओं का ध्यान रखा जाएगा।
-अतिदोहित व क्रिटिकल क्षेत्रों की आबादी और वहां बो¨रग की स्थिति का आकलन होगा।
-बारिश का पानी बर्बाद न हो, उसके लिए पक्की फर्श के बीच में पौधे लगाए जाएंगे।
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65 सेंटीमीटर तक गिरा जलस्तर
महानगर में अच्छी बारिश के बावजूद भूगर्भ जलस्तर के पोस्ट मानसून डाटा में 65 फीसद तक की औसतन गिरावट आई है। ये अधिकतर वह क्षेत्र हैं, जहां पीने के पानी की लाइन नहीं गई है। बो¨रग से पानी की व्यवस्था हो रही है।
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राज्य भूगर्भ जल मिशन के अंतर्गत भूगर्भ जल को रिचार्ज करने का प्लान तैयार हुआ है। इसमें कई विभाग मिलकर काम करेंगे। नई तकनीक अपनाई जाएगी।
-अवधेश कुमार, एक्सईएन, भूगर्भ जल विभाग