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झुमकी बेचो, चाहे पायल..25 हजार दो तभी इलाज

जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के एलएलआर अस्पताल (हैलट) में लहूलुहान बेटे को लेकर पहुंची बूढ़ी मां उम्मीद लगाए बैठी थी कि बस अब इलाज शुरू हो जाएगा। वहां मौजूद स्टाफ मानवीय संवेदनाएं दिखाएगा और तुरंत बेटे को भर्ती कर लेगा।

By JagranEdited By: Published: Mon, 20 Aug 2018 01:40 AM (IST)Updated: Mon, 20 Aug 2018 01:40 AM (IST)
झुमकी बेचो, चाहे पायल..25 हजार दो तभी इलाज
झुमकी बेचो, चाहे पायल..25 हजार दो तभी इलाज

जागरण संवाददाता, कानपुर : जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के एलएलआर अस्पताल (हैलट) में लहूलुहान बेटे को लेकर पहुंची बूढ़ी मां उम्मीद लगाए बैठी थी कि बस अब इलाज शुरू हो जाएगा। वहां मौजूद स्टाफ मानवीय संवेदनाएं दिखाएगा और तुरंत बेटे को भर्ती कर लेगा। लेकिन, सबकुछ उम्मीद के विपरीत ही हुआ। वार्ड ब्वॉय आया और बोला-इलाज के लिए 25 हजार रुपये दो। वृद्धा ने जब असमर्थता जाहिर की तो उसने कान की झुमकी और पायल बेचने की सलाह दे दी। इससे आहत वृद्धा ने जब मामले की शिकायत की तो खलबली मच गई।

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शनिवार को गोविंद नगर निवासी शैलेश मारपीट में घायल हो गया। रात में उसकी मां शांति देवी व पिता इलाज के लिए उसे एलएलआर अस्पताल की इमरजेंसी लेकर आए थे। आर्थोपेडिक यूनिट में डॉ. चेतन सिंह की यूनिट थी। शांति देवी का आरोप है कि वहां के एक कर्मचारी ने उससे इंप्लांट एवं दवाओं के लिए 25 हजार रुपये का बंदोबस्त करने के लिए कहा। इतने पैसों का बंदोबस्त करने पर असमर्थता जताई तो जेवरात बेचकर इंतजाम करने की बात कहने लगा। इस बीच फाइल मेडिकोलीगल के लिए ईएमओ के पास गई। वृद्धा ने इमरजेंसी में मौजूद पीआरओ संजय शर्मा को अपनी समस्या बताई। पीआरओ ने इस प्रकरण से ईएमओ डॉ. विनय को अवगत कराया। उन्होंने वृद्धा के बयान मोबाइल में रिकार्ड कर लिए। आर्थोपेडिक यूनिट के जूनियर रेजीडेंट से पूछताछ भी की, लेकिन उन्होंने पैसे लेने की बात से इन्कार कर दिया। इस पर वहां मौजूद वार्ड ब्वॉय को बुलाया तो वृद्धा उसे पहचान गई। इसके बाद ईएमओ ने पूरे प्रकरण से इमरजेंसी प्रभारी डॉ. एसके सिंह को अवगत कराया। रात में ही डॉ. एसके सिंह ने वहां मौजूद सभी कर्मचारी से पूछताछ की। अस्पताल में आवंटित कर्मचारियों के लॉकर खोलने के लिए कहा। कर्मचारियों का कहना था कि चाबी लेकर नहीं आए हैं।

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अस्पताल में हर स्तर पर बिचौलिए

अस्पताल में वसूली की बात नई नहीं है। हर स्तर पर बिचौलिए सक्रिय हैं। इसमें आपरेशन, दवाओं एवं जांच के नाम पर खेल होता है। अस्पताल की दवाएं तक बेची जाती हैं। बावजूद इसके अस्पताल प्रशासन अंकुश नहीं लगा पा रहा है। हर बार ही जांच के नाम पर लीपापोती शुरू हो जाती है।

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बोले जिम्मेदार

मरीजों से इलाज के नाम पर पैसे मांगना गंभीर अपराध है। इस पूरे प्रकरण से सोमवार को सीएमएस एवं प्रमुख अधीक्षक को अवगत कराएंगे। उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए लिखा जाएगा।

- डॉ. एसके सिंह, प्रभारी, एलएलआर इमरजेंसी।


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