व्यावसायिक शिक्षा मंत्री बोले-हकीकत में नहीं हुआ युवाओं का कौशल विकास तो केंद्र पर बंद होगा ताला Kanpur News
कपिल देव अग्रवाल ने कहा कि कौशल विकास केंद्रों में की जाएगी छापेमारी गुणवत्तायुक्त शिक्षा न मिलने पर कार्रवाई।
कानपुर, जेएनएन। व्यावसायिक शिक्षा व कौशल विकास राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) कपिलदेव अग्रवाल कौशल निखारने के नाम पर चल रहे प्रमाणपत्र के खेल से नाखुश हैं। उनका कहना है कि प्रमाणपत्र नहीं हकीकत में युवाओं का कौशल विकास चाहिए और ऐसा न हुआ तो केंद्र पर ताला बंद होना तय है। वह शुक्रवार को दैनिक जागरण कार्यालय में पत्रकारों से वार्ता कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि कौशल विकास की मंशा खास तौर पर उन युवाओं को रोजगार देने की है जो इंटर या उससे कम पढ़ पाए हैं। मन पसंद काम सीखकर वह आगे बढ़ें, इसीलिए कौशल विकास केंद्र खोले गए लेकिन कई जगह देखने में आया है कि इन केंद्रों ने प्रशिक्षण के बजाय सिर्फ प्रमाणपत्र ही बांटे। कई तो प्रशिक्षण देकर बंद हो चुके हैं और पुराना भुगतान मांग रहे हैं लेकिन जो युवाओं को रोजगार नहीं दिला पाए, उन्हें भुगतान नहीं दिया जा सकता। अब नए सिरे से केंद्र शुरू किए जा रहे हैं और एक माह में वह प्रशिक्षण शुरू कर देंगे। समय-समय पर इनका असेसमेंट कराने के साथ ही परफार्मेंस बेस्ड मॉनीटङ्क्षरग होगी।
अगर गुणवत्ता सही न मिली तो केंद्र चल नहीं पाएगा। इसके अलावा एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) में जिस जिले का जो उत्पाद है, उसी के अनुरूप प्रशिक्षण देने की भी योजना है ताकि वे उद्योग भी फल-फूल सकें। छात्र-छात्राओं को लघु एवं मध्यम उद्योगों में अप्रेंटिसशिप न मिलने की समस्या बताए जाने पर उन्होंने कहा कि समन्वय से रास्ता तलाशेंगे ताकि उद्योग बेधड़क प्रशिक्षण देकर युवाओं को अपने साथ जोड़ें।
आइटीआइ-पॉलीटेक्निक के पाठ्यक्रमों की समीक्षा
आइटीआइ पांडुनगर के निरीक्षण के दौरान मंत्री ने बताया कि अधिकारियों से बात कर आइटीआइ और पॉलीटेक्निक के पाठ्यक्रमों की समीक्षा की जा रही है। जिन ट्रेड की अब उद्योग जगत में बहुत कम जरूरत है, उन्हें ऐसी दूसरी ट्रेड में मिलाया जा सकता है जिनकी मांग बढ़ी है। कुछ नई ट्रेड भी शुरू की जा सकती हैं।
बढ़ेंगे आइटीआइ और अनुदेशक
मंत्री ने बताया कि प्रदेश भर में आइटीआइ की संख्या बढ़ाई जाएगी। इसमें प्राइवेट आइटीआइ की संख्या भी बढ़ेगी। इसका मकसद ज्यादा से ज्यादा युवाओं को तकनीकी रूप से दक्ष करना है। 181 आइटीआइ का प्रस्ताव तैयार किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की आइटीआइ में अनुदेशकों की कमी पूरी करने के लिए जल्द नियुक्ति की जाएगी।
मोटर कंपनियों की वर्कशॉप जैसा प्रशिक्षण ले रहे छात्र-छात्राएं
आइटीआइ प्रधानाचार्य केएम सिंह ने कहा कि ये सही है कि उद्योग की जरूरत और पाठ्यक्रम के बीच बड़ी खाई है जिसकी वजह से पढ़ाई के बाद नौकरी करते वक्त छात्र-छात्राओं को काफी दिक्कत आती है। मैंने ये दिक्कत खुद फेस की है। अब दिक्कत दूर करने के लिए टाटा, हांडा, टोयटा जैसी कंपनियों ने आइटीआइ परिसर में अपनी वर्कशॉप जैसा सेटअप बनाया है, वहां सप्ताह में एक दिन उनके इंजीनियर जबकि बाकी दिन आइटीआइ के अनुदेशक प्रशिक्षण दे रहे हैं। इससे अब कंपनियों को उनकी मंशा के अनुरूप कुशल कामगार मिलेंगे।