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गदनपुर के ग्रामीणों ने समझा गणतंत्र, ग्राम प्रधान के खिलाफ ले आए अविश्वास प्रस्ताव

विकास कार्य से असंतुष्ट थे, चुनाव बाद मतदाताओं द्वारा संवैधानिक अधिकारों के इस्तेमाल का कानपुर में पहला मामला।

By AbhishekEdited By: Published: Fri, 25 Jan 2019 02:27 PM (IST)Updated: Fri, 25 Jan 2019 04:29 PM (IST)
गदनपुर के ग्रामीणों ने समझा गणतंत्र, ग्राम प्रधान के खिलाफ ले आए अविश्वास प्रस्ताव
गदनपुर के ग्रामीणों ने समझा गणतंत्र, ग्राम प्रधान के खिलाफ ले आए अविश्वास प्रस्ताव
कानपुर, जागरण संवाददाता। यह बिल्हौर विकासखंड का छोटा सा गांव गदनपुर चोरसा है। मगर यहां की टूटी-फूटी और धूल धूसरित पगडंडियों से देशभर के जनप्रतिनिधियों के लिए संदेश चल पड़ा है कि मतदाता चुनाव जिता सकते हैं तो विकास न कराने पर हटाने का अधिकार भी उन्हें गणतंत्र ने दिया है। इसी अधिकार का इस्तेमाल कर ग्रामीण एकजुट होकर ग्राम प्रधान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ले आए हैं। लोकतंत्र की नजीर का यह कानपुर में तो पहला मामला है।
गदनपुर चोरसा गांव की आबादी लगभग पांच हजार, जबकि मतदाता 1969 हैं। 2015 में हुए चुनाव में सबसे अधिक वोट देकर मतदाताओं ने नूरबानो पत्नी जमील अहमद को ग्राम प्रधान चुना। अभी उनके कार्यकाल को करीब डेढ़ साल ही हुआ है कि आधे से अधिक मतदाता उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ले आए। 1969 ग्राम सभा सदस्यों में से 1154 के हस्ताक्षर 19 जनवरी को प्रस्तुत प्रस्ताव पर हैं।
संविधान से न जीत सका सत्यापन में अडंग़ा
अविश्वास प्रस्ताव पर दर्ज हस्ताक्षर और अंगूठे के निशान का सत्यापन उप्र पंचायत राज अधिनियम 1947 की धारा 14 के अधीन नियम 33 ख के तहत गत दिवस कराया गया। इसके लिए दो सहायक विकास अधिकारी नामित किए गए। सत्यापन प्रक्रिया रोकने को कुछ लोगों ने हंगामा कर दिया, जिससे प्रक्रिया रुक गई। मगर, 401 सदस्यों के हुए सत्यापन में 341 के हस्ताक्षर सही पाए गए, जो 85 फीसद से अधिक थे।
तीन फरवरी को होगा प्रस्ताव पर मतदान
अगली प्रक्रिया के तहत तीन फरवरी को प्रस्ताव पर मतदान होगा। सहायक विकास अधिकारी भीतरगांव अवधेश कुमार को मतदान अध्यक्ष नामित किया गया है। यदि इस मतदान में ग्राम प्रधान नूर बानो हार जाती हैं तो उनकी प्रधानी खत्म हो जाएगी और फिर ग्राम पंचायत में दोबारा चुनाव होगा। इसकी मुनादी कराई जा रही है।
क्या बोले अधिकारी
ग्राम प्रधान नूर बानो की शिकायत ग्रामीण बार-बार कर रहे थे कि वह विकास कार्य नहीं करा रहीं। इसी वजह से जागरूक ग्रामीणों ने संविधान में मिले अधिकार का इस्तेमाल किया और आधे से अधिक ग्रामीण सहमति से अविश्वास प्रस्ताव ले आए। जनता की जागरुकता का यह बड़ा संदेश है। कानपुर में यह पहला मामला है।
-सर्वेश कुमार पांडेय, जिला पंचायत राज अधिकारी कानपुर 

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