Vikas Dubey News : मोस्टवांटेड विकास दुबे ने पीपीएन कॉलेज से बीए करते हुए छात्र राजनीति में खूब की फंडिंग
शातिर विकास दुबे ने वर्ष 1992 में पीपीएन कॉलेज में बीए करने के दौरान छात्र राजनीति में घुसपैठ बनानी शुरू की। वह खुद तो चुनाव नहीं लड़ा लेकिन कई छात्रों को नेता बना दिया।
कानपुर [शिवा अवस्थी]। बिकरू कांड में वांछित पांच लाख के इनामी दुर्दांत विकास दुबे ने पीपीएन कॉलेज से बीए की पढ़ाई करते हुए छात्र राजनीति से जरायम की ओर कदम रखने शुरू कर दिए थे। उसने छात्र राजनीति में फंडिंग करके जरायम की दुनिया को खूब आबाद करते हुए आक्रामक युवाओं की टोली बनाकर अवैध कारोबार में इस्तेमाल किया। कमाई की ललक में तमाम युवा उसके जाल में फंसकर अपनी जिंदगी बर्बाद कर बैठे तो कई रंक से राजा भी बन गए। पांच साल सक्रिय रहने के बाद वह प्रमुख कॉलेजों की छात्र सियासत का 'बैक बोन' बना रहा। इनमें से कुछ छात्र नेता ऊंची सियासी कुर्सियों तक पहुंचे और उसकी ढाल बने रहे।
पीपीएन में पढ़ाई के दौरान गया था जेल : शातिर विकास ने वर्ष 1992 में पीपीएन कॉलेज में बीए करने के दौरान छात्र राजनीति में घुसपैठ बनानी शुरू की। वह खुद तो चुनाव नहीं लड़ा, लेकिन कई छात्रों को नेता बना दिया। इसके बदले में ये छात्र नेता उसके मोहरे बन गए। वर्ष 1997 तक छात्र राजनीति से सीधा दखल रहा। इस बीच, चौबेपुर इलाके के आक्रामक छात्रों और युवाओं को साथ जोड़कर पैतृक गांव बिकरू और आसपास के इलाके में धमक बनाई। एक वारदात में वह जेल गया तो मनबढ़, तेज तर्रार छात्र नेता और महत्वाकांक्षी तमाम युवा उसके शागिर्द बनते चले गए।
अपराधियों से मिलकर बढ़ा आगे : पुलिस सूत्रों के मुताबिक छात्र राजनीति के दौरान जेल में विकास का संपर्क उस दौर के कुख्यात संजय ओझा, शिशु पंडित, रंगा यादव और नफीस चौड़ा जैसे बदमाशों से हुआ। पिछले महीने मारे गए पिंटू सेंगर से भी उसकी यारी थी। अपराधियों से बारीकियां सीखकर वह धमक के साथ आगे बढ़ता चला गया।
कई माननीयों से रहा प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष जुड़ाव : कानपुर के पीपीएन, वीएसएसडी, बीएनडी, डीएवी, हरसहाय व डीबीएस जैसे बड़े कॉलेजों के कई छात्र नेता भी विवादित प्रापर्टी के धंधे में कूद गए। इसमें विकास उनकी ढाल बनने लगा। मोटी कमाई भी की। इनमें से कुछ छात्र नेता आज अलग-अलग सियासी दलों में ऊंचे पायदान पर हैैं। माननीय भी हैैं, रह चुके हैैं। खनन के खेल में भी विकास के गुर्गों का साथ एक माननीय देते आए हैैं। उसकी छांव में पले-बढ़े कई युवा काकादेव में कुछ कोचिंग संचालकों से रंगदारी भी वसूलते रहे हैं।
जनता पर पकड़ से नेता किए काबू : विकास दुबे हरफनमौला रहा। अधिकांश लोगों को तो दबंगई से हराया। जिनसे लड़ना उचित नहीं समझा, उनके पांव छूकर अपना बना लिया। चौबेपुर विधानसभा क्षेत्र में जनता के बीच मजबूत पैठ के कारण हर दल के नेता उससे वोट-सपोर्ट मांगने लगे। राजनीतिक रंजिशें शुरू हुईं तो श्रम संविदा बोर्ड के चेयरमैन और दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री संतोष शुक्ला की विकास ने थाने के अंदर ही हत्या कर दी। दबंगई का आलम ऐसा कि घटना के समय 25 पुलिसकर्मी थाने में मौजूद थे, लेकिन एक ने भी गवाही नहीं दी। ग्राम प्रधान रहकर सियासी मैदान में वह पहले ही कूद चुका था। फिर, जिला पंचायत सदस्य बना।
नहीं है किसी नशे का लती : ग्रामीणों के मुताबिक दुर्दांत विकास ने दूसरों को नशेबाजी कराई, लेकिन खुद कोई नशे का लती नहीं रहा। इसी कारण उसके साम्राज्य से जुड़ा कोई शख्स उसे कभी धोखा नहीं दे सका। अपराध करने व कराने में माहिर विकास अपने आकाओं के 'प्रबंधन' के जरिये बचता रहा।