Vikas Dubey News: विकास ने 100 बार देखी ये फिल्म, असल जिंदगी में दोहराए कई फिल्मी सीन
फिल्मी नायक की तरह रिचा को भगाकर शादी की थी फिल्म अभिनेता के किरदार से काफी प्रभावित हो गया था।
कानपुर, जेएनएन। पांच लाख के इनामी अपराधी विकास दुबे की जिंदगी से लेकर मौत तक के तमाम पहलू फिल्मी अंदाज में गुजरे। वर्ष 1999 में रिलीज हुई एक फिल्म को उसने सौ से भी ज्यादा बार देखा था और उसके अभिनेता के किरदार को अपनी जिंदगी में फिट बिठाए। विकास फिल्म के अभिनेता से काफी प्रभावित हो गया था और कई फिल्मी सीन उसने असल जिंदगी में भी दोहराए।
बचपन से रहा फिल्में देखने का शौक
बचपन में विकास कानपुर के शास्त्री नगर, काकादेव, गीता नगर व आसपास मोहल्लों में पला-बढ़ा। उसे फिल्में देखने का शौक शुरू से था। वर्ष 1999 में जब वह अपराध की दुनिया में तेजी से कदम बढ़ा रहा था तभी सिनेमाघरों में प्रदर्शित हुई 'अर्जुन पंडित' फिल्म देखी। इस थ्रिलर फिल्म अभिनेता सनी देओल एक ताकतवर व्यक्ति के किरदार में दिखते हैं। वह धोखा खाने के बाद गैंगस्टर बनते हैं। ठीक वैसे ही विकास ने भी शुरुआती जीवन में कई बार धोखे खाए। इससे खुद की जिंदगी को फिल्मी अंदाज में ढाला। पुलिस, प्रशासन व दबंगों के बीच खुद को 'विकास पंडित' के रूप में पेश किया। करीबी बताते हैं कि यह फिल्म उसने करीब 100 बार देखी थी। खुद को फिल्म के अभिनेता की जगह फिट कर जिंदगी के सीन दोहराए। जब किसी ने उसे छेड़ा तो फिर किसी को छोड़ा नहीं। घटनाएं करने के बाद फरारी काटने से लेकर सरेंडर करने का अंदाज हर बार फिल्मी रहा।
खुद की अदालत में फैसला ऑन द स्पॉट
विकास दुबे कानपुर के गीता नगर के साथ गांव बिकरू में सीधी अदालत लगाता था। इसमें जमीन के मामलों, आपसी रंजिश, उससे जुड़े किसी व्यक्ति को परेशान करने वालों को लेकर ऑन द स्पॉट फैसले सुनाता था। करीबी बताते हैं कि उसकी अदालत में अनसुनी करने पर कई बार संबंधित को मार तक पड़ती थी।
जमीनों के धंधे से जरायम की हर आजमाइश
विकास की दबंगई की शुरुआत जमीनों के धंधे से हुई जबकि जरायम के हर काम में हाथ आजमाया। नेपाल सीमा से तमाम अवैध सामान की तस्करी कराई। शराब माफिया से जुड़ाव रखा तो अवैध खनन में मददगार बना।
चौबेपुर-बिल्हौर की फैक्ट्रियों में दिलाई नौकरियां
विकास दुबे ने बिल्हौर, चौबेपुर, शिवली से लेकर कन्नौज की सीमा तक खूब सिक्का चलाया। उद्योगपतियों को जमीनें दिलवाने में जमकर कमाई की। बदले में ग्रामीण क्षेत्र के युवाओं को उनके उद्यमों में नौकरियां दिलाकर मसीहा भी बन गया। उसकी सिफारिश पर सैकड़ों की संख्या में युवक नौकरियां कर रहे हैं। इसका फायदा चुनाव के दौरान जनप्रतिनिधियों के साथ युवाओं के स्वजन को खड़ाकर उठाया।