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Vikas Dubey News: जानिए, अचानक क्यों बाहर आया विकास, जब एनकाउंटर में मारे जा चुके थे पांच साथी

Vikas Dubey Kanpur Latest News छह पुलिसकर्मियों की हत्या के बाद पुलिस ने विकास दुबे से पहले उसके करीबी गुर्गों को ढेर किया जबकि उसका गैंग अभी सुरक्षित है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Sat, 11 Jul 2020 01:26 PM (IST)Updated: Sat, 11 Jul 2020 01:27 PM (IST)
Vikas Dubey News: जानिए, अचानक क्यों बाहर आया विकास, जब एनकाउंटर में मारे जा चुके थे पांच साथी
Vikas Dubey News: जानिए, अचानक क्यों बाहर आया विकास, जब एनकाउंटर में मारे जा चुके थे पांच साथी

कानपुर, [गौरव दीक्षित]। अक्सर अपराधी कोई बड़ा अपराध करने के बाद पुलिस से बचने के लिए सुरक्षित जगह छिप जाते हैं या फिर बचकर भागते रहते हैं। कुछ ऐसा ही विकास दुबे के साथ भी हुआ वह सात दिन तक पुलिस की नजरों से बचकर भागता रहा लेकिन अचानक महाकाल मंदिर में दर्शन करने के बाद लोगों की नजरों में आ गया। इस बात को लेकर आम लोगों के बीच भी कई सवाल उठ रहे हैं। अगर उसे उज्जैन से लाने वाले पुलिस कर्मियों की बात पर यकीन किया जाए तो विकास अपनों की मौत से काफी टूट गया था क्योंकि पुलिस ने इस बीच मुठभेड़ में उसके पांच करीबियों को एनकाउंटर में मार गिराया था। वैसे पुलिस रिकार्ड में विकास के गैैंग में कुल 12 सदस्य थे लेकिन अभी उसके गैैंग का तनिक भी बाल-बांका नहीं हुआ।

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पुलिसिया दस्तावेज बताते हैैं कि 17 साल की उम्र में आपराधिक दुनिया में कदम रखने वाला विकास दुबे 35 साल तक बेखौफ होकर आपराधिक वारदातें करता रहा और पुलिस सिर्फ चिरौरी में लगी रही। उसके खिलाफ जो भी कार्रवाई हुई, दिखावे के लिए हुई। उसके सियासी आका हमेशा बचाते रहे। हर दल में उसकी तगड़ी पैठ रही। विकास का गैैंग (डी-124) 30 जून 2018 को पंजीकृत हुआ। यह तत्कालीन एसएसपी अखिलेश कुमार के आदेश से हुआ। गैैंग में विकास के साथ कुल 12 सदस्य हैं।

इनमें सबसे खास सदस्य सुज्जापुर भीटी निवासी विष्णुपाल सिंह उर्फ जिलेदार प्रधान है। दो जुलाई को आठ पुलिसकर्मियों की हत्या में विकास के साथ सिर्फ जिलेदार सिंह ही नामजद है। गिरोह के बाकी बचे 10 बदमाश न नामजद किए गए, न ही उनका कोई अता-पता है। यह भी हैरानी की बात है कि विकास का सिक्का कई राज्यों तक चलता था, लेकिन उसके गैैंग में कानपुर से बाहर का कोई सदस्य नहीं है। पुलिसकर्मियों की हत्या में 21 नामजद आरोपितों में 12 फरार हैैं। तीन जेल में और छह मारे जा चुके। पुलिस ने जिन्हें मारा या पकड़ा है, वे सभी उसके खानदानी, पड़ोसी या करीबी ही हैं।

अमर और अतुल के एनकांउटर पर बाहर आ गया विकास

विकास दुबे शायद अभी भी पुलिस की पकड़ में नहीं आता, अगर पुलिस के हाथों उसके करीबी साथी नहीं मारे गए होते। साथियों के लगातार मारे जाने से ही वह टूट गया था। विकास को उज्जैन से लेने गई एसटीएफ टीम के अधिकारियों के मुताबिक मध्य प्रदेश से उनको जानकारी हुई कि विकास दुबे बाहर से कड़ा दिखाई देने की कोशिश कर रहा था, लेकिन अंदर से टूट चुका था। उसके पीछे बड़ा कारण उसके करीबियों का मारा जाना था। विशेष कर अमर दुबे, अतुल दुबे की मौत से वह बहुत दुखी था। उसने संतोष व्यक्त किया था कि उसकी गिरफ्तारी के बाद एनकाउंटर बंद हो जाएंगे। उसे इस बात की भी चिंता थी कि जब वह जेल से छूटकर गांव जाएगा तो उन परिवारों को क्या जवाब देगा, जिनके अपनों को पुलिस ने मुठभेड़ में मार दिया।


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