Bikru Case Update: एक और रहस्य से उठा पर्दा, चेकिंग होती तो पहले दिन ही पकड़ा जाता विकास दुबे
Bikru Case Update Kanpur कानपुर देहात पुलिस थानों को सतर्कता का संदेश देने में इतना व्यस्त हो गई कि विकास दुबे भाग निकला था। एसटीएफ सूत्रों के मुताबिक तीन जुलाई को विकास दुबे अमर दुबे और प्रभात मिश्रा ने रामजी उर्फ राधे के घर तुलसीनगर रसूलाबाद में शरण ली थी।
कानपुर, जेएनएन। Bikru Case Update Kanpur 'विकास दुबे भागना नहीं चाहिए...हर जगह नाकेबंदी कर दी जाए। वाहनों की सघन चेकिंग की जाए। पुलिस अलर्ट रहे। रेलवे स्टेशन, बस स्टेशन से लेकर हाईवे...हर जगह नजर रखी जाए।' कुछ ऐसे ही आदेश पिछले साल दो जुलाई की रात शहर से लेकर आसपास जिलों तक के थानों के फोन और वायरलेस पर प्रसारित होते रहे। पुलिस फोर्स सड़कों पर हरकत में आ चुका था। बिकरू से भागे विकास दुबे और उसके गुर्गों की तलाश जारी थी, मगर कानपुर देहात पुलिस क्या वाकई में उस समय अलर्ट थी? यह सवाल अब सबसे महत्वपूर्ण है जहां गैंगस्टर 62 घंटे के दौरान खुलेआम घूमता और छिपता रहा।
सामने आया ये नया तथ्य
एसटीएफ सूत्रों के मुताबिक तीन जुलाई को विकास दुबे, अमर दुबे और प्रभात मिश्रा ने रामजी उर्फ राधे के घर तुलसीनगर, रसूलाबाद में शरण ली थी। दोपहर 12 बजे बाइक से पहले अमर दुबे को रसूलाबाद से करियाझाल पहुंचाया गया और शाम पांच बजे विकास दुबे और प्रभात मिश्रा भी बाइक से ही वहां पहुंचे थे। रसूलाबाद से एक बाइक पर रामजी और अभिनव तिवारी उर्फ चिंटू और दूसरी बाइक पर विकास दुबे व प्रभात सवार होकर चले। एक बाइक रामजी चला रहा था, दूसरी खुद विकास। रास्ते में कोई खतरा न हो, इसलिए विकास ने रामजी को आगे चलने को कहा। रास्ते में विकास की बाइक पंक्चर हो गई। ऐसे में वह व प्रभारी दूसरी बाइक पर सवार हो गए, चिंटू को भी बैठा लिया। रामजी पंक्चर बाइक पर ही आगे-आगे चला और विकास दुबे को सुरक्षित ठिकाने तक पहुंचाया। पंक्चर बाइक की गति बेहद धीमी होगी यानी पीछे चल रही विकास की बाइक भी धीरे-धीरे जा रही होगी। इस पर भी तीन सवारी। लॉकडाउन के दौरान बाइक पर तीन सवारी होने के बावजूद रास्ते में कहीं भी पुलिस ने इन लोगों को रोका-टोका नहीं। इससे जाहिर होता है कि कानपुर देहात पुलिस इतनी बड़ी वारदात के बाद भी लापरवाही बनी हुई थी।
पंजाब से खरीदी गई थी शिव तिवारी की रायफल
विकास दुबे के भांजे शिव तिवारी की सेमी ऑटोमेटिक स्प्रिंग फील्ड रायफल किस गन हाउस से खरीदी गई थी, इसका पता अब एसटीएफ की जांच में चल गया है। इस रायफल को पंजाब के किसी गन हाउस से खरीदा गया था। जिस तरह से बिना सेमी ऑटोमेटिक फंक्शन निष्क्रिय किए रायफल पाई गई, उससे पुलिस की चिंता बढ़ गई है। ऑटोमेटिक फंक्शन के साथ यह रायफल प्रतिबंधित है। एसटीएफ की अब तक की जांच के मुताबिक शिव तिवारी उर्फ आशुतोष तिवारी निवासी बसेन ने 26 मई 2008 को रिवाल्वर का लाइसेंस कराया था, जिसे तत्कालीन डीएम अनिल सागर ने जारी किया था। इसके बाद 16 फरवरी 2014 को तत्कालीन एडीएम वित्त ने शिव को एनपी बोर की रायफल खरीदने का लाइसेंस जारी किया। इस लाइसेंस पर शिव ने स्वदेशी रायफल खरीदी थी। बताया जाता है कि नवंबर 2019 को विकास दुबे ने स्वदेशी रायफल बेच कर पंजाब से सेमी ऑटोमेटिक स्प्रिंग फील्ड रायफल खरीद ली। मुख्य रूप से यह सेना का हथियार था। सेना इसे अपने अफसरों को बेहमद कम मूल्य में बेचती थी। शर्त यह थी कि बेचने से पहले सेमी ऑटोमेटिक फंक्शन निष्क्रिय कर दिया जाए। मगर, जिस तरह से शिव तिवारी की रायफल में सेमी ऑटोमेटिक फंक्शन सक्रिय मिला है, उसने पुलिस को ङ्क्षचता में डाल दिया है। माना जा रहा है कि यह गड़बड़ी अन्य मामलों में भी हुई होगी। जांच की जाए तो गन हाउस संचालक के साथ ही प्रतिबंधित हथियार बेचने का लंबा खेल पकड़ में आ सकता है।
आइजी ने दिए लाइसेंस जांच के आदेश
शिव तिवारी की सेमी आटोमेटिक रायफल का आटोमेटिक फंक्शन निष्क्रिय नहीं किया गया था। दैनिक जागरण की इस खबर का संज्ञान लेते हुए आइजी मोहित अग्रवाल ने मामले में जांच के आदेश दिए हैं। आइजी ने बताया कि लाइसेंस जब एनपी बोर का था तो उसमें प्रतिबंधित हथियार कैसे चढ़ गया। इस मामले की गहनता से जांच कराई जाएगी।
जांच के लिए भेजे जाएंगे मोबाइल व असलहे
गैंगस्टर विकास दुबे, अमर दुबे और प्रभात मिश्र के मोबाइल फोन और मददगारों के पास बरामद हथियारों को फोरेंसिक स्क्रीनिंग के लिए लखनऊ लैब भेजा गया है। डीआइजी डॉ. प्रीतिंदर सिंह ने बताया कि मोबाइलों की यदि वहां पर स्क्रीनिंग नहीं हो पाई तो उन्हें सीबीआइ की फोरेंसिक लैब भेजा जाएगा। हथियारों की भी बैलिस्टिक जांच कराई जाएगी, ताकि यह पता चल सके कि बिकरू में किन किन हथियारों का प्रयोग हुआ था।
जय बाजपेयी के मकान के ध्वस्तीकरण पर कोर्ट में याचिका
विकास दुबे के खंजाची जय बाजपेयी के ब्रह्मïनगर में स्थित मकान के ध्वस्तीकरण पर कोर्ट में याचिका दायर की है। यह मकान सौ वर्ग मीटर में बना है। सौ वर्ग मीटर के भूखंड में नक्शा नहीं पास होता है। इस बाबत केडीए के अधिशासी अभियंता आरआरपी ङ्क्षसह ने बताया कि कोर्ट में दायर याचिका के बाबत जवाब दिया जा रहा है।