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सीएमएम की कोर्ट में पेश किया गया जय, फर्जी पास और सेवन क्रिमिनल एक्ट मामले में न्यायिक रिमांड मंजूर

Bikru Case माती जेल से कानपुर कोर्ट लाये जाने पर परिवार के लोग और दोस्त मिलने के लिए कोर्ट पहुंचे थे करीब दो घंटे में न्यायिक प्रक्रिया पूरी होने के बाद पुलिस उसे वापस माती जेल लेकर चली गई।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Fri, 16 Oct 2020 09:15 PM (IST)Updated: Fri, 16 Oct 2020 09:15 PM (IST)
सीएमएम की कोर्ट में पेश किया गया जय, फर्जी पास और सेवन क्रिमिनल एक्ट मामले में न्यायिक रिमांड मंजूर
बिकरू कांड में आरोपित जय बाजपेयी की सीएमएम कोर्ट में पेशी हुई।

कानपुर, जेएनएन। बिकरू कांड के मास्टरमाइंड विकास दुबे के खजांची जय बाजपेयी का न्यायिक रिमांड मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट (सीएमएम) चिंताराम ने मंजूर कर लिया। उसे विधानसभा सचिवालय का फर्जी पास लगाकर घूमने, बलवा व सेवन सीएलए के मामलों में अदालत में पेश किया गया था। रिमांड स्वीकृति के बाद उसे माती जेल भेज दिया गया।

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शुक्रवार दो अलग-अलग मामलों में सीएमएम कोर्ट ने जय को तलब किया था। पहला मामला फरवरी 2020 में उसके खिलाफ नजीराबाद थाने में दर्ज बलवा, गैर सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और सेवन सीएलए से जुड़ा है। इस मामले में वह अभी तक जय हाजिर नहीं हुआ था। अधिवक्ता शिवाकांत दीक्षित ने उसे तलब करने का प्रार्थनापत्र कोर्ट में दिया था। वहीं जय को तलब करने का दूसरा प्रार्थना पत्र काकादेव पुलिस की ओर से दिया गया था। दरअसल जय अपनी गाड़ी में विधानसभा सचिवालय का पास लगाकर चलता था।

पुलिस ने गाड़ी पकड़े जाने के बाद इसकी तफ्तीश की तो पास फर्जी होने की बात सामने आई। इस मामले में काकादेव पुलिस ने उसके खिलाफ धोखाधड़ी, फर्जी दस्तावेज बनाने और उन्हें प्रयोग करने का मुकदमा दर्ज किया है। इसी मामले में न्यायिक रिमांड लेने के लिए विवेचक ने कोर्ट में अर्जी दी थी। इसके चलते जय को माती कोर्ट से दोपहर 12 बजे लाकर सीएमएम कोर्ट में पेश किया गया। सीएमएम ने उक्त दोनों ही मामलों में न्यायिक रिमांड स्वीकार करते हुए उसे न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया। वहीं विवेचक को जय के बयान लेने की अनुमति दी गई है। विवेचक जेल जाकर उसके बयान दर्ज कर सकेंगे।

परिवार और दोस्त भी पहुंचे

जय के आने की सूचना पर उसके रिश्तेदार और स्वजन भी कोर्ट पहुंचे थे। यहां कई अधिवक्ता भी उसका पहले से ही इंतजार कर रहे थे। जय करीब दो घंटे कोर्ट में रहा।

यह होता है न्यायिक रिमांड

जब किसी व्यक्ति पर कोई मुकदमा चलाया जाता है तो उसे उस मुकदमे में गिरफ्तार करना या सरेंडर करना जरूरी होता है। जिसके बाद कोर्ट व्यक्ति को उस मुकदमे में न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेजती है। इसे ही न्यायिक रिमांड कहते है। अगर कोई व्यक्ति दूसरी जेल में बंद है और मुकदमे से कनेक्ट नहीं है तो उसे तलब कराकर मामले में जोड़ा जाता है।


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