दिवंगत महंत का वीडियो वायरल, लगाए थे गंभीर आरोप
बिठूर के अखंड शिवधाम आश्रम के विवाद के बीच बुधवार को दिवंगत महंत का वायरल हुआ वीडियो।
जागरण संवाददाता, कानपुर : बिठूर के अखंड शिवधाम आश्रम के विवाद के बीच बुधवार को दिवंगत महंत स्वामी स्वयं प्रकाशानंद का एक वीडियो वायरल हुआ। वायरल वीडियो उनकी मृत्यु के दो महीने पहले का बताया जा रहा है, जिसमें कुछ मीडिया वालों से बातचीत के दौरान वह कह रहे हैं कि सुधीर तिवारी ने आश्रम की जमीन पर कब्जा कर लिया है। अगर आश्रम की जमीन खाली नहीं कराई गई तो वह मुख्य द्वार पर ही ही आत्महत्या कर लेंगे। जिला प्रशासन उनकी शिकायतों को कोई संज्ञान नहीं ले रहा है।
महंत स्वामी स्वयं प्रकाशानंद का निधन 10 मई को हो गया था। 25 मई को षोडसी कार्यक्रम के बाद आश्रम पर कब्जे को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। आश्रम परिसर की पहले मंजिल पर रहने वाली डॉ. रेनू तिवारी ने दावा किया था कि महंत स्वामी स्वयं प्रकाशानंद ने एक समिति का गठन कर उन्हें उसका अध्यक्ष बनाया था, इस लिहाज से आश्रम संपत्तियों की देखरेख की जिम्मेदारी उनकी है। तमाम हिदूवादी संगठन, राजनैतिक दलों से जुड़े लोग इस प्रकरण को लेकर रुचि प्रदर्शित कर रहे हैं। बुधवार को एक वीडियो तेजी के साथ इंटरनेट मीडिया पर वायरल हुआ।
खास बात यह है कि सुधीर तिवारी आश्रम संपत्ति पर दावा ठोकने वाली डॉ. रेनू तिवारी के पति हैं और जर्मनी में रहते हैं। अब सवाल यह उठता है कि अगर दिवंगत महंत अपनी संपत्ति की देखरेख की जिम्मेदारी इस परिवार को दे गए हैं तो दो महीने पहले ऐसा क्या हुआ था कि वह उनसे आश्रम खाली कराने के लिए गुहार लगाते घूम रहे थे। दैनिक जागरण इस वायरल वीडियो की पुष्टि नहीं करता है। प्रकरण में दूसरे पक्ष के स्वामी ब्रजानंद अवधूत ने जागरण के साथ हुई बातचीत में अपनी स्थिति स्पष्ट की। उन्होंने बताया कि वह स्वामी स्वयं प्रकाशानंद के शिष्य हैं। बिठूर का यह आश्रम अखंड आश्रम श्रंखला का आश्रम है। अखंड आश्रम पद्धति के देश में करीब 300 आश्रम हैं। बिठूर के आश्रम की जमीन भी अखंड शिवधाम आश्रम के नाम पर है, जिसकी स्थापना बरसों पहले स्वामी अखंडानंद के शिष्य व स्वयं प्रकाशानंद के गुरुभाई स्वामी शिवानंद जी ने की थी। उनकी मृत्यु के बाद संपत्ति कर देखरेख स्वयं प्रकाशानंद के हाथों में आ गई। आश्रम पद्धति के मुताबिक उनके न रहने के बाद अब अखंड आश्रम से जुड़ा व्यक्ति ही अगला महंत हो सकता है। स्वामी प्रकाशानंद की यह निजी संपत्ति नहीं थी, ऐसे में इस पर किसी भी प्रकार का निर्णय लेने का अधिकार उन्हें नहीं था। आरोप लगाया कि डॉ. रेनू तिवारी, उनके पति सुधीर तिवारी कुछ राजनैतिक लोगों व भूमाफिया के साथ मिलकर फर्जी दस्तावेज तैयार करके मंदिर संपत्ति को हड़पने की कोशिश कर रहे हैं।