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महिला के लिए देवदूत बना सिपाही, दस साल बाद सिर्फ आंसुओं से बयां हुए सारे दर्द

लूट के एक मामले में जांच के एसओजी टीम के साथ फर्रुखाबाद के नवाबगंज थानांतर्गत एक गांव में पहुंचे सिपाही को महिला की दर्दभरी कहानी ने झकझोर दिया। सिपाही ने दस हजार रुपये में बिकी महिला को पति से मिलवाया।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Fri, 23 Oct 2020 08:40 AM (IST)Updated: Fri, 23 Oct 2020 08:40 AM (IST)
महिला के लिए देवदूत बना सिपाही, दस साल बाद सिर्फ आंसुओं से बयां हुए सारे दर्द
सिपाही की मदद से महिला दस साल बाद पति से मिली।

कानपुर, जेएनएन। फर्रुखाबाद के एक गांव में दस साल से पल-पल परिवार से मिलन के लिए तड़प रही महिला के लिए बुधवार की सुबह एसओजी का एक सिपाही देवदूत बनकर आया। उसकी दर्दभरी दास्तां सुनकर सिपाही का दिल भी भर आया। घर से गुस्से में निकली महिला दस हजार में बेच दी गई थी और तब से अबतक जिंदा लाश की तरह यातनाएं ही सहती जा रही थी। उसे इंतजार था उस सुबह का जब वह अपने पति और चार बच्चों से मिल सकेगी और आखिर वो सुबह आ ही गई।

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आंसुओं में बयां हुए सारे दर्द

तीन दिन पहले लूट के मामले में जांच कर रही एसओजी टीम फर्रुखाबाद के नवाबगंज थाना क्षेत्र के गांव जसमापुर आई थी। टीम में शामिल सिपाही सुनील दुबे गांव में पूछताछ के दौरान एक महिला के मुंह से पूर्वांचल की भाषा सुनी तो पूछताछ कर बैठा। तब फिल्मी पटकथा सी उसकी दर्दभरी कहानी सामने आई। इसपर सिपाही ने कुशीनगर में अपने साथी सिपाही मदद से महिला के पति को सूचना भिजवाई। जानकारी मिलते ही कुशीनगर से उसका पति जसमापुर आ गया। एक-दूसरे को सामने देखकर दोनों की आंखें भर आईं और बिना कुछ बोले आंसुओं से ही सारा दर्द बयां कर दिया।

घर छोड़कर निकली दस हजार में बिक गई

कुशीनगर के रामकोला क्षेत्र के गांव अहिरौली निवासी महिला ने बताया कि वर्ष 2010 में पति से विवाद होने पर वह घर से निकल आई थी। इस बीच मदद का भरोसा देकर कुछ लोगों ने उसके जेवर लूट लिए। इसके बाद कुछ लोग उसे फुसला कर फर्रुखाबाद ले आए और एक ग्रामीण के हाथों दस हजार रुपये में बेच दिया। लोग उससे काम कराते और विरोध करने पर पिटाई करके तरह तरह की यातनाएं देते। जब कोई रास्ता नजर नहीं आया तो मजबूरन जिंदगी जीने की आदत डाल ली और विवाहेत्तर संबंध में तीन बच्चों को भी जन्म दिया। लेकिन, उसे हर पल अपने पति और बच्चों को याद करती थी और सोचती थी कि कब उनसे मिलन होगा।

खुशी से फूला नहीं समाया पति

कुशीनगर से आए पति ने कहा कि जब पत्नी के जिंदा होने की जानकारी मिली तो परिवार खुशी से फूला नहीं समाया। इतने वर्षों तक घर न लौटने की वजह से वह सभी तो मृत मान चुके थे। बुधवार को चार बच्चों और दो बेटी को लेकर जसमापुर आया पति पुलिस की मदद से पत्नी को लेकर चला गया। पुलिस अधीक्षक डॉ. अनिल कुमार मिश्रा ने बताया कि महिला अपनी सहमति से पति के साथ चली गई है।


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