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बैंकॉक-टू-कानपुर : किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है विपिन की कहानी

सब्जी बेचना रास नहीं आया तो जल्द अमीर बनने के लिए बन गया सोने का तस्कर।

By AbhishekEdited By: Published: Mon, 27 May 2019 07:33 PM (IST)Updated: Tue, 28 May 2019 10:19 AM (IST)
बैंकॉक-टू-कानपुर : किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है विपिन की कहानी
बैंकॉक-टू-कानपुर : किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है विपिन की कहानी

कानपुर, जेएनएन। आर्यनगर में रहने वाले विपिन की असल जिंदगी की दास्तां किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। अस्सी के दशक में आने वाली फिल्म में सोने की तस्करी कहानी का मुख्य हिस्सा होती थी, कुछ ऐसी ही कहानी विपिन की है। वाराणसी एयरपोर्ट पर सोने की तस्करी में पकड़े गए विपिन को पिता व भाई के साथ सब्जी बेचना रास नहीं और जल्द अमीर बनने के लिए इस धंधे में कूद गया। विपिन ही नहीं सोने के तस्करी में अबतक पकड़े गए तस्करों का लिंक कानपुर से है। कानपुर सोने की तस्करी का बड़ा गढ़ बन गया है। पहले बांग्लादेश से हावड़ा होते हुए सोना ट्रेन और सड़क मार्ग से आता था लेकिन अब इसकी राह बदल गई है। अब यह सीधे बैंकॉक से यूपी या बिहार के किसी एयरपोर्ट के रास्ते आ रहा है।

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जल्द अमीर बनने की चाह ने बना दिया तस्कर

आर्यनगर क्षेत्र में एक सर्विस लेन में सर्वेंट क्वार्टर में किराये पर रहने वाले दीनदयाल गुप्ता के पुत्र विपिन को जल्द अमीर बनने की चाह ने तस्करों का साथी बना दिया। शुक्रवार देर रात वाराणसी एयरपोर्ट पर डेढ़ किलो सोने के छल्लों के साथ पकड़ा गया विपिन गुप्ता कुछ वर्ष पहले कानपुर में आर्यनगर में रहता था। मकान नंबर 8/55 के सर्वेंट क्वार्टर में रहने वाला विपिन अपने घर में तीन भाइयों में सबसे छोटा है। पिता दीनदयाल गुप्ता, बड़े बेटे शिवलाल गुप्ता के साथ सब्जी का ठेला लगाते हैं। शिवलाल गुप्ता के मुताबिक विपिन ने इंटर तक की पढ़ाई की थी। इसके बाद कुछ समय उसने साथ में सब्जी बेचने का काम किया, लेकिन करीब पांच वर्ष पहले वह कोलकाता चला गया था। उसके बाद से वह कभी कभार ही कानपुर आया। वहां वह सोने के तस्करों के संपर्क में आ गया और बैंकॉक से सोने की तस्करी करने लगा। परिवार ट्रेन में एसी कोच में यात्रा करने की नहीं सोच सकता, उसी परिवार का छोटा लड़का सोने की तस्करी के लिए हवाई जहाज में उडऩे लगा।

गया में भी पकड़ा जा चुका है विपिन

तीन वर्ष पहले बैंकॉक से सोना लाते समय विपिन को कस्टम विभाग के अधिकारियों ने पकड़ा था। शिवलाल गुप्ता के मुताबिक उसे गया एयरपोर्ट पर पकड़ा गया था। छह माह बाद वह जमानत पर छूटा था। इसके बाद बमुश्किल एक-दो बार ही कानपुर आया था।

कानपुर बना सोना तस्करी का गढ़

हावड़ा से कानपुर सोना लाते समय कई बार कस्टम अधिकारी तस्करों को पकड़ चुके हैं। खासतौर पर चंदौली में बड़ी संख्या में ऐसे लोग पकड़े गए। अब बैंकॉक से फ्लाइट के जरिए सोना लाया जा रहा है। बैंकॉक से आने वाले सोने में कानपुर से जुड़े चार मामले सामने आ चुके हैं। मार्च में चक्रधर के पकड़े जाने के बाद वाराणसी में विपिन गुप्ता को पकड़ा गया था। शनिवार को लखनऊ एयरपोर्ट पर कानपुर के ट्रांसपोर्ट नगर निवासी अनुज गुप्ता और डब्ल्यू ब्लाक केशव नगर निवासी रत्नेश वर्मा पकड़े गए हैं, वह भी बैंकॉक से सोना लेकर आ रहे थे।

मुखबिरों से बचने को बदली राह

कस्टम अधिकारियों के मुताबिक जिस तरह से बैंकॉक से सोने की तस्करी शुरू हुई है, उससे तो यही लगता है कि तस्कर हावड़ा के मुखबिरों से बचने का प्रयास कर रहे हैं, इसलिए उन्होंने राह बदली है।

पकड़े जाने पर खुद को रेडीमेड कारोबारी बताते

सोना तस्कर चक्रधर ने खुद को रेडीमेड कपड़ों का कारोबारी बताया था। हाल ही में पकड़े गए विपिन ने भी परिवार वालों को यही बात बताई थी। विपिन गुप्ता के भाई शिवलाल के मुताबिक जब उन लोगों ने विपिन से पूछा तो उसने बताया था कि वह रेडीमेड गारमेंट का काम करता है। बैंकॉक से कोलकाता कपड़े लाता है। उन लोगों ने भी सोचा था कि अच्छा है अपना काम शुरू कर लिया लेकिन जब पिछली बार पकड़ा गया तो उसके काम की असलियत पता चली। उन्होंने कहा कि हम तो अपना सब्जी बेचकर ही परिवार चलाने का प्रयास कर रहे हैं।  

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