पोलैंड के जलवायु सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र ने कानपुर के इस स्टार्टअप को दिया विशेष सम्मान
सम्मेलन में गंगा स्वच्छता से जुड़े भारतीय स्टार्टअप को दुनिया का पहला लाभकारी समाधान बताया गया।
कानपुर, जेएनएन। मंदिरों से निकलने वाले हजारों टन फूलों के अपशिष्ट की रीसाइकिलिंग कर गंगा नदी की सफाई में जुटे एक भारतीय स्टार्टअप को केटोविस (पोलैंड) में चल रहे जलवायु सम्मेलन के दौरान संयुक्त राष्ट्र (यूएन) ने विशेष सम्मान से नवाजा है। यह स्टार्टअप फूलों के अपशिष्ट से सुगंधित अगरबत्ती, धूपबत्ती, कार्बनिक उर्वरक और पैकेजिंग सामग्री तैयार करता है।
संयुक्त राष्ट्र ने इस पहल की प्रशंसा करते हुए कहा, उत्तर प्रदेश का 'हेल्प अस ग्रीन' मंदिरों से निकलने वाले अपशिष्ट के समाधान में जुटा है। अपनी तरह का यह दुनिया का पहला लाभकारी समाधान है। इस पहल से करीब 1260 महिलाएं जुड़ी हुई हैं। यह स्टार्टअप इन महिलाओं के जरिये उत्तर प्रदेश के मंदिरों से रोजाना 8.4 टन फूलों का अपशिष्ट एकत्र करता है। इन अपशिष्ट फूलों को चारकोल मुक्त अगरबत्ती, आर्गेनिक वर्मीकंपोस्ट और बॉयोडिग्रेडबल पैकेजिंग मैटेरियल में तब्दील किया जाता है। इस प्रक्रिया में फ्लावरसाइकिलिंग' तकनीक अपनाई जाती है। इस भारतीय स्टार्टअप के साथ ही दुनिया के 13 अन्य देशों में बदलाव लाने वाली पहल को भी मंगलवार को यूनाइटेड नेशंस क्लाइमेट एक्शन अवॉर्ड से सम्मानित किया गया।
युवा ब्रांड एंबेसडर बन चुके हैं अंकित
हेल्पअस ग्रीन स्टार्टअप को शुरू करने वाले अंकित अग्रवाल, उनके मित्र करण रस्तोगी और प्रतीक कुमार, तीनों कानपुर के हैं। इन्होंने आइआइटी की मदद से मंदिरों के निर्माल्य (चढ़ाए जा चुके फूल) से थर्माकोल, ग्रीन लेदर, इको अगरबत्ती का स्टार्टअप शुरू किया था। इसके लिए फोब्र्स की यंग 30 की सूची में पिछले वर्ष शामिल हुए हैं तो संयुक्त राष्ट्र ने करीब दो महीने पहले उन्हें यूएन मूवमेंट आफ चेंज अवार्ड से नवाजा है। साथ ही बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन ने गोलकीपर अवार्ड से नवाजा है।
कानपुर के काकादेव निवासी अंकित अग्रवाल का ग्रीन लेदर प्रोजेक्ट पर्यावरण हितैषी है। साथ ही चमड़े के मुकाबले एक चौथाई सस्ता है। वहीं उनके साथी वोरिक बिजनेस स्कूल इंग्लैंड से एमबीए करने वाले करन रस्तोगी के साथ मिलकर फूलों से अगरबत्ती और खाद तैयार की है। अगरबत्ती के 11 ऐसे उत्पाद बनाए, जो चारकोल (लकड़ी का कोयला अथवा काठ कोयला) रहित हैं। इस चारकोल का धुआं सांस नली के जरिये शरीर में प्रवेश कर नुकसान पहुंचाता है।
इको फ्रेंडली थर्मोकॉल भी बनाया
अंकित अग्रवाल के साथ स्टार्टटप स्थापित करने वाले एमबीए पासआउट प्रतीक कुमार ने उनके साथ मिलकर डेढ़ साल शोध करने के बाद रिसाइकल किए जाने वाला थर्मोकोल विकसित किया। 90 फीसद फूलों से तैयार थर्मोकोल पेट्रोकेमिकल वाले थर्मोकोल से 27 फीसद सस्ता भी है। आइआइटी कानपुर ने परीक्षण के बाद इस पर मुहर लगाई है।