आइजीएसटी के नाम पर दूसरे राज्यों में यूपी के कारोबारियों के करोड़ों फंसे
दूसरे प्रदेश के कारोबारी कानपुर से हो रही खरीद में व्यापारी को माल के मूल्य का तो भुगतान कर रहे हैं। लेकिन वे इंटर स्टेट बिक्री में लगने वाले आइजीएसटी का भुगतान नहीं कर रहे हैं।
कानपुर (जेएनएन)। दूसरे राज्यों के कारोबारियों ने स्थानीय स्तर से माल खरीदने के बाद टैक्स की धनराशि रोक ली है। यह धनराशि अब करोड़ों में पहुंच चुकी है। हालत यह है कि विक्रेताओं को अपनी जेब से यह टैक्स भरना पड़ रहा है। जीएसटी लागू होने के बाद कारोबार कई माह तक प्रभावित था, लेकिन अब धीरे-धीरे खरीद-फरोख्त बढ़ रही है। इस समय कानपुर से पश्चिम बंगाल में तिलहन सबसे ज्यादा जा रहा है। इसमें लाही, अलसी, तिल्ली शामिल हैं।
पश्चिम बंगाल के कारोबारी कानपुर से हो रही खरीद में व्यापारी को माल के मूल्य का तो भुगतान कर रहे हैं। लेकिन वे इंटर स्टेट बिक्री होने की वजह से लगने वाले आइजीएसटी का भुगतान नहीं कर रहे हैं। स्थानीय कारोबारियों के मुताबिक वहां से आने वाले खरीदार यह कह कर टैक्स की राशि का भुगतान रोक रहे हैं कि अगर विक्रेता ने टैक्स की राशि जमा नहीं की तो वह धन उन्हें ही चुकाना पड़ जाएगा। बाजार में स्थिति यह है कि एक व्यापारी के टैक्स के रूप में सात लाख रुपये तक बाकी हैं। लेकिन कारोबार का क्रम ना टूटे इसलिए वे ज्यादा कड़ाई से कुछ बोल भी नहीं पा रहे हैं।
कारोबार पर असर पड़ा
अकेले पश्चिम बंगाल में तिलहन के कारोबारियों के कई करोड़ रुपये फंसे हैं। तिलहन के दो दर्जन से ज्यादा कारोबारियों को वह खुद जानते हैं जिनका धन फंस गया है। इससे कारोबार पर असर पड़ रहा है।
- प्रकाश गुप्ता, तिलहन के कनवेसिंग एजेंट।
लोहा बाजार में संकट
लोहा बाजार में स्क्रैप के मामले में यह संकट आ रहा है और वह भी पंजाब में भेजे जा रहे माल पर। लोहा व्यापार मंडल के अध्यक्ष अतुल द्विवेदी और अफीम कोठी लोहा व्यापार मंडल के महामंत्री मनीष गुप्ता के अनुसार वहां से बाकी भुगतान तो आ रहा है लेकिन टैक्स का हिस्सा रोका जा रहा है।
रिटर्न देखने के बाद धन देने की बात
किस कारोबारी को कितना माल बेचा और कितना टैक्स वसूला इसकी जानकारी जीएसटीआर-एक में दी जानी है। अभी जीएसटीआर-एक रुके हुए हैं और 31 दिसंबर से इनको फाइल करना शुरू किया जाना है। जीएसटीआर-एक में जब कारोबारी टैक्स जमा करने का उल्लेख कर देगा तभी अगले दिन से जीएसटीआर -दो में खरीदार उसे देख सकेगा। कारोबारियों को उसके बाद ही उनका फंसा धन मिल सकेगा।
एक माह तो फंसेगा ही धन
कारोबारियों के मुताबिक जिस माह में माल बेचेंगे, उसके टैक्स का पैसा तो एक माह फंस ही जाएगा क्योंकि जीएसटीआर एक अगले माह ही दाखिल होगा। दूर के राज्य होने की वजह से कारोबारी जानबूझकर टैक्स रोक रहे हैं।