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देश में अपनों ने ठुकराया तो अमेरिका और इटली ने गले लगाया, कानपुर के 17 बच्चों को मिली विदेशी गोद

भारतीय बच्चों को गोद लेने के लिए विदेशी आगे आ रहे हैं कानपुर में अनाथ बच्चों को भारतीयों के रिजेक्ट करने के बाद विदेशी दंपती गोद ले रहे हैं। भारत सरकार की एजेंसी कारा बच्चों को विदेशी नागरिकों को गोद देने का कार्य करती है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Wed, 16 Jun 2021 03:25 PM (IST)Updated: Wed, 16 Jun 2021 05:42 PM (IST)
देश में अपनों ने ठुकराया तो अमेरिका और इटली ने गले लगाया, कानपुर के 17 बच्चों को मिली विदेशी गोद
भारतीय बच्चों को मिल रहा विदेशी प्यार।

कानपुर, आलोक शर्मा। कहते हैं किस्मत अपना रास्ता खुद ही तलाश लेती है, कानपुर के 17 अनाथ बच्चों के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ है। आज जहां विदेश की धरती पर पैर रखने के लिए सपने देखे जाते हैं, वहां इन बच्चों को उनकी किस्तम ने खुद-ब-खुद भेजने की रूपरेखा बना दी है। भारत में अब जब अपनों ने ठुकरा दिया तो इन बच्चों को अमेरिका, इटली और स्पेन ने गले लगाया है। दरअसल, भारतीय बच्चों को गोद लेने के लिए विदेशी बड़े ही ख्वाहिशमंद रहते हैैं। भारत में भले ही अनाथ बच्चों को दंपती नहीं अपनाते हैैं लेकिन विदेशियों की गोद और उनका प्यार खूब मिलता है।

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विदेशियों को बच्चे गोद देती है कारा

भारत सरकार की एजेंसी कारा बच्चों को गोद देने का कार्य करती है। इसमें भारतीय आनलाइन आवेदन करते हैं। दत्तक प्रक्रिया का नियम है कि जिन बच्चों को 16 बार रिजेक्ट कर दिया जाता है, उन्हें फिर विदेशी नागरिकों को गोद देने की प्रक्रिया में शामिल किया जाता है। कानपुर में ऐसे 17 बच्चे हैं, जिन्हें अलग-अलग अभिभावकों ने देखने के बाद गोद लेने से मना कर दिया। भारतीय के ठुकराने के बाद इन बच्चों को विदेशी गोद में जाने का अवसर मिला। यह बताने के लिए ये दो केस काफी हैं...।

Case-1: पांच साल का एक बच्चा 26 जून 2017 को केंद्रीय दत्तक ग्रहण इकाई (कारा) में पंजीकृत हुआ। इस दौरान बच्चा गोद लेने की इच्छा रखने वाले भारतीयों ने उसे 16 बार रिजेक्ट किया। इसके बाद उसे इटली के दंपती लांगवार्डों लूसा और वियाकास्मो एल्वेनिया ने 19 दिसंबर-2019 को गोद लिया और इटली लेकर चले गए।

Case-2: चार साल की बच्ची 24 मार्च 2018 को कारा में पंजीकृत हुई। इस दौरान देश के अलग-अलग हिस्सों में गोद लेने वाले दंपतीयों ने उसे देखकर रिजेक्ट कर दिया। जब भारत में किसी ने उसे गोद नहीं लिया तो बच्ची को विदेशी दत्तक ग्रहण के लिए पंजीकृत किया गया। यहां पहली बार में ही उसे इटली के दंपती ने गोद ले लिया।

जानिए- क्या है गोदनामा का नियम

कारा के नियम के मुताबिक एक बच्चे को सप्ताह में मंगलवार और शुक्रवार को गोद लेने वाले दंपती के सामने फोटो के जरिये आनलाइन प्रस्तुत किया जाता है। कोई बच्चा जब लगातार 16 बार रिजेक्ट कर दिया जाता है तो फिर उसे भारतीय दत्तक ग्रहण के विकल्प से निकालकर विदेशी दत्तक ग्रहण के लिए पंजीकृत कर दिया जाता है। इसके बाद ऐसे बच्चों को विदेशी आनलाइन देख पाते हैं और उनका चयन कर गोद लेते हैं।

किस देश में कितने भारतीय बच्चे

शहर से अभी तक अमेरिका के साथ इटली और स्पेन के ही नागरिकों ने बच्चों को गोद लेने का आवेदन किया है। शहर से पहला बच्चा तीन सितंबर 2019 को गोद दिया गया था। अब तक अमेरिका में नौ, इटली में छह और स्पेन में दो बच्चे गए हैं।

  • नियम के मुताबिक जिन बच्चों को यहां गोद लेने से 16 बार इन्कार कर दिया जाता है, उन्हें विदेशियों को गोद देते हैं। गोद लेने की पूरी प्रक्रिया कारा ही संपन्न करती है। -कमलकांत तिवारी, निदेशक सुभाष चिल्ड्रेन होम

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