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सांस के साथ बैक्टीरिया-वायरस को अंदर नहीं जाने देगा थ्री डी स्ट्रक्चर मास्क, हृदय और फेफड़े को प्रदूषित हवा से रखेगा सुरक्षित

यूपीटीटीआइ के इनोवेशन सेंटर और शोध केंद्र ने नैनो टेक्सटाइल मास्क बनाने का खाका खींच लिया है। इसकी थ्री स्ट्रक्चर डिजाइन लोगों को कोरोना वायरस और बैक्टीरिया से बचाएगी और पॉलिएस्टर पॉलीमर फिल्टर से विशेष मास्क तैयार होगा।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Thu, 21 Jan 2021 08:58 AM (IST)Updated: Thu, 21 Jan 2021 05:01 PM (IST)
सांस के साथ बैक्टीरिया-वायरस को अंदर नहीं जाने देगा थ्री डी स्ट्रक्चर मास्क, हृदय और फेफड़े को प्रदूषित हवा से रखेगा सुरक्षित
उत्तर प्रदेश वस्त्र एवं प्रौद्योगिकी संस्थान में मास्क तैयार हो रहा है।

कानपुर, [विक्सन सिक्रोडिय़ा]। अब दो, तीन, चार या पांच पर्त वाला नहीं, बल्कि नैनो टेक्सटाइल मास्क कोरोना वायरस समेत दूसरे सूक्ष्म कणों और बैक्टीरिया को सांस के साथ अंदर नहीं जाने देगा। साथ ही हवा भी शुद्ध करेगा। यह फेफड़े और हृदय को प्रदूषित हवा से भी सुरक्षित रखेगा। इसमें मददगार बनेगी इसकी डिजाइन। थ्री डी स्ट्रक्चर पर आधारित इस मास्क के निर्माण का खाका उत्तर प्रदेश वस्त्र एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (यूपीटीटीआइ) के इनोवेशन सेंटर व शोध केंद्र ने खींचा है। 

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यूपीटीटीआइ के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ जेपी सिंह ने बताया कि पॉलिएस्टर पॉलीमर फिल्टर से ये नैनो टेक्सटाइल मास्क बनेगा। प्राथमिक शोध में बेहतर परिणाम मिले हैं। इसकी डिजाइन में अंदर की गहराई बढ़ाई जाएगी। अभी फैब्रिक एक, दो, तीन और पांच पर्त तक होता है, लेकिन इसमें कम लेयर के साथ ही अंदर का पाथ घुमावदार होगा। ऐसे स्ट्रक्चर से सांस लेने के लिए ताजी हवा तो पास होगी, लेकिन वायरस नहीं घुस सकेगा।

डॉ. सिंह ने बताया कि पीएम-2.5 व पीएम-10 के सूक्ष्म कण इसे भेद कर अंदर नहीं जा सकेंगे। यह उन सूक्ष्म कणों को भी रोकेगा, जो वातावरण में उड़ते हुए सांस के साथ अंदर पहुंचकर फेफड़ों और हृदय को नुकसान पहुंचाते हैं।

सिल्वर नैनो पार्टिकल व कार्बन नैनो ट्यूब की होगी कोटिंग

यूपीटीटीआइ की प्रयोगशाला में साल भर तक नैनो टेक्सटाइल पर अध्ययन करने के बाद अब आधुनिक रिसर्च में इसका परीक्षण किया जाएगा। बताया कि जो फैब्रिक वह बनाने जा रहे हैं, उस पर सिल्वर नैनो पार्टिकल व कार्बन नैनो ट्यूब की कोटिंग की जाएगी। अभी तक इसके परीक्षण के लिए संस्थान में आधुनिक लैब की व्यवस्था नहीं थी। छात्र भी कोरोना वायरस को लेकर छुट्टी पर थे। अब दोबारा ऑफलाइन कक्षाएं शुरू होने के बाद इस प्रोजेक्ट को अंतिम रूप दिया जाएगा।

2022 तक बाजार में होगा

एसोसिएट प्रोफेसर डॉ सिंह ने बताया कि जुलाई में नए सत्र की शुरुआत से मास्क पर काम शुरू हो जाएगा। 2022 तक मास्क बाजार में होगा। इसके लिए निर्माण कंपनी से भी वार्ता चल रही है। उसे तकनीक देकर निर्माण कराया जाएगा। इसकी कीमत भी बेहद कम रखी जाएगी, जिससे प्रत्येक आदमी की पहुंच में रहे।


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