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Coronavirus: पीपीई किट में होगा फिल्टर, अब 45 डिग्री तापमान में भी कूल-कूल रहेंगे डॉक्टर

कोरोना से जंग में डॉक्टर-पैरामेडिकल स्टाफ के लिए यूपीटीटीआई ऐसी पीपीई किट तैयार कर रहा है जिसमें एयर फिल्टर लगा होने के साथ कई तरह की खासियत होगी।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Tue, 26 May 2020 09:53 PM (IST)Updated: Wed, 27 May 2020 01:14 PM (IST)
Coronavirus: पीपीई किट में होगा फिल्टर, अब 45 डिग्री तापमान में भी कूल-कूल रहेंगे डॉक्टर
Coronavirus: पीपीई किट में होगा फिल्टर, अब 45 डिग्री तापमान में भी कूल-कूल रहेंगे डॉक्टर

कानपुर, [शशांक शेखर भारद्वाज]। कोरोना वायरस से जंग में डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टॉफ अपनी परवाह किए बगैर एक योद्धा की तरह मरीजों का उपचार कर रहा है। उनके लिए पीपीई किट बेहद जरूरी है। भीषण गर्मी के इस मौसम में जहां लोगों को हल्के कपड़े भी पहनना मुश्किल हो रहा है, वहीं पीपीइ किट पहनने वाले ये योद्धा पसीने से तरबतर हो रहे हैं। उनकी इस समस्या का समाधान लेकर अब यूपीटीटीआइ आ रहा है, वह बहुत जल्द फिल्टर युक्त पीपीई किट तैयार करने जा रहा है।

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पीपीइ किट को आरामदायक बना रहा यूपीटीटीआइ

45 डिग्री तापमान के बीच पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट (पीपीई) किट पहनकर कोरोना पीडि़तों का इलाज करना डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ के लिए मुश्किल भरा है। शरीर में हवा न लगने से गर्मी और पसीने से उनका हाल-बेहाल है। अब उनकी सहूलियत के लिए उत्तर प्रदेश टेक्सटाइल टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट (यूपीटीटीआइ) ने पहल की है। संस्थान पीपीई किट को आरामदायक बनाने में जुटा है। किट में हवा के प्रसार के लिए ऐसे हिस्सों में फिल्टर लगाए जाएंगे, जहां से संक्रमण का खतरा नहीं होगा। विशेषज्ञों का दावा है कि इसे बिना दिक्कत के दो घंटे या उससे अधिक समय तक पहना जा सकेगा।

नैनो फिल्टर का होगा इस्तेमाल

संस्थान के निदेशक प्रो. मुकेश कुमार सिंह ने बताया कि किट पॉलीप्रोपाइलीन से बनाई जाएगी, जबकि उसमें पॉलीएस्टर नैनो फाइबर का इस्तेमाल किया जाएगा। इसमें कमर के नजदीक, अंडर आर्म, घुटने के पास फिल्टर लगाए जाएंगे। इनको लंबाई में न लगाकर कुछ-कुछ दूर लगाया जाएगा। इससे संक्रमण का खतरा भी नहीं रहेगा। स्ट्रेचेबल होगी किट

विशेषज्ञों के मुताबिक किट को स्ट्रेचेबल बनाने की तैयारी भी चल रही है। अंदर से आरामदायक रहे और डॉक्टरों को बिल्कुल उलझन न हो। यह पसीना भी सोख लेगी। कुछ अन्य फैब्रिक्स का इस्तेमाल किया जा रहा है। उन पर वायरस की सक्रियता की जांच की जा रही है। इसमें निजी टेक्सटाइल कंपनियों का सहयोग लिया जा रहा है।


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