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उन्नाव की जेएस इंटरनेशनल पर 28 लाख का जुर्माना, बंदी की संस्तुति, मानकों पर खरा न उतरने पर कार्रवाई

उन्नाव की मैसर्स जेएस इंटरनेशनल (पेट फूड डिविजन) उप्र प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड से सिर्फ सूखा काम करने की अनुमति है। लेकिन उल्लंघन कर गीला काम करने व प्रदूषित पानी को बिना शोधन के गंगा में भेजने की शिकायत विभागीय अधिकारियों को मिली थी।

By Abhishek VermaEdited By: Published: Sat, 29 Jan 2022 05:54 PM (IST)Updated: Sat, 29 Jan 2022 05:54 PM (IST)
उन्नाव की जेएस इंटरनेशनल पर 28 लाख का जुर्माना, बंदी की संस्तुति, मानकों पर खरा न उतरने पर कार्रवाई
जेएस इंटरनेशनल पर प्रदूषण बोर्ड के मानकों का उलंघ्घन पर कार्रवाई।

उन्नाव, जागरण संवाददाता। जिले के बंथर औद्योगिक क्षेत्र स्थित मैसर्स जेएस इंटरनेशनल (पेट फूड डिविजन) में एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) के निर्देशों व प्रदूषण बोर्ड के मानकों और जेडएलडी (जीरो लिक्विड डिस्चार्ज) की धज्जियां उड़ाए जाने की पुष्टि होने पर बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी ने फैक्ट्री पर लाखों का जुर्माना लगाया है। इसके साथ ही फैक्ट्री को बंद करने की संस्तुति भी दी है। 

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मैसर्स जेएस इंटरनेशनल (पेट फूड डिविजन) को यूपीपीसीबी (उप्र प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड) द्वारा सिर्फ सूखा काम करने की सहमति है। उद्योग में सहमति शर्तों का उल्लंघन कर गीला काम करने व प्रदूषित पानी को फैक्ट्री से बिना शोधन के सिटी जेल दिन के जरिए गंगा में भेजने की शिकायत विभागीय अधिकारियों को मिली। इसके तहत अफसरों ने बीते दिनों उद्योग का औचक निरीक्षण किया। जिसमें उन्हें एनजीटी के आदेशों व विभाग के मानकों को दरकिनार कर प्रदूषित पानी का उत्प्रवाह होता मिला। अफसरों की आख्या के अनुसार फैक्ट्री में जानवरों के लंग्स, लिवर, हड्डियां, कान व अन्य विभिन्न अंगों का स्टाक कर उनकी हाइड स्किन, वाशिंग व लाइमिंग का काम किया जाता है। इसके लिए वहां पर 10 बड़े वाशिंग टैंक, चार पैडल और सात बड़े ड्रम भी लगे हुए हैं। जिन्हें लगाने की बोर्ड से सहमति नहीं है। 

निरीक्षण में यह भी मिला कि फैक्ट्री द्वारा भारी मात्रा में प्रदूषित पानी का उत्प्रवाह बिना किसी शोधन व्यवस्था के सिटी जेल दिन के माध्यम से गंगा नदी में भेजा जा रहा है। साथ ही बोर्ड की सहमति आदेश की शर्तों का उल्लंघन कर भारी मात्रा में गीला काम भी किया जा रहा है। इससे विभाग द्वारा फैक्ट्री प्रबंधन को नोटिस भेजकर उनका सहमति आदेश निरस्त कर दिया गया। साथ ही फैक्ट्री प्रबंधन पर पिछले व मौजूदा निरीक्षण के बीच 283 दिनों तक कार्य अवधि में मानक विहीन काम करने पर अधिकारियों द्वारा 28 लाख 30 हजार रुपये की पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति लगाते हुए जल प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण अधिनियम के तहत उद्योग को बंदी आदेश दिए जाने की संस्तुति भी की है। उप्र प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी राधेश्याम ने बताया कि फैक्ट्री में इस तरह के काम की जानकारी होते ही उन्होंने खुद निरीक्षण किया तो वहां मानक विरुद्ध काम होता मिला। जिस पर फैक्ट्री के खिलाफ जुर्माना लगाते हुए उसे बंद करने की संस्तुति की है।


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