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कानपुर बुंदेलखंड क्षेत्र में अभी चल रहा भाजपा का मंथन, टिकट वितरण में क्यों रुकीं 15 सीटें

कानपुर-बुंदेलखंड क्षेत्र की 52 विधान सीटों में भाजपा ने 31 पर प्रत्याशियों को दोबारा मौका दिया है जबकि छह सीटों पर चेहरे बदल दिए हैं। हालांकि अभी 15 सीटों पर टिकट वितरण को लेकर मंथन चल रहा है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Sat, 22 Jan 2022 05:09 PM (IST)Updated: Sat, 22 Jan 2022 05:09 PM (IST)
कानपुर बुंदेलखंड क्षेत्र में अभी चल रहा भाजपा का मंथन, टिकट वितरण में क्यों रुकीं 15 सीटें
भाजपा ने छह सीटों पर चेहरे बदल दिए हैं।

कानपुर, जागरण संवाददाता। कानपुर-बुंदेलखंड क्षेत्र की 52 में से 47 सीटें जीतने वाली भाजपा ने अभी 15 सीटों पर प्रत्याशी घोषित नहीं किए हैं। 31 सीटों पर प्रत्याशियों को दोबारा मौका मिला है जबकि छह पर टिकट बदले गए हैं। पार्टी नेताओं के मुताबिक सहयोगी दलों से सीट बंटवारे को लेकर चल रही बातचीत के चलते ये सीटें रोकी गई हैं। कांग्रेस व सपा से कुछ नेताओं के पार्टी में शामिल होने की भी संभावना है, जिन्हें ये सीटें देनी पड़ सकती हैं।

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इन सीटों पर टिकट की घोषणा बाकी : 2017 के चुनाव में भाजपा ने 52 में से 51 सीटों पर चुनाव लड़ा था। जहानाबाद सीट अपना दल एस के लिए छोड़ दी थी। इस बार भी पार्टी ने इस सीट पर प्रत्याशी घोषित नहीं किया है। कायमगंज, भरथना, औरैया, रसूलाबाद, भोगनीपुर, घाटमपुर, कालपी, मऊरानीपुर, हमीरपुर, ङ्क्षतदवारी, कर्वी, मानिकपुर, ङ्क्षबदकी और जसवंतनगर सीट की टिकट भी घोषित नहीं हुई है।

...तो दूसरे दलों से आने वालों को मिलेगा टिकट : पार्टी नेताओं के मुताबिक, घाटमपुर के बसपा और कांग्रेस नेता भाजपा के संपर्क में हैं। बसपा की एक महिला नेता अपने पति के लिए टिकट चाह रही हैं। औरैया में बिधूना के विधायक विनय शाक्य के पिछले दिनों भाजपा से सपा में शामिल होने के बाद भाजपा ने उनकी बेटी रिया को टिकट दिया है। पार्टी ने बांदा में बबेरू और नरैनी की सीटों पर भी प्रत्याशी बदल कर अजय पटेल और ओम मनी वर्मा को टिकट दिए हैं। इन सभी में जो बदलाव सबसे ज्यादा चर्चा में है वह कानपुर के पुलिस आयुक्त रहे असीम अरुण का है। उन्हें उम्मीदों के मुताबिक ही कन्नौज सीट से उतारा गया है। भाजपा में शामिल होने के बाद से उन्होंने इस सीट पर प्रचार भी शुरू कर दिया था।

जसवंतनगर और भरथना में मजबूत प्रत्याशी की तलाश : भरथना को लेकर कहा जा रहा है कि यहां पूर्व मंत्री गौरी शंकर के पुत्र डा. सिद्धार्थ शंकर के साथ ही सावित्री कठेरिया व उदयवीर दोहरे ने भी दावेदारी की है। पार्टी किसी मजबूत प्रत्याशी की तलाश में है। प्रसपा प्रमुख शिवपाल यादव की अजेय सीट जसवंतनगर में भी किसी मजबूत प्रत्याशी की तलाश पूरी नहीं हो सकी है। भाजपा जाति समीकरण साधने के नजरिए से पाल जाति के प्रत्याशी पर दांव लगा सकती है। पूर्व में चुनाव लड़ चुके मनीष यादव पतरे के सपा में शामिल हो जाने के बाद यादव प्रत्याशियों में मुकेश यादव व बाबा हरनारायण यादव दावेदार बताए जा रहे हैं।

भगवंतनगर में उम्र के पेच की चर्चा : उन्नाव की भगवंतनगर सीट पर भी भाजपा ने कोई निर्णय नहीं लिया है। यहां से विधानसभा अध्यक्ष हृदयनारायण दीक्षित विधायक हैं। यहां टिकट फाइनल न होने के पीछे चर्चा है कि हृदयनारायण की आयु अधिक होने के चलते पार्टी शायद कुछ और फैसला ले सकती है। बता दें, हृदय नारायण दीक्षित ने स्वयं और उनके पुत्र अरुण दीक्षित ने भी भगवंत नगर सीट से विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी में आवेदन किया था।

गठबंधन के सहयोगियों के कोटे में जा सकती बिंदकी : फतेहपुर की ङ्क्षबदकी व जहानाबाद (अपना दल के पास सीट है) को लेकर अटकलें चल रही हैं। यह चर्चा है कि गठबंधन के तहत जहानाबाद सीट निषाद पार्टी को तो बिंदकी को अपना दल को दी जा सकती है। जानकारों के मुताबिक ङ्क्षबदकी में नाम न होने से बदलाव तय माना जा रहा है। हालांकि, जानकार यह भी कह रहे हैं कि बिंदकी में जातीय समीरकरणों में ब्राह्मण प्रत्याशी भी उतारा जा सकता है या फिर पिछडी जाति के दूसरे चेहरे पर दांव लगाया जा सकता है।


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