Move to Jagran APP

यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में वर्चुअल रैली पर जोर, राजनीतिक दलों की ओर से की गई प्रचार सामग्री की मांग भी निरस्त

UP Vidhan Sabha Chunav 2022 अब तक के चुनाव में कार्यालयों में सुबह से शाम तक झंडों की मांग बनी रहती थी। कहीं जनसंपर्क होना हो तो पहले उस क्षेत्र में झंडे लगा दिए जाते थे। कहीं सभा या रैली हो तो उसके आसपास के हिस्से को सजाना पड़ता था।

By Shaswat GuptaEdited By: Published: Thu, 13 Jan 2022 12:30 PM (IST)Updated: Thu, 13 Jan 2022 12:30 PM (IST)
यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में वर्चुअल रैली पर जोर, राजनीतिक दलों की ओर से की गई प्रचार सामग्री की मांग भी निरस्त
UP Vidhan Sabha Chunav 2022 बाजारों में बिकतीं राजनीतिक पार्टियों की प्रचार सामग्री।

कानपुर, जागरण संवाददाता। UP Vidhan Sabha Chunav 2022 तेजी से बढ़ रहे कोरोना संक्रमण ने विधानसभा चुनाव की रौनक फीकी कर दी है। चुनाव आयोग ने भी कोरोना के फैलाव को देखते हुए फिलहाल राजनीतिक दलों की सभाओं और रैलियों पर प्रतिबंध लगा दिया है। भीड़ के साथ जनसंपर्क पर भी रोक लगा दी गई है, इसलिए राजनीतिक दलों ने भी अपने प्रचार मोड को बदल कर वर्चुअल कर दिया है। इस पर ही रैली और सभाएं करने पर जोर दिया जा रहा है। इन सबका असर प्रचार सामग्री का कारोबार करने वालों पर पड़ा है। दो माह पहले से मंगाई जा रही प्रचार सामग्री गोदामों में बंद पड़ी है और जिन नेताओं ने इनकी मांग की थी, उन्होंने भी हाथ पीछे खींच लिए हैं।

loksabha election banner

चौक बाजार में प्रचार सामग्री का कारोबार करने वालों को इस बार का चुनाव काफी अच्छा समझ में आ रहा था। कोरोना का प्रभाव धीमा हो चुका था और भाजपा, सपा के साथ कांग्रेस नेता भी सक्रिय हो रहे थे। इसलिए थोक कारोबारियों ने हवा की दिशा को देखते हुए अच्छी मात्रा में प्रचार सामग्री का नवंबर व दिसंबर में भंडारण कर लिया था। अब जब आचार संहिता लागू हुई और माल बेचने का समय आया है तो कोरोना संक्रमण का प्रसार तेजी से हो रहा है। खुद चुनाव आयोग ने चुनाव प्रचार को लेकर बहुत सारी बंदिशें लगा दी हैं। फिलहाल ये बंदिशें 15 जनवरी तक हैं लेकिन दलों को लग रहा है कि ये बंदिशें आगे भी बढ़ सकती हैं, इसलिए राजनीतिक दलों ने खुद को वर्चुअल रैली, सभाओं के लिए तैयार कर लिया है। वर्चुअल रैली पर जोर की वजह से झंडे, बिल्ले, गले का पटका गोदामों में बोरों में बंद हैं। चौक से कानपुर और आसपास के कुछ जिलों में प्रचार सामग्री जाती है, इसलिए कारोबारियों को खुद लग रहा है कि जो प्रचार सामग्री मंगाई है, उसकी रकम डूबने वाली है।

चुनाव का खर्च भी घटेगा: अब तक के चुनाव में कार्यालयों में सुबह से शाम तक झंडों की मांग बनी रहती थी। कहीं जनसंपर्क होना हो तो पहले से उस क्षेत्र में झंडे लगा दिए जाते थे। कहीं सभा या रैली हो तो उसके आसपास के बड़े हिस्से को पूरी तरह पार्टी के झंडों से सजाना पड़ता था। इससे खर्च भी बहुत होता था। अब रैली व सभाएं वर्चुअल होंगी तो झंडों का खर्च तो बचेगा ही, मंच, लाइट, स्पीकर के खर्च भी खत्म हो जाएंगे। इससे चुनावी खर्म बहुत कम हो जाएगा।

इनकी भी सुनिए: 

  • पंचायत का चुनाव में भी कोरोना की वजह से बहुत कारोबार बहुत कम हुआ था। नवंबर में प्रचार सामग्री गोदाम में भर ली। अब प्रचार सामग्री की मांग ही नहीं है। ऐसे में नुकसान होना तय है। आयोग को चुनाव की तारीखें आगे बढ़ानी चाहिए। - उपकार अवस्थी, कारोबारी, चौक बाजार।
  • कोरोना के बढ़ते खतरे के बीच विधानसभा चुनाव नहीं होने चाहिए। इस बार ज्यादा बिक्री की उम्मीद थी, इसलिए ज्यादा माल भर लिया था। हालांकि अब ऐसा नहीं लग रहा। । अब वर्चुअल रैली की बात हो रही है, इससे तो प्रचार सामग्री नहीं बिकेगी। - शिवशंकर गौड़, कारोबारी, चौक बाजार।

प्रचार सामग्री की कीमतें

  • 600 रुपये के 100 झंडे।
  •  250 रुपये की 100 टोपी।
  •  400 रुपये में 100 गले के पटके।

टिकट के इंतजार में रुके हैंड बिल के आर्डर: वर्तमान विधायक और टिकट के तमाम दावेदारों ने जनसंपर्क के दौरान हैंड बिल आम मतदाताओं में बांटने के लिए नमूने का प्रारूप तो बना लिया है लेकिन टिकट के इंतजार में कोई भी इसे छपने के लिए अभी नहीं दे रहा है। प्रिंटिंग प्रेस संचालकों ने भी चुनाव के मौके पर अच्छा काम आने की उम्मीद में मशीनों को दुरुस्त कर लिया है। वे विधायकों और उन सभी लोगों से संपर्क में हैं जो चुनाव मैदान में उतर सकते हैं। कोरोना की वजह से इस बार आयोग की बंदिशों के चलते सभा और रैली में प्रचार सामग्री लगने की उम्मीद कम है, इसलिए प्रत्याशियों के जनसंपर्क के दौरान ही सबसे ज्यादा हैंड बिल लगेंगे। इसकी वजह से पिछले चुनावों से बड़े आर्डर की उम्मीद की जा रही है। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.