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कानपुर की महिलाओं ने गोमूत्र को बनाया फसलों का अमृत

संस्था के लोगों ने गांव में आकर इन महिलाओं को गोबर, गौमूत्र, दूध, दही, गाय के घी आदि पदार्थों का उपयोग कर जैविक खाद तैयार करने का प्रशिक्षण दिया।

By Amal ChowdhuryEdited By: Published: Sun, 17 Dec 2017 12:07 PM (IST)Updated: Sun, 17 Dec 2017 12:07 PM (IST)
कानपुर की महिलाओं ने गोमूत्र को बनाया फसलों का अमृत
कानपुर की महिलाओं ने गोमूत्र को बनाया फसलों का अमृत

कानपुर [दिग्विजय सिंह]। न कोई रासायनिक फॉर्मूला और ना ही किताबी ज्ञान। प्रकृति से जुड़ी गांव की कुछ महिलाओं ने खेतों को ही प्रयोगशाला बना दिया। अनाज का उत्पादन बढ़ाने के लिए कंपनियां जहां नित नई दवाएं ईजाद कर रही हैं, वहीं लोहारखेड़ा की इन महिलाओं ने गौमूत्र, गोबर और गन्ने के रस से ही ऐसे उत्पाद बना डाले, जो फसलों के लिए अमृत साबित हो रहे हैं। अब इनके उत्पादों को बाजार मुहैया कराने की तैयारी है।

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लोहारखेड़ा गांव की रश्मि कुरील, कुंती आदि महिलाएं आर्थिक रूप से बहुत ज्यादा मजबूत नहीं हैं। इन महिलाओं के मन में गरीबी की बेड़ियों को तोड़कर स्वावलंबी बनने की चाह जरूर है। वे चाहती थीं कि जो कार्य करें, उससे उनकी समृद्धि की राह तो खुले ही फसलों का उत्पादन भी बढ़े। जिन फसलों का उत्पादन हो, वह पूरी तरह से जैविक खाद के उपयोग से हो। उनके इस सपने को पंख दिए वाराणसी की एक संस्था ने।

संस्था के लोगों ने गांव में आकर इन महिलाओं को गोबर, गौमूत्र, दूध, दही, गाय के घी आदि पदार्थों का उपयोग कर जैविक खाद तैयार करने का प्रशिक्षण दिया। प्रशिक्षण के बाद महिलाओं ने मां वैभव लक्ष्मी स्वयं सहायता समूह के नाम से समूह गठित किया। रश्मि इसकी अध्यक्ष बनीं। सबने मिलकर आधा दर्जन उत्पाद तैयार किए।

इनका उपयोग उन्होंने अपने खेतों में किया और अच्छा परिणाम सामने आया। उनके द्वारा तैयार अमृत पानी, पंचगव्यम् के छिड़काव से फसलों पर कीड़े नहीं लगते और उत्पादन भी खूब होता है। रासायनिक खाद या कीटनाशक डालने की आवश्यकता नहीं पड़ती। अब वे उद्यमिता की ओर कदम बढ़ा चुकी हैं।

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फसलों के लिए टॉनिक है पंचगव्यम: गोबर, ताड़ के फल का रस, गुड़, गौमूत्र, घी, केला, दही, दूध, गन्ने का रस, नारियल पानी को घोल कर उन्होंने पंचगव्यम् तैयार किया है। इसे डालने से पौधे हरे होते हैं। उनकी लंबाई बढ़ती है और कीट नहीं लगते। अमृत पानी बनाने के लिए गोबर, गन्ने का रस और गौमूत्र का घोल तैयार कर ये महिलाएं बेचती हैं। अमृत पानी भी टॉनिक का काम करता है। सूखे पत्तों, फसलों की डंठल, गोबर आदि के जरिये तैयार की जाने वाली खाद भी उत्पादन बढ़ाने में सहायक है।

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