शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत गरीब बच्चों का प्रवेश लेने वाले स्कूलों को ही मिलेगी एनओसी
जिलाधिकारी ने समीक्षा बैठक में दिए निर्देश जो बच्चे कभी स्कूल नहीं गए उनका कराया जाए दाखिला।
कानपुर, जेएनएन। जो भी सीबीएसई व आइसीएसई स्कूल शिक्षा के अधिकार अधिनियम (आरटीई की धारा एक ग) के तहत गरीब बच्चों का प्रवेश नहीं लेंगे, उन्हें डीआइओएस कार्यालय से हर तीन वर्ष में मिलने वाली एनओसी नहीं दी जाएगी। गुरुवार को जिलाधिकारी डॉ. ब्रह्मïदेव राम तिवारी ने यह बात कही। वह कलेक्ट्रेट स्थित सभागार में अफसरों संग बेसिक शिक्षा विभाग की कई योजनाओं पर समीक्षा बैठक कर रहे थे।
नियमों के विपरीत प्रवेश कराने वाले अभिभावकों पर कराएं एफआइआर
बैठक में उपस्थित निजी स्कूलों के प्रतिनिधियों ने डीएम से कहा कि आरटीई के तहत कई अभिभावक अपने बच्चों का प्रवेश तो करा लेते हैं, पर वह नियमों के अंतर्गत नहीं आते। डीएम ने प्रतिनिधियों की बात सुनने के बाद शिक्षा विभाग के अफसरों को निर्देशित किया कि ऐसे बच्चों को चिह्नित किया जाए। जांच में जो भी छात्र मानक पूरा करते न मिलें उन्हें स्कूल से बाहर कर दिया जाए, साथ ही उनके अभिभावकों के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई जाए। उन्होंने कहा कि इस नियम का पालन करने वाले सभी बच्चों को प्रवेश हर हाल में दिया जाए। शारदा योजना की समीक्षा को लेकर डीएम ने निर्देश दिए कि जो बच्चे कभी स्कूल नहीं गए, उनका दाखिला कराया जाए। इसके लिए ग्रामीण क्षेत्रों में जहां शिक्षक सर्वे करेंगे, वहीं नगरीय क्षेत्र में बीटीसी प्रशिक्षुओं को यह जिम्मेदारी सौंपी जाए।
समय से मान्यता ले लें सभी स्कूल
ईंट-भट्ठों पर काम करने वाले मजदूरों के बच्चों को अब प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक पढ़ाएंगे। यह निर्णय भी बैठक में लिया गया। इसी तरह यू-डायस कोड (सभी माध्यमिक विद्यालयों की जानकारी होती) को लेकर कहा कि जितने भी ऐसे विद्यालय हैं, जिन्होंने मान्यता नहीं ली है वह समय से मान्यता ले लें। अगर निरीक्षण के दौरान मान्यता संबंधी दस्तावेज न मिले तो संचालक के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। इन योजनाओं के अलावा मिशन कायाकल्प के तहत जिन स्कूलों में काम होना है, अफसरों से उसकी भी प्रगति डीएम ने पूछी। बैठक में समाज कल्याण, अल्पसंख्यक और श्रम विभाग समेत कई अन्य विभागों के अफसर उपस्थित रहे।