बंदियों में संक्रमण रोकने को जेल में बनाईं दो अस्थायी बैरकें
संक्रमण रोकने को दो अस्थायी बैरकों में रखे जा रहे बंदी ।
मास्टर प्लान ------
- संक्रमण रोकने को दो अस्थायी बैरकों में रखे जा रहे बंदी
- ऐलोपैथी, होम्योपैथी और आयुर्वेद तीनों पद्धतियों से हो रहा इलाज
जागरण संवाददाता, कानपुर: कोरोना वायरस से बंदियों को बचाने के लिए पूर्व में चौबेपुर में अस्थायी जेल बनाई गई थी। इस बार बंदियों को क्वारंटाइन करने के लिए जेल के अंदर ही अस्थायी बैरकें बनाई गईं हैं। नए बंदियों को पहले दस दिन तक इस विशेष बैरक में रखा जाता है, उसके पाचं दिन बाद दूसरी बैरक में। पंद्रह दिन तक स्वस्थ रहने पर बंदियों को आम बंदियों के साथ जेल में बंद किया जा रहा है।
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तैयार किया गया है मास्टर प्लान
कानपुर : जेल में संक्रमण को रोकने के लिए मास्टर प्लान तैयार किया गया है। बंदियों को एलोपैथी, होम्योपैथी के साथ-साथ आयुर्वेदिक दवाएं भी दी जा रहीं हैं।
जेल अधीक्षक आरके जायसवाल ने बताया कि अस्थायी जेल समाप्त होने के बाद जेल के अंदर ही दो बैरकों को अस्थायी रूप से आरक्षित किया गया है। जेल अधीक्षक ने बताया कि तीसरी लहर शुरू होने के बाद अब तक जेल में केवल एक नया बंदी संक्रमित पाया गया था, जिसका जेल के एल-1 अस्पताल में इलाज हुआ और अब वह पूरी तरह से स्वस्थ्य है।
उन्होंने बताया कि जेल में प्रत्येक बंदी को गरम पानी और कालीमिर्च, गुड़, सोंठ, मुनक्का, गिलोय, तुलसी, जरांकुश, दालचीनी और हल्दी मिलाकर गर्म काढ़ा सुबह और शाम दिया जा रहा है। इसके साथ ही ऐसे बंदी जो बाहर जाकर आते हैं, वृद्ध हैं या बीमार हैं, उन्हें हल्दी वाला दूध दिया जाता है। जिला होम्योपैथिक अधिकारी की ओर से कोरोना बचाव में कारगर होम्योपौथी की किट भी बंदियों को दी जाती है। इस किट में चार दवाएं हैं। इसके अलावा महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा की ओर से जारी आदेश में जो भी एलोपैथी दवाएं निहित हैं , उन्हें बंदियों को दिया जा रहा है।