हरगोविंद खुराना अवार्ड के लिए देश के 15 युवा वैज्ञानिकों में आइआइटी के दो प्रोफेसर Kanpur News
आइआइटी के प्रोफेसरों ने कैंसर की टारगेट मेडिसिन व चिकित्सा पर किया शोध।
कानपुर, जेएनएन। हरगोविंद खुराना इनोवेशन यंग बायोटेक्नोलॉजिस्ट अवार्ड के लिए चयनित देश भर के चुनिंदा 15 युवा वैज्ञानिकों में आइआइटी कानपुर के दो प्रोफेसरों का भी नाम है। आइआइटी के बायो साइंस एंड बायो इंजीनियरिंग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अप्पू कुमार सिंह व रसायन विज्ञान विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. धर्मराज अलीमुटू को भी इस अवार्ड से नवाजा जाएगा। उनके अलावा आइआइएससी बेंगलुरू, आइआइटी जोधपुर, आइआइटी भिलाई व आइआइएसईआर, इंस्टीट्यूट ऑफ नैनोसाइंस एंड टेक्नोलॉजी मोहाली व आइआइएसईआर कोलकाता समेत विभिन्न संस्थानों से 15 प्रोफेसरों को चुना गया है।
क्या है अवार्ड
विज्ञान एवं तकनीक मंत्रालय के बायोटेक्नोलॉजी विभाग द्वारा इनोवेटिव यंग बायोटेक्नोलॉजिस्ट अवार्ड की शुरुआत 2005 में हुई थी। इसका उद्देश्य देश में नवीन विचारों के साथ उत्कृष्ट युवा वैज्ञानिकों की पहचान करके प्रोत्साहित करना है। इनमें वो युवा वैज्ञानिक जिनकी आयु 35 वर्ष से कम है और जैव प्रौद्योगिकी के प्रमुख क्षेत्रों में अनुसंधान को आगे बढ़ाने के इच्छुक हैं। इसमें महिला वैज्ञानिकों के लिए आयु सीमा में पांच साल की छूट दी जाती है। इस अवार्ड के उम्मीदवारों के लिए एक लाख रुपये प्रतिवर्ष वर्ष की फेलोशिप प्रदान की जाती है।
क्यों हुआ इनका चयन
डॉ. धर्मराज ने कैंसर के लिए टारगेटेड मेडिसिन पर काम किया है। उन्होंने ऐसे एंटी कैंसर एजेंट खोजे हैं जिनका इस्तेमाल मरीज भविष्य में कर सकेंगे। एंटी कैंसर थेरेपी के क्षेत्र में भी उन्होंने शोध कार्य किए हैं। डॉ. अप्पू कुमार सिंह भी कैंसर के ट्रीटमेंट पर काम कर रहे हैं। एक्सरे क्रिस्टलोग्राफी, क्रो इलेक्ट्रॉन माइक्रो स्कोपी के क्षेत्र में उन्होंने शोध कार्य किए हैं। आइआइटी कानपुर के इन दो प्रोफेसरों के अलावा पहले भी कई प्रोफेसरों को यह अवार्ड प्रदान किए जा चुके हैं।