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पूर्वा एक्सप्रेस हादसा : सीआरएस की जांच में सामने आए ट्रेन दुर्घटना के ये दो प्रमुख कारण

दो दर्जन रेलवे कर्मचारियों के बयान लिये गए लेकिन कोई आम आदमी नहीं पहुंचा।

By AbhishekEdited By: Published: Wed, 24 Apr 2019 10:37 AM (IST)Updated: Wed, 24 Apr 2019 11:17 AM (IST)
पूर्वा एक्सप्रेस हादसा : सीआरएस की जांच में सामने आए ट्रेन दुर्घटना के ये दो प्रमुख कारण
पूर्वा एक्सप्रेस हादसा : सीआरएस की जांच में सामने आए ट्रेन दुर्घटना के ये दो प्रमुख कारण

कानपुर, जेएनएन। रूमा में पूर्वा एक्सप्रेस के दस कोच पलटने में चकरेल ही खलनायक की भूमिका में सामने आ रही है। सीआरएस ने मौके पर जांच के बाद माना कि पूर्वा एक्सप्रेस हादसे का कारण चकरेल है। हालांकि अभी इस बात को लेकर संशय है कि हादसा चकरेल के ट्रेन से टकराने पर हुआ या ट्रेन का कोई हिस्सा चकरेल से टकराया।

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चकरेल में नहीं लगे थे नटबोल्ट

जांच में माना जा रहा है कि पिलर 1003/17 के सामने चकरेल में केवल एक नट बोल्ट लगा था, जबकि होने चाहिए थे पांच। 125 किमी प्रति घंटा की चाल से दौड़ रही ट्रेन के कंपन से चकरेल किसी तरह से ट्रेन से जा टकराई और एस-9 या पेंट्रीकार डिरेल हो गया। इसके निशान स्लीपर पर साफ दिखाई पड़ रहे हैं। ट्रेन जब स्टेशन पार करके दूसरी चकरेल पर पहुंची तो वहां डिरेल कोच ने रेलवे ट्रैक को फाड़ दिया, जिसकी वजह से पीछे की सारी बोगियां डिरेल होकर पलट गईं।

ट्रेन का कोई हिस्सा चकरेल से टकराया

ट्रैक मेंटीनेंस से जुड़े अफसर इस थ्योरी को नकारते हैं, क्योंकि उनका मानना है कि चकरेल में प्रॉपर नट बोल्ट लगे थे। ऐसे में दूसरी आशंका पर विचार विमर्श हुआ। माना गया कि ट्रेन में कोई हिस्सा था जो अचानक चकरेल से टकराया। ट्रेन की तेज गति से चकरेल उखड़ गई और ट्रेन का कोई कोच डिरेल हो गया। इस तर्क के पीछे ट्रैक मेंटीनेंस से जुड़े अफसरों ने एक साक्ष्य भी दिया। मौके पर बी-1 कोच का एयर ब्रेक सिस्टम टूटा मिला। दावा किया गया कि चलते समय एयर ब्रेक सिस्टम का सिलेंडर ही चकरेल से टकराया, जिससे हादसा हो गया।

इस तरह की गई जांच

नागरिक उड्यन मंत्रालय से पूर्वोत्तर परिमंडल के सीआरएस (रेल संरक्षा आयुक्त) एके जैन रूमा रेलवे स्टेशन पहुंचे। यहां सबसे पहले पिलर नंबर 1003/17 के सामने चकरेल को देखा। इसी प्वाइंट से पूर्वा एक्सप्रेस के डिरेल होने की शुरुआत मानी जा रही है। फिर रेलवे स्टेशन के आगे चकरेल को देखा, जहां पर दस कोच पलटने शुरू हुए थे। दोनों ही स्थानों पर नापजोख के बाद उस स्थान पर पहुंचे, जहां ट्रेन के कोच पलटे पड़े थे। बारीकियों के साथ हर कोच की पोजीशन देखी।

रूमा रेलवे स्टेशन लौटकर सीआरएस ने टूटी हुई चकरेल व अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्यों पर अफसरों से बातचीत की। सीआरएस इस निष्कर्ष पर आश्वस्त दिखे कि पिलर 1003/17 के सामने चकरेल की वजह से हादसा हुआ होगा। हालांकि यह स्पष्ट नहीं हो सका कि घटनाक्रम क्या था। प्रमुख रूप से दो घटनाक्रमों पर विचार हुआ। सीआरएस ने न्यू वाशिंग लाइन में एस-9 व एस-8 कोचों का निरीक्षण किया। दोपहर बाद सेंट्रल रेलवे स्टेशन स्थित उप मुख्य यातायात प्रबंधक कार्यालय में उन रेलवे कर्मचारियों के बयान दर्ज किए जो हादसे से सीधे जुड़े हुए हैं।

एक दूसरे पर दोष मढ़ते रहे अधिकारी

रेल संरक्षा आयुक्त ने पड़ताल शुरू की तो ट्रैक मेंटीनेंस और कोच मेंटीनेंस विभाग के अफसर एक दूसरे पर दोष मढऩे लगे। तू-तू, मैं-मैं शुरू हो गई। अफसरों ने डीआरएम के चेतावनी तक अनसुनी कर दी। सीआरएस को भी कहना पड़ा कि यही हालात रहे तो वह दुर्घटना की जांच नहीं करेंगे और लौट जाएंगे। जीएम एनसीआर जिससे चाहें जांच करा लें।

कोच मेंटीनेंस के अफसरों का दावा है कि चकरेल की वजह से ट्रेन पलटी तो ट्रैक मेंटीनेंस के अफसर कोच के पार्ट चकरेल से टकराने की बात कर रहे हैं। सीआरएस ने घटनास्थल पर जब एक चकरेल के चार नट बोल्ट खुलवाकर रिप्ले की कोशिश की तो ट्रैक मेंटीनेंस के अफसर गुस्से में तमतमा उठे। हालांकि रिप्ले हादसे की गांठ खोलने में नाकाम रहा। घटनास्थल पर ही भिड़े अफसरों को डीआरएम अमिताभ कुमार ने गरिमा में रहने की हिदायत दी। रूमा रेलवे स्टेशन पर सीआरएस ने बरामद वस्तुओं पर जवाब जवाब शुरू किया तो फिर टकराव हुआ। तब सीआरएस का धैर्य जवाब दे गया।

चालक, गार्ड समेत 40 कर्मचारियों ने बयान दर्ज

सीआरएस ने रूमा रेलवे स्टेशन पर स्टेशन मास्टर शिवहरी एवं रविन्द्र कुमार के बयान दर्ज किए। शिवहरि ने बताया कि उन्होंने पहिए से चिंगारी निकलते देख गार्ड को फोन करके जानकारी दी, लेकिन जब तक कोई कदम उठाया जाता दस बोगियां पलट चुकी थीं। इसके बाद सीआरएस ने सेंट्रल स्टेशन में उप मुख्य यातायात प्रबंधक कार्यालय में 40 कर्मचारियों के लिखित बयान दर्ज किए। सबसे पहले पूर्वा एक्सप्रेस के लोको पायलट फूल कुमार एवं रमण सिंह के बयान दर्ज हुए।

यह हादसा तो आंख खोलने वाला

रूमा रेल हादसे की परिस्थितियों को लेकर सीआरएस भी चिंतित दिखाई दिए। वह आश्चर्य में थे कि कैसे डिरेल कोचों के साथ ट्रेन 1.70 किमी की दूरी तय कर गई? लोको पायलट को ट्रेन डिरेल का आभास क्यों नहीं हुआ? उसने इमरजेंसी ब्रेक क्यों नहीं लगाई? एलएचबी कोच एक दूसरे से एयर प्रेशर से जुड़े होते हैं। हादसे की स्थिति में एयर प्रेशर का लिंक टूटते ही ट्रेन रुक जाती है, लेकिन कोच पलटने के बावजूद एयर प्रेशर ब्रेक क्यों नहीं हुआ?

स्लीपर बदलने का काम शुरू

हादसे में क्षतिग्रस्त हुए तीन हजार स्लीपर बदलने का काम शुरू कर दिया गया। इस काम में करीब तीन सौ गैंगमैन की टीम लगी है।


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