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आइपीएल : इंजीनियर जीजा-साले ने फैलाया था सट्टे का कारोबार, बनाई करोड़ों की संपत्ति

एसटीएफ द्वारा पकड़ा गये बुकी में एक सिविल इंजीनियर है तो दूसरा केमिकल इंजीनियर है।

By AbhishekEdited By: Published: Thu, 11 Apr 2019 01:54 PM (IST)Updated: Thu, 11 Apr 2019 01:54 PM (IST)
आइपीएल : इंजीनियर जीजा-साले ने फैलाया था सट्टे का कारोबार, बनाई करोड़ों की संपत्ति
आइपीएल : इंजीनियर जीजा-साले ने फैलाया था सट्टे का कारोबार, बनाई करोड़ों की संपत्ति
कानपुर, जेएनएन। लखनऊ एसटीएफ द्वारा शहर में पकड़े गए सट्टेबाज गिरोह का सरगना जीतू शिवहरे सिविल इंजीनियर है और प्रॉपर्टी डीलिंग का भी काम करता था। वहीं उसका साला आशीष शिवहरे केमिकल इंजीनियर है। दोनों ने शहर में सट्टे का बड़ा कारोबार फैलाकर बेरोजगार करीबी व रिश्तेदारों को जोड़ रखा था। सबके तार बनारस के बड़े बुकी अजय प्रताप सिंह व मुंबई के माफिया से जुड़े हैं।
एसटीएफ के मुताबिक जीतू ने गणित से एमएससी है, जबकि साले आशीष ने रुहेलखंड यूनिवर्सिटी से बीटेक किया है। जीतू और आशीष, दोनों की पत्नियां फतेहपुर के जूनियर और प्राइमरी स्कूल में शिक्षिका हैं। जीतू 1991 से मुंबई के लोखंडवाला में प्रापर्टी का कारोबार करता था। पैसा कमाने के बाद वर्ष 1997 में दुबई चला गया। वहां रहकर 2006 तक उसने गोल्ड ट्रेडिंग की।
काफी रकम जुटाने के बाद 2006 में भारत लौटा। 2008 में दिल्ली के मनोज सिंह से दोस्ती होने पर आइपीएल का बुकी बन गया और अवैध कमाई से मुंबई, लखनऊ, कानपुर व फतेहपुर में काफी संपत्ति खरीदी और लखनऊ में पेट्रोल पंप खोला। आशीष ने केमिकल इंजीनियरिंग करने के बाद मुंबई की कंपनी में नौकरी की। फिर नौकरी छोड़ बुकी अजय प्रताप की दोस्ती में सट्टे के कारोबार में लगा था।
जीजा-साले एक दूसरे को बता रहे सरगना
जीजा-साले एक दूसरे को गिरोह का सरगना बताते रहे। जीतू का कहना था कि तीन साल से वह इस कारोबार से दूर है। आशीष गिरोह चला रहा था। वहीं आशीष ने कहा कि कारोबार का सुपरविजन जीतू करते थे।
किराए पर लिया मकान, लगाए कैमरे
आशीष ने लखनऊ निवासी जीपी पांडेय का वाई-ब्लाक स्थित मकान एक साल पहले 15 हजार रुपये महीना किराये पर लिया था। पुलिस से बचने के लिए मकान के बाहर गली के दोनों ओर तीन सीसीटीवी कैमरे लगाए थे।
दिल्ली से 10 हजार रुपये में खरीदी कांफ्रेंसिंग डिवाइस
गिरफ्तार सट्टेबाज मोबाइल को डिब्बा और अत्याधुनिक कांफ्रेंसिंग डिवाइस को अटैची कहते हैं। यह डिवाइस दिल्ली से 10-10 हजार रुपये में खरीदी गई थीं। आशीष ने बताया कि एक साथ सभी के फोन अटेंड कर भाव बताना मुश्किल होता था। अटैची के जरिए 20 से अधिक मोबाइल चार्जर से कनेक्ट कर अटैची से जोड़ते थे। पूरा सिस्टम अलग इंटरनेट लाइन व वाइ-फाइ से जुड़ा होता था। स्पीकर और माइक से बात होती थी। लीज लाइन के बजाय वाइ-फाइ से संचालन होता था। दिल्ली के बुकी मनोज सिंह के सर्वर से कनेक्ट करते ही डिवाइस पर आने वाले भाव सभी चैनलों पर पहुंच जाते थे। 
बेरोजगारी ने दिखाया सट्टा कारोबार
फतेहपुर के विवेक मिश्र उर्फ मोहित के पिता गांव में चाट का ठेला लगाते हैं। नौकरी न मिलने पर विवेक, आशीष की गाड़ी चलाने लगा। मौसेरे भाई मोहित के पिता पवन कुमार की पिछले साल दिसंबर में मौत हो गई थी। घर चलाने के लिए वह आशीष के यहां 20 हजार रुपये महीने पर नौकरी करने लगा। फतेहपुर के सुभाषनगर का हिमांशु जीतू का भतीजा है। बीयर व महंगे शौक ने उसे इस राह पर धकेल दिया।
दबिश के डर से शहर आया था अजय
अजय प्रताप को वाराणसी में पुलिस की दबिश होने का डर था। इसके कारण तीन-चार दिन के लिए वह शहर आया था। दो दिन पूर्व जीतू, अजय की नई कार लेकर चालक नीरज के साथ आगरा के करौली माता मंदिर गया था। मंगलवार तड़के लौटा। इसी बीच एसटीएफ अजय का पीछाकर पहुंच गई।
इनकी है तलाश
एसटीएफ को जीतू के बॉस मुंबई निवासी अमन, अजय, अतुल, दिल्ली के अंकित, कानपुर के राजा, विनीत, फतेहपुर के सुनील, विक्की, अजमेर के गौरव, लखनऊ के संदीप, हनुमंत, मुरली, आगरा के मुरारी, रायपुर के गिरधारी, तारा, वाराणसी के अजय व महेंद्र की तलाश है।

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