दो जिस्म लेकिन एक जान और ख्वाब बड़े-बड़े
दोनों के जिस्म भले अलग-अलग हैं लेकिन जान एक है। जिंदगी में कुछ बड़ा करने का ख्वाब है। रहन सहन, खानपान, खेलकूद में रुचि एक और परीक्षा में अंक भी समान हैं।
कानपुर (जेएनएन)। दोनों के जिस्म भले ही अलग-अलग हैं लेकिन जान एक है। जिंदगी में कुछ बड़ा करने का ख्वाब है। शुरुआती पढ़ाई से अब तक साथ-साथ हैं। आइआइटी दाखिले में दोनों ने एक ही ब्रांच इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में दाखिला लिया है। अब ये संयोग बरकरार रखने के लिए वह एक ही छात्रावास के लिए प्रबंधन को आवेदन करेगे। जी हां, ये कहानी है गोरखपुर तारामंडल के अंकुश तिवारी व अमन तिवारी की। दोनों के बात करने के तौर तरीके, शक्ल को देख हर शख्स हैरत में पड़ गया। वह पिता अजय तिवारी के साथ आइआइटी की काउंसलिंग में शामिल होने आए थे।
बचपन से अब तक कई समानताएं
अमन व अंकुश के पिता मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी हैं। उन्होंने बताया कि बचपन से लेकर अब तक दोनों की कई बातों में समानता है। रहन सहन का तरीका, खान पान व खेलकूद में रुचि एक ही है। दोनों पढऩे में बचपन से ही तेज हैं। पैसे बेकार की चीजों में खर्च नहीं कराते हैं बल्कि मनपसंद कापी किताब व स्टेशनरी खरीदते हैं। दोनों बेटे 12वीं की बोर्ड परीक्षा में करीब समान अंकों के साथ उत्तीर्ण हुए थे। अमन ने 92.8 व अंकुश ने 92.4 फीसद अंक प्राप्त किए। जेईई एडवांस में अंकुश ने 510वीं व अमन ने 523 वीं रैंक हासिल की है। पढ़ाई के अलावा अंकुश को फुटबाल व अमन को क्रिकेट खेलना पसंद है।
अवार्ड पाने में भी दोनों समान
अंकुश व अमन ने मेधा के बल पर कई अवार्ड प्राप्त किए हैं। दोनों राष्ट्रीय प्रतिभा खोज परीक्षा के फाइनल में चयनित होने के साथ किशोर वैज्ञानिक प्रोत्साहन योजना में भी परचम लहरा चुके हैं। दोनों की ख्वाहिश सिविल सर्विसेज या शोध क्षेत्र में जाने की है।