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सचेंडी हादसे का एक और सच, दिनदहाड़े बिकती हैं सवारियां और ऊपर तक पहुंचता है हिस्सा

कानपुर में पुलिस आरटीओ और रोडवेज से जुड़े लोगों का कथित गिरोह बना है। निजी ट्रैवल एजेंसी के एजेंट जाजमऊ रामादेवी झकरकटी फजलगंज नौबस्ता चौराहे तक बसों के लिए सवारियों की खरीदफरोख्त करते हैं। एक गिरोह इस पूरे खेल को चलाता है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Sat, 12 Jun 2021 10:58 AM (IST)Updated: Sat, 12 Jun 2021 10:58 AM (IST)
सचेंडी हादसे का एक और सच, दिनदहाड़े बिकती हैं सवारियां और ऊपर तक पहुंचता है हिस्सा
कानपुर में सचेंड हादसे के बाद सामने आया मनमानी का सच।

कानपुर, जेएनएन। सचेंडी सड़क हादसे के बाद निजी ट्रैवल एजेंसियों की मनमानी सामने आई है। बिना किसी नियम कायदे के सड़क पर दौड़ रहीं लंबी दूरी की इन बसों के संचालक दिनदहाड़े रोडवेज की सवारियों का सौदा करते हैं। पुलिस, आरटीओ और रोडवेज से जुड़े लोगों का एक गिरोह इस पूरे खेल को चलाता है। कमीशन के रूप में एक मोटी रकम उच्चाधिकारियों तक पहुंचती है।

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निजी बसों की ट्रेवल एजेंसियों के लिए फजलगंज कभी एकमात्र ठिकाना हुआ करता था, मगर पिछले कुछ सालों में झकरकटी बस अड्डे से 100 मीटर दूर अफीम कोठी चौराहा, रामादेवी स्थित जीटी रोड और जाजमऊ में शहर के कई प्राइवेट बस संचालकों ने अपने आफिस खोल रखे हैं। खेल तो दिनभर होता है, लेकिन रात होते ही इनकी अराजकता चरम पर होती है। रामादेवी और जाजमऊ में आलम यह है कि इनके लिए काम करने वाले युवक लखनऊ की ओर से आने वाली रोडवेज बसों को जाजमऊ चेक पोस्ट और इलाहाबाद से आने वाली बसों को रामादेवी चौराहे के पास इशारा देकर रोक लेते हैं। वहीं झकरकटी बस अड्डे के पास दिल्ली, फर्रूखाबाद, बदायंू, बरेली, कन्नौज आदि जिलों से आने वाली बसों को रोका जाता है। इसके बाद सवारियों का सौदा शुरू होता है। लंबी दूरी की सवारियों को नीचे उतारकर प्राइवेट बसों में सवार कर दिया जाता है। कुछ बस संचालक तो झकरकटी बस अड्डे के अंदर से वैन में भरकर सवारियां ले जाते हैं। कुछ फर्जी पत्रकारों के साथ ही बाबूपुरवा की संबंधित चौकी, आरटीओ और रोडवेज से जुड़े अफसर सीधे तौर पर इस खेल में शामिल हैं। एक पूर्व एसएसपी की तैनाती के वक्त तो इस गिरोह को बस स्टैंड से सवारियां भरने का अवैध ठेका तक मिल गया था।

ऐसे बिकती हैं सवारियां

तमाम रोडवेज बस चालकों व क्लीनर के पास निजी बस एजेंसियों के मोबाइल नंबर होते हैं। कानपुर आने से पहले ही यह इन्हें बता देते हैं कि बस में लंबी दूरी की कितनी सवारियां हैं। इसके बाद ट्रैवल एजेंसी वाले वैन या अन्य कोई साधन लेकर जाजमऊ पुल, रामादेवी या गुमटी के पास पहुंच जाते हैं और सवारियों को झकरकटी या फजलगंज पहुंचने से पहले ही उतार लेते हैं।

300 रुपये प्रति सवारी कमीशन

प्राइवेज बस संचालक रोडवेज बसों से ज्यादातर गुजरात, अहमदाबाद, सूरत आदि शहरों को जाने वाली सवारियों को बैठाते हैं। इसके लिए रोडवेज के चालक-परिचालक को प्रति सवारी 300 रुपये कमीशन देते हैं।

मारपीट के लिए रखे है गुंडे

प्राइवेट बस संचालकों की अराजकता इस हद तक है कि शाम होते ही सड़क के दोनों ओर ये बसों को खड़ा कर देते हैं। इस कारण रामादेवी चौरहा, झकरकटी पुल और अफीमकोठी पर जाम लग जाता है। यदि कोई इसका विरोध करता है तो निजी बस संचालकों के गुंडे अभद्रता करते हैं। थाने से मामला रफा-दफा कर दिया जाता है।

  • -निजी बस एजेंसियों की अराजकता की सूचना मिली है। गंभीरता के साथ एक्शन प्लान तैयार हो रहा है। कैसा भी गिरोह होगा, कोई भी शामिल होगा, सभी को कानून के दायरे में लाया जाएगा। -असीम अरुण, पुलिस आयुक्त

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