सुनिए वित्त मंत्री जी..! ट्रांसपोर्टरों को भारी पड़ रहा एक करोड़ रुपये नकदी निकालने पर टीडीएस
ट्रांसपोर्टरों ने टोल मुक्त भारत की भी गुहार लगाई है। उनका कहना है कि जिनका समय पूरा हो चुका और लागत निकल आई हैख् उन टोल पर वसूली को बंद किया जाना चाहिये। ट्रांसपोर्ट के कारोबार में नकदी का काफी इस्तेमाल होता है।
कानपुर, जेएनएन। व्यापार उतनी ही तेजी से बढ़ेगा, जितनी तेजी से ट्रांसपोर्ट सुविधाएं बढ़ेंगी। बात चाहे कच्चे माल की हो या बने माल की, एक स्थान से दूसरे स्थान तभी कम लागत पर तेजी से पहुंच सकता, जब ट्रांसपोर्टरों को सुविधाएं बढ़ाई जाएं। ट्रांसपोर्टरों के मुताबिक टोल मुक्त भारत का सपना अब भी सपना ही है। इसके अलावा बहुत से टोल तो ऐसे भी हैं, जिनका समय पूरा हो चुका है और लागत निकल आई है, फिर भी टोल लिया जा रहा है। ट्रांसपोर्ट के कारोबार में नकदी का काफी इस्तेमाल होता है। चालक और क्लीनर को रास्ते के लिए खर्च के लिए ज्यादातर ट्रांसपोर्टर नकदी देते हैं, लेकिन धारा 194 एन के तहत बैंकों द्वारा पिछले वर्ष एक करोड़ रुपये की नकदी निकालने पर शुरू किया गया टीडीएस ट्रांसपोर्टरों को भारी पड़ रहा है।
यूपी मोटर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष सतीश गांधी का कहना है कि धारा 144 एई के तहत ट्रांसपोर्टरों की प्रति ट्रक जो फिक्स आय तय की गई है, बहुत अधिक है। पहले यह प्रति ट्रक प्रति माह 7,500 रुपये थी, अब यह छह लाख रुपये वार्षिक तक हो गई है। भाड़े पर लगाए जा रहे दो फीसद टीडीएस को खत्म करने की मांग कर रहे थे, लेकिन बैंक से एक करोड़ रुपये निकालने पर भी दो फीसद टीडीएस लगा दिया गया। इसे खत्म किया जाए।
यूपी मोटर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के महामंत्री मनीष कटारिया कहते हैं कि उद्योग को जैसे सरकार रियायत देती है, उसी तरह ट्रांसपोर्टरों को भी दे। यूरो छह आने के बाद 22 लाख की गाड़ी 28 लाख रुपये की हो गई है। इसे खरीदने के लिए ट्रांसपोर्टरों को उसी तरह रियायत मिले, जैसे उद्योग में मशीन खरीदने के लिए मिलती है। ट्रांसपोर्ट उद्योग को राहत मिले तो व्यापार और उद्योग तेजी से बढ़ सकते हैं।
उत्तर प्रदेश युवा ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष श्याम शुक्ला का कहना है कि डीजल के भाव अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जब कम होते हैं तो ट्रांसपोर्टरों को भी इसका लाभ देना चाहिए। डीजल की खपत का सबसे बड़ा भाग ट्रांसपोर्ट सेक्टर में ही होता है। इसके अलावा टोल पर भी राहत मिले। फास्टैग होने के बाद भी टोल पर ट्रकों की लंबी लाइन लगी रहती है, ट्रक जल्दी निकालने की व्यवस्था हो।
युवा ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष लवी गांधी के मुताबिक टोल मुक्त भारत की बात अभी पूरी नहीं हुई है। फास्टैग तो लगवाया गया, लेकिन उसको लेकर जो अतिरिक्त सुविधाएं दी जा रही थीं, उन्हें खत्म कर दिया गया। इन्हें दोबारा ट्रांसपोर्टरों को दिया जाए। ई-वे बिल के टाइम को लेकर इतना अधिक उलझा दिया गया है कि ट्रांसपोर्टर हमेशा के लिए समय के दबाव में आ गए हैं।