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सीएसए कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में प्रशिक्षु आइएएस ने जानी खेती की तकनीक

18 प्रशिक्षु आइएएस और दो आइएफएस अधिकारी सीएसए परिसर में पहुंचे। कार्यशाला में सबसे पहले उनका परिचय कराया गया।

By JagranEdited By: Published: Thu, 09 Aug 2018 11:48 AM (IST)Updated: Thu, 09 Aug 2018 11:48 AM (IST)
सीएसए कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में प्रशिक्षु आइएएस ने जानी खेती की तकनीक
सीएसए कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में प्रशिक्षु आइएएस ने जानी खेती की तकनीक

जागरण संवाददाता, कानपुर : सीएसए कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में बुधवार से देश के भावी प्रशासनिक अधिकारियों की कृषि की पढ़ाई आरंभ हो गई। उन्हें खेती की नई तकनीक से अवगत कराया गया। एकीकृत पोषण तत्व प्रबंधन के गुर सिखाए गए। 18 ट्रेनी आइएएस और दो आइएफएस अधिकारी सीएसए परिसर में पहुंचे। सबसे पहले उनका परिचय कराया गया। कुलपति प्रो. सुशील सोलोमन ने उन्हें विश्वविद्यालय के संबंध में जानकारी दी। कौन से प्रोजेक्ट और शोध कार्य चल रहे हैं, उसके बारे में बताया गया। विवि के पूर्व प्रो. डीडी तिवारी ने मृदा संरक्षण से लेकर बीज उत्पादन की नई तकनीक के बारे में जानकारी दी। पूर्व प्रो. एनबी सिंह ने रवि की फसलों और उनके गुणों के बारे में बताया। प्रो. धूम सिंह, प्रो. आरवी सिंह समेत अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।

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इनपुट डीलर्स के कोर्स शुरू

कृषि विभाग और सीएसए की ओर से बुधवार से इनपुट डीलरों के लिए कोर्स शुरू हो गया। इसमें 40 डीलरों को साल भर का प्रशिक्षण दिया जाएगा। - - - - - - - - - - - - - -

कृषि विज्ञान केंद्र कराएगा आइएफएस खेती

कानपुर : सीएसए कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने किसानों की आय दोगुनी करने की दिशा में काम शुरू कर दिया है। उनके खेत में लगने वाली फसलों की पैदावार और उत्पादन को और अधिक बढ़ाने की तैयारी चल रही है। इसके लिए किसानों को इंटीग्रेटेड फार्मिग सिस्टम (आइएफएस) मॉडल पर खेती करना सिखाया जाएगा। उनके खेतों में ही ऐसी तकनीक विकसित की जाएगी, जिससे उन्हें परिस्थितियां अनुकूल न होने पर भी लाभ मिलेगा। यह मॉडल कृषि विज्ञान केंद्र और सीएसए विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों द्वारा तैयार किया जाएगा।

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इस तरह करेगा काम

आइएफएस के लिए हर कृषि विज्ञान केंद्रों पर कृषि वैज्ञानिकों की नियुक्ति की जाएगी। यह गांवों में जाकर किसानों के खेतों में मॉडल तैयार करेंगे। विशेषज्ञों के मुताबिक सबसे पहले खेतों का मुआयना किया जाएगा। अगर वह गेहूं लगाता है, तो खेत के एक ओर फूलों के पौधे लगाए जाएंगे। उन पौधों के चारों ओर बेलदार पेड़ लगाए जाएंगे। फसलों की एक हिस्से में अमरूद, केले, अनार, पपीते की बागवानी की जाएगी। इसमें एक पौधे दूसरे के पूरक बनेंगे।

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किसानों को पौधों के बारे में बताया जाएगा

निदेशक, प्रसार प्रो. धूम सिंह के मुताबिक किसानों को पौधों के गुणों के बारे में जानकारी दी जाएगी। अगर एक ओर अधिक पानी की आवश्यकता वाली फसल बोई जाएगी, तो दूसरी ओर कम पानी में बेहतर उत्पादन करने वाले पौधे रोपे जाएंगे। यह जानकारी किसानों के लिए लाभप्रद होगी।


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