कानपुर के छोटे स्टेशनों पर दम तोड़ रहीं यात्री सुविधाएं
ट्रेनों की बेहतर चाल व रेलवे स्टेशनों पर यात्री सुविधाओं की बड़ी बातें दम तोड़ती नजर आ रही हैं।
जागरण संवाददाता, कानपुर: ट्रेनों की बेहतर चाल व रेलवे स्टेशनों पर यात्री सुविधाओं की बड़ी बातें दम तोड़ती नजर आ रही हैं। हां, यह अलग बात है कि सुविधाओं के नाम पर रेल प्रशासन द्वारा धन तो खर्च किया जा रहा है। लेकिन, वह यात्रियों को नही मिल पा रहा है। या यूं कहें कि सुविधा के नाम पर यात्री ठगा सा महसूस कर रहे हैं।
रविवार को दैनिक जागरण ने कानपुर फर्रुखाबाद रूट के चार रेलवे स्टेशनों की पड़ताल की तो हालात बेहद खराब मिले। दावों के विपरीत यात्री सुविधाएं रेलवे स्टेशनों से नदारद है। इस रूट पर रोज दो दर्जन से अधिक ट्रेनें चलती हैं फिर भी मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। भीषण गर्मी में सबसे बड़ा मुद्दा पेयजल की अनुपलब्धता है। किसी भी स्टेशन पर पेयजल के पुख्ता इंतजाम नहीं है। बताया जा रहा है कि पानी माफिया के आगे बेबस रेल प्रशासन जानबूझकर गर्मियों में इस समस्या को बनाए रखता है।
मंधना: चिलचिलाती धूप में करना पड़ता ट्रेन का इंतजार
भौगोलिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशन। यहां पर दो प्लेटफार्म हैं। प्लेटफार्म नंबर दो पर अब तक शेड की व्यवस्था नहीं हो सकी है। चिलचिलाती धूप और बारिश में पानी की बूंदों के बीच यात्रियों को ट्रेन के इंतजार के लिए मजबूर होना पड़ता है। पेयजल का इंतजाम एक अदद हैंडपंप से पूरा हो रहा है। एक ही शौचालय हैं, जिसे पुरुष व महिलाएं एक साथ प्रयोग करने के लिए मजबूर हैं। साथ ही जीटी रोड की ओर टूटी दीवार स्टेशन की सुरक्षा को लेकर बड़ा सवाल है।
कल्यानपुर: टूटी दीवार बड़ी मुसीबत
पेयजल के नाम पर नलों से खौलता पानी सप्लाई होता मिला। यात्रियों ने बताया कि हैंडपंप से प्रदूषित पानी निकलता है। ऐसे में पानी खरीदकर पीने के अलावा कोई चारा नहीं। यहां तक कि स्टॉफ भी पानी खरीदकर ही पीता है। शौचालय बदहाल है। पेयजल और शौचालय की बदहाली उनकी वजह से ही है। वहीं जीटी रोड की ओर टूटी दीवार सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा है। इस ओर कंकरीट की दीवार खड़ी करने है, लेकिन ठेकेदार साल भर पहले काम आधा छोड़कर भाग गया।
रावतपुर: महिला शौचालय में डॉगी ने किया प्रसव
सबसे खराब हालात इसी स्टेशन पर मिले। पेयजल के लिए यहां भी खौलता पानी ही मिलता है। रेल यात्रियों के बताया कि स्टेशन का आरक्षण केंद्र आए दिन बंद रहता है। जागरण की टीम जब शौचालय के अंदर घुसी तो अंदर गंदगी का ढेर देखने को मिला। वहीं महिला शौचालय इसलिए कई दिनों से बंद पड़ा है, क्योंकि यहां एक डॉगी ने बच्चों को जन्म दिया है। रेल प्रशासन जानबूझकर अनजान बना है। पूरे स्टेशन पर पंखे नहीं चल रहे थे। यात्रियों के बताया कि अधिकांश समय पंखे बंद ही रहते हैं। ट्रैक पर भरे पानी से कभी भी कोई हादसा हो सकता है।
अनवरगंज: बड़ी जिम्मेदारी, इंतजाम नाकाफी
सेंट्रल रेलवे स्टेशन के बाद सबसे बड़ा स्टेशन। यहां सुविधाएं अन्य स्टेशनों की तुलना में बेहतर हैं, लेकिन पेयजल की समस्या यहां भी है। जीआरपी चौकी के पास स्थित वाटर कूलर कई दिनों से बंद पड़ा है। हाल ही में आरपीएफ ने सहायता केंद्र की स्थापना की थी, लेकिन उद्घाटन के बाद से यहां कोई नहीं बैठा। यात्रियों की संख्या के हिसाब से यहां बैठने के लिए सीटों की कमी है।
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'अनवरगंज को एनसीआर में जुड़े हुए अधिक समय नहीं हुआ है। व्यवस्थाएं की जा रही हैं और जल्द ही स्टेशन को एक बेहतर स्वरूप में लाया जाएगा।'
-डॉक्टर जितेंद्र कुमार, स्टेशन डायरेक्टर खौलता पानी पीना मजबूरी है। रेलवे छोटे स्टेशनों में सुविधाएं बढ़ाने की कोई कोशिश नहीं कर रहा है।
-भईया सिंह, कन्नौज
शौचालय में कमोड सुविधा नहीं है। शौचालय में गंदगी भी बहुत है। रेलवे को इस ओर ध्यान देना होगा।
-डीएल भास्कर, बिधूना
न पानी, न हवा, न साफ सफाई और ट्रेनें समय पर चल रही हैं। पता नहीं कब व्यवस्थाएं ठीक होंगी।
-विनय यादव, फर्रुखाबाद
पेयजल बड़ी समस्या है। गर्मी के दिनों में पानी नहीं मिलेगा तो कब मिलेगा।
-रेखा यादव, कानपुर