Lockdown-2 : गर्मी की सहालग के लिए खरीदा कपड़ा, अब दीपावली तक बेचने का करना होगा इंतजार
लॉकडाउन बढऩे के बाद कपड़ा कारोबारियों की रही सही उम्मीदें भी खत्म।
कानपुर, जेएनएन। सौ करोड़ रुपये रोज की बिक्री करने वाले कानपुर के कपड़ा कारोबारी बेहद परेशान हैं। कारोबारियों को उम्मीद थी कि लॉकडाउन खत्म होने के बाद भी सहालग का थोड़ा समय बचा रह जाएगा, इसलिए थोड़ा बहुत माल तो बेच ही लेंगे, लेकिन अब लॉकडाउन बढऩे के बाद कारोबारियों ने यह आस छोड़ दी है। अब गर्मी की सहालग का माल दीपावली में बिकने की उम्मीद बची है।
डेढ़ माह में ही बिक जाता है साल भर का 25 फीसद कपड़ा
कपड़ा बाजार में गर्मी की सहालग सबसे बड़ी मानी जाती है। थोक कपड़ा बाजार में वर्ष में जितना माल बिकता है, उसका 25 फीसद तो 15 मार्च से 30 अप्रैल के बीच ही बिक जाता है। इसके बाद ज्यादातर बिक्री फुटकर खरीदारों की ही होती है। इस वर्ष सहालग और उसके साथ ही रमजान भी पड़ रहा था, इसलिए कपड़ा कारोबारियों में कुछ ज्यादा ही उत्साह था और इसी उत्साह में उन्होंने कुछ ज्यादा ही माल भर लिया था।
रक्षाबंधन पर नहीं लाना पड़ेगा माल
कारोबार की इस हालत को देखते हुए देश में पांच सौ कारोबारियों ने ऑनलाइन वर्तमान हालात पर चर्चा की। चर्चा में यही निकल कर आया कि अब माल बिकने की उम्मीद बहुत कम रह गई है। बारिश में वैसे भी बिक्री नहीं रहती, लेकिन रक्षाबंधन के लिए कारोबारी खरीदारी करते हैं। दुकान, गोदाम में इतना माल भरा है कि कारोबारी रक्षाबंधन पर माल न लाने का मन बना चुके हैं। कारोबारियों का कहना है कि माल इतना अधिक भरा हुआ है कि अभी दीपावली तक आराम से यह चल जाएगा क्योंकि बीच के माह में बहुत ज्यादा बिक्री नहीं रहेगी।
इनका ये है कहना
कारोबारियों के पास माल भरा पड़ा है। लॉकडाउन बढऩे के बाद जो रही सही उम्मीद थी, वह भी खत्म हो चुकी है। अब उम्मीद दीपावली की ही बची है।
-शेष नारायण त्रिवेदी, अध्यक्ष नौघड़ा कपड़ा कमेटी।
कपड़ा कारोबारियों का भी अपना संकट है। माल भरा है और भुगतान सिर पर खड़ा है। माल ग्राहक तक पहुंचे तो भुगतान की प्रक्रिया शुरू हो।
-काशी प्रसाद शर्मा, प्रदेश अध्यक्ष उत्तर प्रदेश कपड़ा व्यापार मंडल।